बड़े बुजुर्गों ने ठीक कहा है कि प्यार और नशे में लोग अंधे हो जाते हैं.वे अपना विवेक खोने लगते हैं. ऐसे में अपराध होते देर नहीं लगती. अपराध होने के अनेक कारणों में नशा भी एक प्रमुख कारण है, जो व्यक्ति के सिर चढ़कर उसके मस्तिष्क को अपने नियंत्रण में कर लेता है. ऐसा व्यक्ति तो फिर वही करता है जो नशा उकसाता है.
सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में ऐसी आपराधिक घटनाएं यहां धडल्ले से सुनी और देखी जाती है. इसका कारण यह है कि यहां लोगों का पीने और जीने का कल्चर हो गया है. कुछ लोग तो शौक के लिए पीते हैं. मगर अधिकतर युवा नशे की आदत के शिकार हो गए हैं. कुछ लोग तो ऐसे हैं जिन्हें नशा ने अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया है. ऐसे लोगों का जीवन हमेशा खतरे में रहता है.
सिलीगुड़ी के निकट आशिधर पुलिस चौकी ने सोमवार को बैकुंठपुर जंगल में हुई एक युवक की हत्या के मामले को सुलझाने में सफलता प्राप्त की है.पुलिस ने युवक की हत्या के आरोप में दो युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पुलिस की प्रारंभिक इन्वेस्टिगेशन और हत्या के आरोपी युवकों से हुई विस्तृत पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई है, वह नशेड़ी लोगों के लिए एक सबक और अवसर भी है नशा को बाय-बाय कहने का…!
इस कहानी के तीन किरदार हैं. रामप्रसाद साहा, अजय राय और सुब्रतो. तीनो के तीनो आपस में दोस्त और नशेड़ी. सोमवार की घटना है. रामप्रसाद साहा दोस्त के बुलावे पर बैकुंठपुर जंगल पहुंच गया. फोन पर बात हुई, बैठकर पिएंगे और जश्न मनाएंगे. राम प्रसाद साहा दोस्त का ऑफर भला कैसे मना कर देता! वह तुरंत ही बैकुंठपुर जंगल पहुंच गया, जहां उसके दोस्त ने बुलाया था. यह दोस्त कोई और नहीं, स्वयं सुब्रतो था. आपस में बातें करते हुए दोनों दोस्त एक जगह बैठ गए और जाम से जाम छलकाने लगे.
जब नशा उन पर छाने लगा, तब राम प्रसाद साहा आपे से बाहर हो गया. नशा उसके सर चढ़कर बोलने लगा. तब उसने सुब्रतो से रुपया मांग बैठा. सुब्रतो ने रामप्रसाद को रुपए देने से मना कर दिया. इस पर दोनों नशेड़ी में गाली गलौज और मारपीट होने लगी. नशा तो सुब्रतो पर भी हावी था. वह उस स्थिति में पहुंच गया था जहां नशे ने उसके विवेक को अपने अधिकार में कर लिया था. इसलिए उसकी समझ में कुछ नहीं आया.
गुस्से में दोनों दोस्त आपा खोने लगे. फिर तो वही हो गया जो होता आया है. सुब्रतो ने रामप्रसाद पर पत्थर से उसके सिर पर वार कर दिया और तब तक वार करता रहा जब तक कि राम प्रसाद हमेशा के लिए शांत नहीं हो गया. इस कहानी में एक तीसरा किरदार अजय राय सामने आया है. उसकी भूमिका के बारे में अब तक स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है, परंतु समझा जाता है कि सुब्रतो और अजय राय ने मिलकर योजनाबद्ध तरीके से रामप्रसाद को मौत के घाट उतार दिया.
लोगों का कहना है कि अजय राय घटनास्थल पर पहले से ही मौजूद था और दोनों ने ही मिलकर रामप्रसाद को मौत के घाट उतार दिया. प्रारंभिक इन्वेस्टिगेशन में रामप्रसाद की हत्या एक सुनियोजित साजिश लगती है. अब पुलिस यह पता लगा रही है कि आखिर रामप्रसाद को रास्ते से हटाने की सुब्रतो और अजय राय की साजिश क्या थी.क्या इसके पीछे कोई और कहानी है. फिलहाल पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है. पुलिस जल्द ही हत्या की संपूर्ण गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रही है.