सिलीगुड़ी में साइलेंस जोन के नियमों का पालन नहीं के बराबर होता है. सिलीगुड़ी प्रशासन और पुलिस की ओर से लगातार अभियान चलाए जाते रहे हैं. परंतु उसका पालन कितना हो पाता है, यह बताने की जरूरत नहीं है. कुछ ही दिनों पहले सिलीगुड़ी ट्रैफिक पुलिस द्वारा स्कूली बच्चों को लेकर हांकिंग के खिलाफ एक अभियान चलाया गया था और लोगों में जागरूकता लाने की कोशिश की गई थी. मगर हुआ क्या. आज भी साइलेंस जोन के नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों की कोई कमी नहीं देखी जा रही है.
सबसे पहले साइलेंस जोन और उसके नियम के बारे में जान लें. स्कूल, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, कोर्ट कचहरी जैसे इलाके साइलेंस जोन के अंतर्गत आते हैं. नियम यह है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के इलाके में गाड़ियों का हॉर्न काफी धीमा होना चाहिए. नियम के अनुसार कौन सा इलाका साइलेंस जोन होगा, इसकी घोषणा सक्षम प्राधिकारी ही करते हैं. नियम के अनुसार साइलेंस जोन के अंदर ना तो आप गाड़ियों का हॉर्न और ना ही लाउडस्पीकर बजा सकते हैं. और ना ही पटाखे जला सकते हैं. क्या सिलीगुड़ी में साइलेंस जोन के नियमों का पालन होता है?
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए समय-समय पर योजनाएं लाता रहा है. लेकिन लोग हैं कि इसको गंभीरता से नहीं लेते और प्रशासन कई मामलों में बेबस नजर आता है.खासकर तब जब इससे जुड़े नियमों के उल्लंघन करने वाले व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाती. अब पुलिस, प्रशासन और राज्य ध्वनि प्रदूषण बोर्ड काफी गंभीर है तथा इस पर रोक लगाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध नजर आ रहा है. वेस्ट बंगाल मोटर व्हीकल रूल्स एंड मोटर व्हीकल एक्ट के तहत साइलेंस जोन के नियमों का उल्लंघन करने वाले मोटरसाइकिल सवारों पर ₹2000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
यह तभी संभव है जब उल्लंघन करने वालों की सही पहचान हो. सवाल यह है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों की किस तरह पहचान हो. स्पष्ट है कि इसके लिए प्रशासन को विशेष कैमरे का इस्तेमाल करना होगा, जो काफी महंगा भी होगा. सिलीगुड़ी में संसाधनों की कमी एक महत्वपूर्ण समस्या है. लेकिन अगर इस तरह की समस्या से सिलीगुड़ी को बचना है तो कुछ ना कुछ तो करना ही होगा.
क्योंकि प्रशासन के द्वारा हांकिंग के खिलाफ जन जागरण, जन जागरूकता कार्यक्रम का हश्र हम देख चुके हैं. ऐसे में सिलीगुड़ी प्रशासन और पुलिस को ऐसे मामलों में निगरानी के लिए अकाउ स्टिक कैमरे की व्यवस्था करनी होगी. यह कैमरा लाइटवेट होने के साथ ही हैंडहेल्ड डिवाइस भी है, जो रियल टाइम में साउंड सोर्स को लोकेट कर नतीजों को तुरंत स्क्रीन पर डिस्प्ले कर देता है. कोलकाता पुलिस शहर के दोपहिया चालकों से साइलेंस जोन के नियमों का पालन करवाने के लिए इस तरह के कैमरे की व्यवस्था करने जा रही है. आने वाले समय में सिलीगुड़ी में भी साइलेंस जोन के नियमों के उल्लंघन करने वाले लोगों की पहचान के लिए ऐसे कैमरे लगाए जाते हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
ध्वनि प्रदूषण केवल सिलीगुड़ी अथवा प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की एक व्यापक समस्या है. पश्चिम बंगाल में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहा है.एक तरफ सभी साउंड सिस्टम में साउंड लिमिटेशन लगाने का निर्देश दिया जा रहा है तो दूसरी ओर राज्य में उत्सव जैसे दुर्गा पूजा, दिवाली, छठ पूजा आदि के मौके पर डीजे और लाउडस्पीकर पर रोक लगाई जा चुकी है. परंतु प्रशासन की सख्ती के बावजूद अगर साइलेंस जोन में हॉन्किंग के मामले सामने आ रहे हैं तो निश्चित रूप से इसके अपराधियों की शिनाख्त में कमी है.
उम्मीद की जानी चाहिए कि सिलीगुड़ी प्रशासन और पुलिस आने वाले समय में सिलीगुड़ी में दोपहिया चालकों से साइलेंस जोन के नियमों का पालन करवाने के लिए कोई ना कोई रास्ता ढूंढ लेंगे.