यूं तो होली 7 और 8 मार्च को है. परंतु सिलीगुड़ी के बाजारों में सजते रंग गुलाल और पिचकारी को देखकर ऐसा लगता है कि होली जैसे कल ही हो. सिलीगुड़ी के कई बाजारों में रंग और गुलाल दुकानों पर बिकते देखे जा रहे हैं. महावीर स्थान, नया बाजार, रेलगेट, चंपा सारी आदि बाजारों और दुकानों में दुकानदार अन्य वस्तुओं के साथ-साथ रंग पिचकारी भी सजाने लगे हैं.
कोविड काल के बाद यह पहली ऐसी होली होगी, जिसमें सिलीगुड़ी के लोग सराबोर होना चाहेंगे. इस बार दुकानदारों ने होली को रंगीन बनाने के लिए सभी तरह के आइटम्स दुकानों में लगा रखे हैं. भांति भांति की पिचकारी के साथ ही पक्का रंग भी दुकानदार मंगा रहे हैं. विधान मार्केट में रंगों का जखीरा देखा जा सकता है.
सिलीगुड़ी के बाजारों में और घरों में होली के गीत बजने लगे हैं.बच्चे बूढ़े सभी को होली का बेसब्री से इंतजार रहता है. बच्चों को रंग गुलाल खेलने में बड़ा मजा आता है. जबकि बुजुर्ग भी होली के रंग में सराबोर होना पसंद करते हैं.घर की महिलाएं 1 माह पहले से ही होली की तैयारी में जुट जाती हैं. होली के दिन भांति भांति के पकवान की खुशबू घर को भी महका कर रखती है.
होली की आहट तो सुबह-सुबह कोयल की कूक से ही होने लगती है. जब बसंती बयार चले और सुबह कोयल की मीठी कुक सुनाई दे तो समझा जाता है कि मौसम बदल रहा है.मौसम में यह बदलाव कहीं ना कहीं होली की गर्माहट का आगाज करता है.
सिलीगुड़ी की होली सबसे निराली मानी जाती है. चाहे हालात कुछ भी रहे, लोग होली में सराबोर होना पसंद करते हैं. यही कारण है कि होली के दूसरे दिन भी दुकानों में छुट्टी रहती है. अधिकांश दुकान बंद रहते हैं. हमारे हिंदू संस्कारों में होली के बाद से ही नए साल की शुरुआत हो जाती है. होली और होलिका दहन दोनों ही काफी महत्वपूर्ण है. यह ना केवल भक्ति भाव बल्कि सामाजिक भाव को भी प्रगाढ़ करता है.तभी तो होली के गीतों में आपस में बैर भूल कर गले लगाने की बात कही जाती है.
एक जमाने में होली के दिन लोग आपस के बैर भाव भूलकर गले लगा लेते थे.वर्तमान में कई लोग होली के दिन अपनी दुश्मनी निकालने की कोशिश करते हैं. यही कारण है कि बदले हालात में होली किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए गम बन कर रह जाती है.
सिलीगुड़ी में तेजी से मौसम परिवर्तन हो रहा है. हिमालय की ओर से आ रहे नए पश्चिमी विक्षोभ की वजह से ऐसा बदलाव देखा जा रहा है. मौसम विभाग के अनुसार 17 फरवरी तक मौसम में बदलाव पूरी तरह देखा जा सकता है. हालांकि उत्तर भारत में 25 से 35 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही है,जिससे होली से पूर्व मौसम काफी सुहावना हो गया है. इस तरह मौसम में परिवर्तन, कोयल की कूक, बसंती बयार ,रंग गुलाल और लोगों के बदलते मिजाज से ऐसा प्रतीत होता है कि होली चुपके से सिलीगुड़ी में दस्तक दे रही है!