जिस तरह की खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार सिलीगुड़ी समेत संपूर्ण बंगाल में लगातार चार दिनों तक बैंक बंद रह सकते हैं. इससे लेनदेन पर असर पड़ेगा. साथ ही बाजार और कारोबार भी प्रभावित हो सकता है! आर्थिक लेनदेन पर व्यापक असर पड़ सकता है.
कई बैंक यूनियनों की संस्था यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने अपनी विभिन्न मांगों के लिए दबाव बनाने के लिए यह कदम उठाया है.इससे पहले भी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस सरकार पर दबाव बनाने के लिए इस तरह के फैसले लेती आ रही है. परंतु सरकार इस पर ज्यादा गौर नहीं कर रही है या फिर आश्वासन के बाद सब कुछ शांत पड़ जाता है.
बैंक यूनियन एक बार फिर से हड़ताल करने जा रही है. बैंक यूनियनों की संस्था यूएफबीयू ने इसी महीने बैंक हड़ताल करने का निर्णय लिया है. प्रचार तंत्रों के जरिए संस्था ने अपनी प्रस्तावित बैंक हड़ताल का ऐलान कर दिया है. सरकार पर दबाव बनाने की एक और कोशिश के रूप में इसे देखा जा रहा है.
केंद्र सरकार लगातार बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर रही है.यूनियन की ओर से दावा किया जा रहा है कि इससे बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों का भविष्य अनिश्चित और असुरक्षित हो गया है. इसके अलावा बैंकों की अपनी कुछ मांगे लंबित हैं, जिन्हें सरकार से पूरा करवाने के लिए अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने कमर कस ली है. मुंबई में पिछले दिनों यूएफबी यू की बैठक में हड़ताल करने का फैसला लिया गया है.
हालांकि बैंकों की प्रस्तावित हड़ताल 30 और 31 जनवरी को होगी. लेकिन बैंक 4 दिनों तक बंद रह सकते हैं. दरअसल 28 जनवरी को चौथा शनिवार है. नियम के अनुसार चौथे शनिवार को बैंक के कामकाज नहीं होते और 29 जनवरी को रविवार है. रविवार को बैंक बंद रहता है. इस तरह से अगर बैंकों की प्रस्तावित हड़ताल होती है तो लगातार चार दिनों तक बैंक कारोबार नहीं हो सकता. इसका असर उद्योग और व्यापार जगत पर पड़ना लाजमी है.
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव ने कहा है कि पत्रों के बावजूद हमारी मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं है.इसलिए हमने 30 और 31 जनवरी को हड़ताल का फैसला किया है. अगर बैंकों की प्रस्तावित हड़ताल सफल होती है तो सिलीगुड़ी और पूरे बंगाल में लगातार चार दिनों तक कारोबार को व्यापक नुकसान हो सकता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार बैंक यूनियनों की जायज मांगों पर विचार करके प्रस्तावित हड़ताल को टालने में सफल रहेगी!