आज शुभेंदु अधिकारी की हालत हाई कोर्ट के फैसले के बाद कभी खुशी कभी गम की तरह जरूर हो गई होगी. एक तरफ तो अदालत ने उन्हें जोर का झटका दिया है, तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ बंगाल पुलिस द्वारा दर्ज किए गए 15 मामलों को खारिज भी कर दिया है. कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले ने केंद्रीय भाजपा नेतृत्व को भी कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है.
2026 में बंगाल विधानसभा का चुनाव है. भाजपा 2026 का चुनाव करो या मरो की तरह लड़ना चाहती है. ऐसे में जैसे-जैसे समय निकट आता जाएगा, प्रदेश भाजपा नेताओं की जुबान बंद करने के लिए बंगाल पुलिस उन पर तरह-तरह के मुकदमे लाद सकती है. उन्हें जेल भी भेज सकती है. इसलिए कोर्ट के फैसले की गूंज भाजपा खेमे में तेजी से हलचल मचा रही है. सवाल कई हैं.
सुवेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. केंद्रीय नेतृत्व ने शुभेंद अधिकारी पर एक बड़ा दाव लगाया है. 2026 के विधानसभा चुनाव में सुवेंदु अधिकारी के जरिए भाजपा राज्य की सत्ता पलट करना चाहती है. सुवेंदु अधिकारी भी पूरे दमखम के साथ तृणमूल कांग्रेस से दो दो हाथ कर रहे हैं.
वास्तव में सुवेंदु अधिकारी को कोर्ट से अभय दान मिला है. कोर्ट की अनुमति के बगैर बंगाल पुलिस उनके खिलाफ मामले दर्ज नहीं कर सकती है. इसका लाभ उन्हें काफी समय से मिलता आ रहा है. लेकिन आज कोलकाता हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया कि उनकी अंतरिम सुरक्षा को वापस लिया जा रहा है और बंगाल पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है. कोलकाता हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश भाजपा और शुभेंदु अधिकारी के शुभचिंतकों में खलबली मच गई है.
आपको बताते चलें कि वर्ष 2022 में कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राज शेखर मंथा की एकल पीठ ने एक फैसला सुनाया था. इसके अनुसार बंगाल पुलिस अदालत की अनुमति के बगैर सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं कर सकती थी. लेकिन 2022 से पहले भी सुबेंदु अधिकारी के खिलाफ बंगाल पुलिस ने 26 मामले दर्ज किए थे. इन मामलों पर न्यायाधीश ने सुवेंदु अधिकारी को अंतरिम सुरक्षा प्रदान नहीं की थी.
शुभेंदु अधिकारी चाहते थे कि कोर्ट उन्हें पूर्व के 26 मामलों में भी अंतिम सुरक्षा प्रदान करे. इसलिए वे इस फैसले के खिलाफ कोलकाता हाई कोर्ट की दूसरी पीठ में गए. उनकी याचिका पर सुनवाई न्यायाधीश जय सेन गुप्ता की एक दूसरी सिंगल पीठ ने की और इस पर फैसला सुनाया. फैसला सुनाते हुए सिंगल पीठ ने कहा है कि शुभेंदु अधिकारी को पहले दी गई सुरक्षा एक अंतरिम व्यवस्था थी और इसलिए इसे लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता है.
सवाल यह है कि न्यायाधीश के इस फैसले के बाद सुवेंदु अधिकारी का क्या होगा? क्या सुवेंदु अधिकारी फैसले के बाद शांत हो जाएंगे? या फिर अदालत का रुख करेंगे? इसमें कोई शक नहीं है सुवेंदु अधिकारी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. न्यायाधीश सेन गुप्ता ने भी सुवेंदु अधिकारी को अदालत में जाने का एक मौका दे दिया है. न्यायाधीश ने कहा है कि शुभेंदु अधिकारी के वकील 27 अक्टूबर तक सिंगल बेंच में याचिका रख सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में शुभेंदु अधिकारी ऐसे भाजपा नेता है, जो राज्य सरकार को खुली चुनौती देते हैं. बंगाल पुलिस अधिकारी के खिलाफ केस तो बनाती है लेकिन उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. कोर्ट की अनुमति के बगैर पुलिस ऐसा नहीं कर सकती है. यही कारण है कि कोर्ट की अनुमति के बगैर बंगाल पुलिस ने उनके खिलाफ 15 मामले दर्ज किए थे. जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
सूत्रों से पता चला है कि शुभेंदु अधिकारी कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ डबल बेंच में जा सकते हैं और कोर्ट के द्वारा ली गई अंतरिम सुरक्षा को वापस प्राप्त कर सकते हैं. कानूनी जानकार भी मानते हैं कि ऐसा संभव हो सकता है.

