सेवक रंगपो रेलवे परियोजना का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है तथा इसे समय रहते पूरा करने की रेलवे के साथ- साथ परियोजना का काम कर रहे इंजीनियर, तकनीकी निर्माण अधिकारी और सभी संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही है.
यह परियोजना सिलीगुड़ी, कालिमपोंग और सिक्किम के लिए काफी महत्वपूर्ण है. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद सिक्किम देश के सभी हिस्सों से रेल व्यवस्था से सीधे जुड़ जाएगा. प्रोजेक्ट का काम इरकॉन कर रहा है. सेवक से लेकर सिक्किम की सीमा तक 6 स्टेशन आएंगे. वर्तमान में सबसे लंबी सुरंग को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
उत्तर पूर्व रेलवे के अधिकारी लगातार परियोजना का काम कर रहे इंजीनियर और ठेकेदार से संपर्क बनाए हुए हैं. अब तक कई पड़ाव को सफलतापूर्वक पार कर लिया गया है. रंगपो रेलवे परियोजना का अधिकांश हिस्सा सुरंगों में ही गुजरता है.यही कारण है कि पहाड़ को काटकर ही कार्य को आगे बढ़ाया जाता है.
हालांकि कुशल इंजीनियर और तकनीशियन की देखरेख में कार्य सुचारू रूप से चल रहा है. फिर भी आए दिन कभी मौसम प्रकृति स्थानीय कठिनाइयों के बीच मजदूरों तथा निर्माण से जुड़े लोगों के साथ हादसे होते रहते हैं. आज जब मजदूर सुरंग संख्या 10 में काम कर रहे थे उसी समय पत्थर काटने के क्रम में एक मजदूर के शरीर पर पत्थर का एक बड़ा टुकड़ा गिर गया, जिससे दबकर मजदूर की मृत्यु हो गई.
मजदूर का नाम शंकर बर्मन बताया जा रहा है. वह कूचबिहार का रहने वाला था. निर्माण ठेकेदार और अधिकारी कुशलता और सूझबूझ के साथ परियोजना के कार्य को अंतिम रूप देने में लगे हैं. लेकिन जब ऐसे हादसे होते हैं तो इसका असर ना केवल श्रमिकों पर ही पड़ता है, बल्कि निर्माण कार्य भी प्रभावित होता है.
आपको बताते चलें कि सेवक रंगपो रेल लाइन 44 किलोमीटर लंबी है. गंगटोक तक ले जाने की योजना है. इसकी आधारशिला अक्टूबर 2009 में भारत के उपराष्ट्रपति के द्वारा रखी गई थी. अब तक 38.65 किलोमीटर की कुल लंबाई वाले 14 प्रमुख सुरंगों में से 60% से भी ज्यादा काम हो चुका है. इसके साथ ही 13 बड़े पुलो का लगभग आधा काम भी पूरा हो चुका है.