सिलीगुड़ी का सुप्रसिद्ध हांगकांग मार्केट, जो सिलीगुड़ी का सबसे पुराना मार्केट है. किसी समय हांगकांग मार्केट को चाइनीज मार्केट भी कहा जाता था. क्योंकि यहां चीन का माल सबसे ज्यादा बिकता था.हर समय इस मार्केट में भीड़ रहती है. सुबह से लेकर शाम तक दुकानदारों को फुर्सत नहीं मिलती. सिलीगुड़ी के इस मार्केट में सब कुछ मिलता है. यही कारण है कि सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्र से लोग खरीदारी के लिए यहां आते हैं.
दीपावली के कुछ दिन पहले से ही हांगकांग मार्केट में पैर रखने की जगह नहीं होती. इस हांगकांग मार्केट के बारे में यह भी कहा जाता है कि पहाड़ से भारी संख्या में लोग यहां खरीदारी के लिए आते हैं. यहां के दुकानदारों का भी मानना है कि हांगकांग मार्केट के व्यापारी और दुकानदारों का व्यवसाय बाहर से खासकर पहाड़ से आए ग्राहकों पर चलता है. क्योंकि पहाड़ के लोग कोई चीज पसंद आने के बाद बगैर ज्यादा मोल-तोल किए ही इसकी खरीदारी कर लेते हैं.
लेकिन इन दिनों हांगकांग मार्केट में दीपावली की खास रौनक नहीं है. पहाड़ से कम संख्या में खरीदार आ रहे हैं. कुछ दिन पहले हांगकांग मार्केट में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी थी. जहां कुछ दुकानदारों ने कथित रूप से एक समुदाय विशेष के ग्राहकों के साथ अभद्र व्यवहार किया था और नस्लीय टिप्पणी करने का भी उन पर आरोप लगा था. पानीटंकी आउटपोस्ट में इसकी लिखित शिकायत भी दर्ज कराई गई थी. यह मामला बाद में काफी तूल पकड़ गया. जिसके चलते कई बार हंगामा भी हुआ.
दबे छुपे शब्दों में यह चर्चा भी होने लगी कि पहाड़ के खरीदार हांगकांग मार्केट का बहिष्कार कर रहे हैं. इसका असर भी हांगकांग मार्केट पर देखा जा रहा है. पहाड़ से बहुत कम संख्या में ग्राहक खरीदारी के लिए हांगकांग मार्केट पहुंच रहे हैं. दुकानदार भी इस बात को भली भांति समझ रहे हैं. यह हांगकांग मार्केट में देखा भी जा रहा है. दुकानदार मन मार कर बैठे हैं. ग्राहक बगल से गुजर जाते हैं. ज्यादातर ग्राहक सामान देखने के लिए आते हैं. खरीदने वाले बहुत कम.
वर्तमान में हांगकांग मार्केट का विवाद आरोपी दुकानदारों द्वारा कथित रूप से माफी मांगने के बाद लगभग शांत सा पड़ गया है. लेकिन जख्म ताजा है. भरने में वक्त तो लगेगा ही. ग्राहक और दुकानदार के रिश्ते प्रगाढ होते हैं. तभी दुकानदारी चलती है. दुकानदार को कोई हक नहीं है कि वह किसी ग्राहक का मजाक उड़ाए अथवा ग्राहक पर गुस्सा उतारे. दुकानदार को संयम और धैर्य के साथ दुकानदारी करनी चाहिए.
कुछ दुकानदारों की गलती की सजा हॉन्गकॉन्ग मार्केट के पूरे व्यापारी और दुकानदार भुगत रहे हैं. यहां दुकान तो खुली हैं. परंतु दुकानदारों को खुद पता नहीं कि कब उनकी दुकानदारी रंग पकड़ेगी. पहाड़ से जो ग्राहक आ रहे हैं, वह नाम मात्र को हैं. या फिर ऐसे लोग हैं जिन्हें इस क्षेत्र में पूर्व में घटी घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि पूर्व की घटना के बाद दुकानदार भी ग्राहकों से संभल कर बात कर रहे हैं. शायद उन्हें समझ में आ गया है कि ग्राहक भगवान होते हैं और भगवान का कभी मजाक नहीं उड़ाना चाहिए.