पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों की सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा ने अपने चुनावी अभियान को पूरी गति देने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। इस क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 दिसंबर को बंगाल का दौरा करेंगे और नादिया जिले में जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी राज्य का दौरा करेंगे और बूथ स्तर पर संगठन की तैयारियों का जायजा लेंगे।
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी बंगाल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक भी करेंगे। इसमें संगठन की तैयारियों, चुनावी रणनीति, प्रमुख मुद्दों और अभियान की दिशा पर चर्चा होगी। भाजपा राज्यभर में व्यापक जनसंपर्क अभियान की योजना बना रही है। इसके तहत जनवरी में चार से छह प्रमुख “परिवर्तन यात्राओं” का आयोजन किया जाएगा, जिनका उद्देश्य जनता से सीधे संवाद करना और संगठन को मजबूत करना है।
भाजपा आगामी चुनाव में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा, घुसपैठ और स्थानीय शासन से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी। पार्टी की रणनीति है कि जनता तक अपने संदेश को प्रभावी ढंग से पहुंचाया जाए और तृणमूल सरकार की विफलताओं को उजागर किया जा सके।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल के भाजपा सांसदों के साथ संसद भवन में अहम बैठक की थी। इसमें मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) पर विशेष चर्चा हुई। चार नवंबर से बंगाल में एसआइआर प्रक्रिया शुरू हुई है, जिसमें कई फर्जी मतदाताओं की पहचान हुई। प्रधानमंत्री ने सांसदों को निर्देश दिया कि वे जनता के सामने सही जानकारी रखें और फर्जी मतदाता सूची से मुक्त होने के प्रयासों के बारे में जागरूकता फैलाएं।
भाजपा इस चुनाव में न केवल संगठन और जनसंपर्क पर ध्यान दे रही है, बल्कि फर्जी मतदाता और अवैध घुसपैठियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी। पीएम मोदी और अमित शाह के दौरे के माध्यम से भाजपा ने पश्चिम बंगाल में चुनावी मोर्चा संभाल लिया है और आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी पूरी गति से कर रही है।
विशेष रूप से यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा राज्य में युवा और महिला वोटरों तक अपने संदेश को पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया और डिजिटल अभियान पर भी जोर दे रही है। पार्टी ने स्थानीय नेतृत्व को निर्देश दिया है कि वे क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जनसभाओं और संवाद कार्यक्रमों को तेज गति से आयोजित करें, ताकि चुनावी माहौल में अपने प्रभाव को और मजबूत किया जा सके।
वहीं, दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस (TMC) में आंतरिक कलह की स्थिति देखने को मिल रही है। हुमायूं कबीर को पार्टी से सस्पेंड किया गया है। पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले में दखल देने से साफ मना कर दिया है और कहा कि राज्य में शांति स्थापित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम राज्य सरकार का है।
तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर 2025 को मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखने का एलान किया। 6 दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद हुमायूं कबीर ने इसी दिन मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखने का ऐलान किया। इस विवाद के बाद TMC ने हुमायूं को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हुमायूं अब पार्टी की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार, टीएमसी के कुछ वरिष्ठ नेता और संगठनात्मक इकाइयाँ आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति और नेतृत्व चयन में असहमति जता रही हैं। इस स्थिति ने पार्टी के अंदर हलचल बढ़ा दी है और विपक्षी दलों के लिए अवसर पैदा किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टीएमसी में बढ़ती असंतोष की लहर भाजपा के लिए चुनावी माहौल को और अनुकूल बना सकती है।
