पिछले कुछ दिनों से सिलीगुड़ी से लेकर कोलकाता तक मासूम और नाबालिग बच्चियों के साथ हैवानियत की बढती घटनाओं से पता चलता है कि दुष्कर्मियों को पुलिस और कानून का कोई खौफ नहीं है. ऐसे मामलों में जहां तक हो सके, पुलिस अपने कर्तव्य का पालन तो करती है, परंतु ऐसे मामलों में सख्ती नहीं होने और कानून में छेद होने से अपराधी आसानी से छूट जाते हैं. ऐसे मामलों में देर सवेर आरोपियों की जमानत हो हो जाती है.
पिछले दिनों एनजेपी के शांति पाड़ा इलाके में एक नाबालिग लड़की के साथ गलत व्यवहार किया गया था. आरोपी ने अपनी पैंट की जिप खोलकर नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की थी. इसी तरह से माटीगाड़ा थाना के अंतर्गत एक आदिवासी मासूम लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया था. आरोपी ने उसे दुकान में बुलाया और प्रलोभन देकर उसके साथ दुष्कर्म किया था. जिसका खुलासा बाद में हुआ था. माटीगाड़ा पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार तो कर लिया है, परंतु आरोपी कितने दिनों तक जेल में रह सकता है, यह भी एक बड़ा सवाल है!
सबसे ताजा और शर्मनाक घटना हुगली जिला की है, जहां एक 4 साल की मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी की गई है. लेकिन पुलिस ने अभी तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है. पीड़ित बच्ची एक बंजारन परिवार से आती है. यह घटना तारकेश्वर की है.इस तरह की बहुत ही घटनाएं पिछले कुछ दिनों से यहां घट रही है. इसके बाद बंगाल का सियासी पारा चढ़ गया है.
एक बार फिर बंगाल पुलिस और बंगाल सरकार विपक्ष के निशाने पर है. विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बंगाल पुलिस पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि कहां है पुलिस और कहां है पुलिस का कानून, जब एक 4 साल की मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी होने पर पुलिस सोती रहती है और पीड़िता के परिवार की ओर से FIR दर्ज करने से इनकार कर देती है! इस तरह की घटना से साबित होता है कि बंगाल में कानून का राज नहीं है. पूरा मामला क्या है, जानिए आप भी.
झुग्गी झोंपड़ी टूटने के बाद बंजारन रेलवे शेड में आकर रहने लगी. उसकी एक पोती भी थी, जिसकी उम्र लगभग 4 साल थी. बंजारन दादी हमेशा पोती को अपने सीने से लगाकर रखती और रात में अपने साथ ही मच्छरदानी लगाकर सुलाती थी. मासूम बच्ची अपनी दादी से रात में कहानी सुना करती थी. कहानी सुनते-सुनते उसे नींद आ जाती और वह दादी के साथ ही चिपक कर सो जाती.
लेकिन एक रात वह हो गया, जिसकी कल्पना ना तो दादी और ना ही किसी ने की थी. रात में अपनी पोती को खाना खिलाकर दादी उसे कथा कहानी सुना रही थी. बच्ची को नींद आ गई तो वह दादी के साथ ही सो गई. बाद में दादी भी गहरी निंद्रा में सो गई. सुबह जब दादी की नींद टूटी तो उसने देखा कि उसके बिस्तर पर उसकी पोती नहीं है. उसने इधर-उधर देखा और फिर उसकी नजर मच्छरदानी के कटे हुए भाग पर पड़ गई. दादी की समझ में आ गया कि कोई चुपके से आया और मच्छरदानी काटकर उसकी मासूम बच्ची को उठा ले गया.
यह घटना हुगली जिला के तारकेश्वर की है. रेलवे शेड से एक मासूम बच्ची को रात में उठाकर ले जाने की घटना ने पूरे तारकेश्वर रेलवे स्टेशन के आसपास के माहौल को उत्तेजित कर दिया और जब तारकेश्वर रेलवे हाइड्रेन के पास से बच्ची को रक्त रंजित अवस्था में नग्न पाया गया, तो पूरी बंजारन बिरादरी के साथ ही आसपास के रहने वाले लोग भी सन्नाटे में आ गए. बच्ची की स्थिति देखकर साफ पता चलता था कि उसके साथ दरिंदगी की गई थी. उसी समय कुछ बंजारा महिलाएं पुलिस को बुलाने लगी और स्वयं बच्ची को लेकर थाना पहुंच गई.
पुलिस ने पहले तो मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया और बाद में मासूम बच्ची को चिकित्सा के लिए तारकेश्वर ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कर दिया. जब यह मामला गरमाने लगा तब पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप से तारकेश्वर थाना की पुलिस ने पीड़िता पक्ष की ओर से दिए गए आवेदन पर अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. बच्ची की हालत काफी गंभीर थी. तारकेश्वर के सहायक पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का पुलिस को निर्देश दिया
यह कोई पहली घटना नहीं है. पिछले कुछ समय से पूरे बंगाल में इस तरह की कई घटनाएं घटी हैं. बरहाल पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है और आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने की कोशिश कर रही है. जब तक लोगों में पुलिस और कानून का खौफ नहीं होगा तब तक इस तरह की घटनाओं पर नियंत्रण पाना आसान नहीं होगा. सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों में बालिकाओं के साथ दुष्कर्म की घटना ने भी पुलिस की कार्य शैली पर सवाल खड़े किए हैं.
