November 14, 2025
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फर्जी कागजातों के आधार पर भारतीय बने 400 बांग्लादेशी घुसपैठियों की हुई पहचान!

1 crore fake voters, including Rohingyas and Bangladeshis, will be removed from SIR in Bengal including Siliguri: Shubhendu Adhikari's big claim!

पश्चिम बंगाल में SIR लागू होने से पहले ही बांग्लादेशी घुसपैठियों में हड़कंप मच गया है. बहुत सारे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान ईडी कर रही है, जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे बंगाल में रह रहे हैं. अब तक 400 बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर ली गई है, जिनके पास फर्जी पासपोर्ट तथा फर्जी कागजात हैं.

पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिक बनाने के लिए कैसे-कैसे हथकंडे अपनाए जाते थे, उन्हें नागरिकता कैसे दी जाती थी, इसके एवज में उनसे कितने पैसे लिए जाते थे, कागजात कौन बनाता था, डाकघर से बांग्लादेशियों को पासपोर्ट कैसे मिलता था, इत्यादि बहुत सी बातों का खुलासा ईडी ने कर दिया है. आप भी जानकर हैरान रह जाएंगे.

फर्जी पासपोर्ट रैकेट की जांच कर रही ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि रैकेट में पाकिस्तान, बांग्लादेश और कई अन्य देशों के तार जुड़े हुए हैं, जो बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी पासपोर्ट तैयार करते थे. ED ने पाया है कि इस क्रम में अब तक दो करोड रुपए से ज्यादा का लेनदेन हुआ है. ED के पास इसके साक्ष्य भी उपलब्ध हैं.

रैकेट में पाकिस्तान का नागरिक आजाद मालिक और उसका एक सहयोगी इंदू भूषण सरगना बताए जा रहे हैं. पहले इंदू भूषण आजाद मलिक का क्लाइंट था. आजाद मलिक ने उसका फर्जी पासपोर्ट तैयार किया था. धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती गहरी होती चली गई. बाद में इंदू भूषण भी आजाद मलिक की तरह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी पासपोर्ट तैयार करने लगा.

इंदू भूषण के जरिए ही हवाला का लेनदेन होता था. वह इसके साथ ही फर्जी पहचान पत्र बनाने का काम भी करता था. कोलकाता के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार ED के अधिकारियों ने कुछ ही दिनों पहले नदिया जिले के चकदह से फर्जी पासपोर्ट रैकेट के मामले में मुख्य संचालक इंदू भूषण को गिरफ्तार किया था और उससे पूछताछ के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई.

इंदू भूषण ने इडी को बताया है कि वह पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक के लिए काम करता है और उसका सहयोगी है. पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक को इस साल की शुरुआत में ही गिरफ्तार कर लिया गया था. पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक फर्जी कागजातों के आधार पर भारतीय नागरिक बन गया. इसके बाद उसने कोलकाता में एक मकान किराए पर लेकर फर्जी पासपोर्ट बनाना शुरु कर दिया.

मिली जानकारी के अनुसार आजाद मलिक ने इंदू भूषण की काबिलियत को परखा और यह देखा कि उसका किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. उसने इंदू भूषण को बांग्लादेशी घुसपैठियों से संपर्क और उन्हें भारतीय नागरिक बनाने के लिए मध्यस्थता का कार्य सौंप दिया. इस कार्य में उसे काफी सफलता मिली. सूत्रों ने बताया कि इंदू भूषण और आजाद मालिक दोनों ने मिलकर 7 और लोगों के पासपोर्ट बनाए. इंदू भूषण बिचौलिए का काम करता था. वह बांग्लादेशी घुसपैठियों से रकम ट्रांसफर कराता था और आजाद मलिक समेत कई लोगों तक रकम पहुंचाया जाता था.

इंदू भूषण के पास काफी पैसे हो गए तो उसने एक कैफे किराए पर लिया, जिसका वह मासिक भुगतान ₹15000 करता था. उसने आजाद मलिक की निगरानी में फर्जी दस्तावेजों के सहारे 300 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों के पासपोर्ट बनाए. यह इंदू भूषण ही था जो बांग्लादेशी घुसपैठियों के संपर्क में था और उन्हें भारतीय नागरिक बनाने के लिए आजाद मालिक से संपर्क कराता था. खुद वही उनका पासपोर्ट भी बनाता था.

सूत्रों ने बताया कि इंदू भूषण और आजाद मलिक बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाते थे और इसके आधार पर उनका नाम बंगाल की मतदाता सूची में शामिल कराया जाता था. इनका पता भी फर्जी होता था. इसी फर्जी पते के आधार पर बांग्लादेशियों का पासपोर्ट तैयार कर दिया जाता था. फर्जी दस्तावेजों की जांच इसलिए नहीं होती थी, क्योंकि नीचे से ऊपर तक सभी इस खेल में मिले होते थे.

सूत्रों ने दावा किया कि जब बांग्लादेशी घुसपैठियों के पासपोर्ट डाकघर पहुंच जाते थे, तो जिनके पासपोर्ट होते थे, वह खुद डाकघर के कर्मचारियों के संपर्क में होते थे. जाहिर है कि डाकघर के कर्मचारी भी इस खेल में शामिल होते थे. कर्मचारियों से उन्हें सीधा पासपोर्ट मिल जाता था. सूत्रों ने बताया कि एक पासपोर्ट बनाने के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों से ₹500000 लिए जाते थे. इस तरह से इडी ने रैकेट का भंडाफोड़ करके कुल 400 बांग्लादेशियों की फर्जी भारतीय नागरिकता का पता लगाया है, जिसके बाद बंगाल की राजनीति में हड़कंप मच गया है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब बंगाल में SIR लागू हो जाएगा, तब अनेक बांग्लादेशी घुसपैठिए सामने आएंगे ही, इसके साथ ही फर्जी कागजातों के आधार पर बंगाल की नागरिकता पाने वाले बहुत से बांग्लादेशी घुसपैठिए भी पकड़े जाएंगे. और तब बंगाल की राजनीति में तूफान खड़ा होगा, जिसको रोकना आसान नहीं होगा!

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