आखिर वह हो गया, जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी.आरजीकर कांड में धरना,प्रदर्शन और भूख हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में आरजीकर अस्पताल के 50 सीनियर डॉक्टरों ने अपने पद से सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि सरकार को आंदोलनकारी डॉक्टरों की मांगों पर तुरंत फैसला करना चाहिए.
इस बीच जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन जारी है. अब सीनियर डॉक्टर भी उनके समर्थन में खुलकर सामने आ चुके हैं. यहां तक कि विभाग अध्यक्ष भी उनके समर्थन में अपना इस्तीफा दे चुके हैं. आंदोलन का समर्थन कर रहे एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि आमरण अनशन डॉक्टर का आखिरी हथियार है. जूनियर डॉक्टर आर पार की लड़ाई लड़ना चाहते हैं. वह पिछले तीन दिनों से अनशन पर हैं. लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है.
डॉक्टरों का कहना है कि हम चाहते हैं कि सरकार इस पर जल्द कार्रवाई करे. अगर सरकार ने विलंब किया तो आज हमने सामूहिक इस्तीफा दिया है, कल यह व्यक्तिगत इस्तीफा पर आ सकता है. सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों का यह सामूहिक इस्तीफा दूसरे अस्पतालों के डॉक्टर्स को भी दबाव में डाल सकता है. जानकारी मिली है कि एसएसकेएम, एन आर एस और दूसरे कई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी इसी राह पर कदम बढा सकते हैं. सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए ऐसे कदम राज्य के दूसरे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी उठा सकते हैं.
इस बीच राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने का अनुरोध किया है. सूत्रों ने बताया कि आने वाले समय में राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है. सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पर भी ग्रहण लगता दिख रहा है. वर्तमान में इस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था में कुछ सुधार जरूर हुआ था, पर आज के घटनाक्रम को देखते हुए यह कयास लगाया जा रहा है कि यहां के डॉक्टर भी कुछ इसी तरह के कदम उठा सकते हैं.
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