सोशल मीडिया का क्रेज सारी दुनिया में है. सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां व्यक्ति विश्व से जुड़ जाता है. नेपाल सरकार ने नेपाल में कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बंद कर दिया था. इसके खिलाफ हजारों की संख्या में Gen-Z लड़के और लड़कियां नेपाल की संसद परिसर में घुस गए और सड़कों पर हंगामा करने लगे. नेपाल पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए गोलीबारी की, आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की.
बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है. प्रदर्शनकारी हिंसक होते जा रहे हैं. आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.कई इमारतों को आग लगा दी है. पुलिस गोलीबारी में कम से कम 8 लोगों के मरने की खबर है, जबकि 80 से 100 प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं. इस बीच काठमांडू प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वाले प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है.
सोमवार सुबह 9:00 बजे से ही राजधानी काठमांडू के मेती घर इलाके में प्रदर्शनकारियों ने जमा होकर सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद की. प्रदर्शन का आयोजन हामी नेपाली समूह ने किया है. हामी नेपाल के चेयरपर्सन सुधन गुरुंग के अनुसार यह विरोध सरकार की कार्य प्रणाली और भ्रष्टाचार के खिलाफ है. नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने भारत नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है. पानी टंकी इलाके में SSB के जवान चौकस है.
मिली जानकारी के अनुसार प्रशासन ने काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया है. प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. दमाक में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी. इसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं. सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस की यह कार्रवाई तब हुई, जब प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे.
नेपाल में सरकार के द्वारा 4 सितंबर को फेसबुक, एक्स, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाया गया. दरअसल सरकार ने 2024 में एक नया कानून लागू किया था. इसके अनुसार सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में अपना कार्य करने के लिए स्थानीय कार्यालय स्थापित करना जरूरी था और टैक्सपेयर के रूप में पंजीकरण करना अनिवार्य था. इस नियम का पालन जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने किया, उनमें टिकटोक, वाइबर, निम्बस, विटक और पोपो लाइव आदि शामिल थे. इन सभी पर बैन नहीं लगाया गया है.
जिन सोशल मीडिया ने सरकारी निर्देश का पालन नहीं किया है, उन्हें काम करने की अनुमति नहीं है. हालांकि नेपाल और काठमांडू में यह भी चर्चा है कि वहां की सरकार ने यह कार्रवाई एक साजिश के तहत की है. जो मीडिया प्लेटफॉर्म सरकार के भ्रष्टाचार और तानाशाही की खबरें चला रहे थे, उन्हीं पर कार्रवाई हुई है. जबकि कई लोगों का यह भी मानना है कि यह प्रतिबंध राजतंत्र समर्थकों के प्रदर्शन और सरकार विरोधी भावनाओं को दबाने के लिए किया गया है, जो हाल के दिनों मे नेपाल में देखने को मिला है.
हालांकि सरकार ने जो तर्क दिया है, उसके अनुसार यह सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अनियंत्रित कंटेंट, फर्जी खबरें, उकसाने वाले कंटेंट आदि अवैध गतिविधियों को चला रहे थे. इन सभी अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करना जरूरी था .इसलिए सरकार ने यह कदम उठाया. हालांकि नेपाल में विशेषज्ञ सरकार के इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं और इसकी वहां पुरजोर आलोचना हो रही है.
जानकारों के अनुसार नेपाल में प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के खिलाफ क्रांति शुरू की गई है, जिसका नाम Gen-Z रिवॉल्यूशन है. इस क्रांति में शामिल युवा सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करना चाहते हैं. इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि युवाओं की क्रांति की यह चिंगारी दूर-दूर तक न जाए, यह सोचकर फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई. युवाओं की क्रांति को काठमांडू के मेयर का भी समर्थन मिल रहा है.
इस बीच सरकार ने संकेत दिया है कि सरकार प्रदर्शनकारियों के आगे घुटने नहीं टेकेगी और लगाए गए सोशल मीडिया पर बैन तभी हटेगा, जब वे कंपनियां नेपाल में सरकार के निर्देशों और नियमों का पालन करने लगे. बहरहाल देखना होगा कि नेपाल में सरकार के खिलाफ प्रदर्शनकारियों का यह आंदोलन कहां तक जाता है? क्या सरकार प्रदर्शनकारियों के आगे घुटने टेक देती है या प्रदर्शन को कुचलने के लिए सरकार कोई नया रास्ता अपनाती है?