मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का उत्तर बंगाल दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दक्षिण बंगाल में भाषा आंदोलन के नाम पर बंगाली और गैर बंगाली का मुद्दा हावी है. इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लगातार माहौल गरमाया हुआ है. इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के द्वारा भारतीय सेना को एक राष्ट्रीय पार्टी का कैडर बताए जाने के बाद भाजपा तथा दूसरे संगठनों के द्वारा मुख्यमंत्री की लगातार आलोचना हो रही है. ऐसे माहौल में राजनीतिक विश्लेषक मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे को राजनीतिक तपिश बढ़ाने वाला मान रहे हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 9 सितंबर को उत्तर बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर सिलीगुड़ी आ रही हैं. मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री 9 सितंबर को सिलीगुड़ी में तथा 10 सितंबर को जलपाईगुड़ी में प्रशासनिक सभा करने वाली हैं. उनकी उत्तर बंगाल यात्रा के मद्देनजर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं. मुख्यमंत्री जलपाईगुड़ी शहर के एबीपीसी मैदान में प्रशासनिक सभा करने वाली हैं. उनकी यात्रा को देखते हुए पुलिस, प्रशासनिक, पार्टी के पदाधिकारियों की भाग दौड़ बढ़ गई है.
मुख्यमंत्री का उत्तर बंगाल दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब प्रदेश में भाषा आंदोलन जोरों पर है. दक्षिण बंगाल में बंगाली और गैर बंगाली का मुद्दा सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. हालांकि उत्तर बंगाल अभी शांत है. लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि बांग्ला भाषा मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस उत्तर बंगाल में भी आंदोलन तेज करने वाली है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाषा आंदोलन की कमान संभाल रखी है. उनके इशारे पर उत्तर बंगाल में भी यह आंदोलन किया जाने वाला है. राजनीतिक पंडितों के अनुसार मुख्यमंत्री 2026 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पूरे बंगाल में इस रणनीति को अंजाम दे सकती हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2026 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी बांग्ला भाषा मुद्दे पर ब्लॉक, वार्ड और अंचल स्तर पर आंदोलन करने की तैयारी कर रही है. तृणमूल कांग्रेस के बहुत से संगठन इस कार्य में लग गए हैं. उनके द्वारा रैली और सभाएं भी आयोजित की जाने वाली है. भाषा आंदोलन को लेकर तृणमूल दार्जिलिंग जिला कोर कमेटी की ओर से एक रणनीति तैयार की जा रही है. कयास लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल दौरे के क्रम में इस मुद्दे पर पार्टी पदाधिकारियों के साथ अलग से बैठक करके उन्हें गुरु मंत्र दे सकती हैं.
उत्तर बंगाल भाजपा का गढ़ माना जाता है. जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रणनीति ऐसी होगी कि यहां बांग्ला भाषा के मुद्दे पर बांग्ला भाषियों का विश्वास जीता जाए, ताकि परंपरागत रूप से बंगालियों का भाजपा को मिलने वाला वोट बीजेपी को नहीं मिलकर उनकी पार्टी को मिले. मुख्यमंत्री को लगता है कि इस रणनीति के बल पर उत्तर बंगाल में भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकती है. हालांकि यह सब अभी संभावनाओं और आशंकाओं की बात है. क्योंकि मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे के निहित उद्देश्यों को मीडिया में सार्वजनिक नहीं किया गया है.
बहरहाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 9 या 10 सितंबर को एबीपीसी के जिस मैदान में प्रशासनिक सभा करने वाली हैं, वहां सुरक्षा और तैयारी का काम जोरों से चल रहा है. अतिरिक्त जिला शासक धीमान बारूई और जलपाईगुड़ी नगर पालिका के उपाध्यक्ष सैकत चटर्जी पहले ही एबीपीसी मैदान का निरीक्षण कर चुके हैं और अब वहां प्रशासनिक हलचल तेज है. मुख्यमंत्री के सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी आगमन को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं.
अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मुख्यमंत्री क्या केवल प्रशासनिक सभा करेंगी या फिर पार्टी संगठन की बैठक भी करने वाली है. क्योंकि भाजपा की तरह तृणमूल कांग्रेस में भी गुटबाजी चरम पर है. इसलिए यह कयास लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्टी के संगठनात्मक स्तर पर कोई निर्णायक फैसला कर सकती हैं. और दागी चेहरे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकती है.
इस संभावना को देखते हुए जलपाईगुड़ी शहर के मर्चेंट रोड पर तृणमूल के साउंड ब्लॉक अध्यक्ष शेखर बनर्जी ने कल्याण चक्रवर्ती भवन में एक संगठनात्मक बैठक की. नगरपालिका क्षेत्र के सभी वार्ड अध्यक्षों, पार्षदों और जिला नेतृत्व ने बैठक में भाग लिया. हालांकि महुआ गोप ने बताया कि मुख्यमंत्री कोई संगठनात्मक बैठक करेगी या नहीं, यह मुख्यमंत्री ही जानती हैं.