एक हफ्ते में एक पर एक 90 लड़कियों की बरामदगी के बाद अब इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि सिलीगुड़ी और आसपास के इलाके मानव तस्करों के गढ के रूप में तब्दील हो गए हैं. कुछ दिन पहले कैपिटल एक्सप्रेस से 56 लड़कियों को एनजेपी स्टेशन पर बचाया गया था. उसके बाद यह दूसरा बड़ा मामला है, जब सिलीगुड़ी जंक्शन बस स्टैंड से झारखंड जाने वाली एक बस से 34 लड़कियों को सकुशल बरामद किया गया.
एक गुप्त सूचना के आधार पर SSB सिलीगुड़ी फ्रंटियर और प्रधान नगर थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए लड़कियों को तस्करों के चंगुल में जाने से बचा लिया. पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि बस से बरामद 34 लड़कियों को रांची होते हुए तमिलनाडु ले जाया जा रहा था. जहां उन्हें कपड़े की फैक्ट्री में काम दिलाने का झांसा मानव तस्करों की ओर से दिया गया था. हालांकि बस से बरामद किसी भी लड़की का इस संदर्भ में कोई बयान सामने नहीं आया है. फिलहाल बरामद सभी 34 लड़कियों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है.
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस ने इस संदर्भ में इस कांड में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. उनके नाम सिलीगुड़ी के हैदरपाड़ा निवासी 28 वर्षीय गौतम रे, सिलीगुड़ी के ही सेवक रोड निवासी 32 वर्षीय जयश्री पाल और मेटिली का 42 वर्षीय पेट्रस बेक. पुलिस ने उनके खिलाफ मानव तस्करी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आज सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें पांच दिनों के रिमांड पर भेज दिया गया है. पुलिस हिरासत में आरोपी गौतम राय ने कहा कि वह निर्दोष है. उसने बताया कि पुलिस और कोर्ट को उसने सभी दस्तावेज सौंप दिए हैं. उसने दावा किया कि जिन लड़कियों को वे नौकरी के लिए तमिलनाडु भेज रहे थे, उनमें से कोई भी लड़की नाबालिग नहीं है.
उसने मीडिया के सामने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है कि चाय बागान एक-एक करके बंद हो रहे हैं. उसकी संस्था ऐसी लड़कियों को ट्रेनिंग देकर रोजगार के लिए बाहर भेजती है, तो इसमें बुराई क्या है. गौतम राय की मां ने मीडिया के सामने रोते हुए कहा कि उसका बेटा निर्दोष है. वह लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना चाहता था और पिछले कई सालों से संस्था में नौकरी कर रहा है. जबकि दूसरी ओर सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस और डीसीपी विश्व च॔द ठाकुर का कहना है कि आरंभिक जांच में मानव तस्करी की साजिश नजर आती है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार मानव तस्करी का संचालन तमिलनाडु से किया जा रहा था.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी के भावेश मोड़ स्थित एक किराए के मकान में एक प्रशिक्षण केंद्र और छात्रावास चलाया जा रहा था. जहां जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, अलीपुरद्वार और आसपास के इलाकों से गरीब परिवार की लड़कियां आकर रहती थीं और नौकरी रोजगार के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करती थीं. उन्हें बुनियादी प्रशिक्षण देने के बाद शहर से बाहर दूसरे राज्यों में भेजा जाता था. पुलिस ने उक्त शैक्षणिक और चैरिटेबल संस्थान के परियोजना निदेशक वीरेंद्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. उधर एनजेपी रेलवे स्टेशन से बरामद 56 लड़कियों के मामले में रेलवे और जीआरपी पुलिस ने मानव तस्करों और एजेंट की तलाश तेज कर दी है
अब तक जीआरपी को जो जानकारी हाथ लगी है, उसके अनुसार इन लड़कियों को बाहर भेजने से पहले प्रशिक्षण दिया जाता था. रेलवे पुलिस ने संस्थान से अब तक भेजे गए 12 बैचों की जांच भी शुरू कर दी है. पुलिस को शक है कि पहले भेजी गई युवतियों में से 56 लड़कियों को संपर्क करवा कर विश्वास जीतने की कोशिश की गई थी. अब उन पूर्व बैच की लड़कियों की पहचान की जा रही है. पुलिस यह पता लगा रही है कि क्या 56 में से कोई उनके नाम, मोबाइल नंबर या ठिकाने की जानकारी रखती है.
अनेक अध्ययनों और पूर्व के घटनाक्रमों के विश्लेषण से पता चलता है कि सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, अलीपुरद्वार, Dooars और पहाड़ के बस्ती क्षेत्रों में गरीबी ज्यादा है. जहां लोग 2 जून रोटी के लिए परेशान रहते हैं. मानव तस्कर यहीं से भोली भाली और मासूम लड़कियों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर उन्हें आसानी से अपने जाल में फांस लेते हैं. जांच एजेंसियां उत्तर बंगाल और झारखंड से जुड़े एजेंटों की एक सूची तैयार कर रही है. जो इस नेटवर्क को जमीनी स्तर पर चला रहे हैं. संस्थान से जब्त दस्तावेज और कंप्यूटरों की सहायता से पूर्व बैच की लड़कियों की सूची तैयार की जा रही है. इससे उम्मीद की जा रही है कि रैकेट के पूरे नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में बड़ी सफलता मिल सकती है.