सिलीगुड़ी में हाल के दिनों में कुछ निजी कारों में विंडस्क्रीन पर काला शीशा अथवा ब्लैक स्टीकर लगाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है. सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस और ट्रैफिक विभाग इसको लेकर गंभीर हुआ है. केंद्रीय मोटर व्हीकल्स एक्ट के अनुसार किसी भी वाहन के विंड स्क्रीन पर आप काला शीशा अथवा ब्लैक स्टीकर नहीं लगा सकते. ऐसा करना कानूनी जुर्म है.
विंडस्क्रीन पर केवल पारदर्शी ग्लास लगाने की व्यवस्था है. उद्देश्य यही है कि कार में सवार लोगों की पहचान सुनिश्चित हो सके. यह भी पता चले कि कार में कोई अपराधी छिपकर तो नहीं जा रहा. अगर विंड स्क्रीन पर काला शीशा अथवा ब्लैक स्टीकर होगा तो कार में सवार लोगों की पहचान कैसे हो सकती है!
ऐसे अनेक मामले हैं जहां अपराधियों ने कार की विंडो स्क्रीन पर काला शीशा अथवा ब्लैक स्टीकर लगाकर अपराध को अंजाम दिया था और वे पकड़े नहीं गए. दिल्ली, मुंबई समेत देश के कई महानगरों में पूर्व में इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं, जब अपराधियों ने ब्लैक स्टिकर लगाकर ग्लास लगाकर हत्याकांड अथवा अपराध को अंजाम दिया था और पुलिस की आंखों में धूल झोंकने में सफल रहे थे.
पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी में कुछ निजी कारों पर ब्लैक स्टीकर लगते देखा गया. हाल के दिनों में सिलीगुड़ी में आपराधिक वारदातों में तेजी आई है. सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस को लगता है कि अपराधी वारदात को अंजाम देने के बाद फरार होने का इस तरह का तरीका अपना सकते हैं. यही कारण है कि सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के निर्देश के बाद सिलीगुड़ी ट्रैफिक के सभी गार्ड ब्लैक स्टीकर लगे ऐसी कारों की तलाश में जुट गए हैं.
आज एक ऐसी ही कार को कावाखाली ट्रेफिक गार्ड ने पकड़ा,जब कार तेजी से फर्राटे भरती हुई जा रही थी. कार के विंडस्क्रीन पर ब्लैक स्टीकर लगा था. यह देख कर पुलिस को आशंका हुई. पुलिस ने कार को रोकने का इशारा किया. ट्रेफिक गार्ड के इशारे पर कार चालक ने गाड़ी रोकी. इसके बाद ट्रेफिक गार्ड ने विंडो स्क्रीन पर लगे ब्लैक स्टीकर को हटवाया. इसके साथ ही कार मालिक पर जुर्माना भी लगाया गया है.आने वाले दिनों में सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस और ट्रैफिक विभाग का यह अभियान जारी रहेगा.