कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. लेकिन रेल से यात्रा करने वालों की भी कोई कमी नहीं है. यही कारण है कि इन दिनों टिकट कंफर्म नहीं हो रहा है.लोग वेटिंग अथवा आरएसी की कतार में हैं. दूसरी ओर लोगों की भीड़-भाड़ तथा टिकट नहीं मिलने की स्थिति को देखते हुए अनेक लोग जनरल टिकट लेकर यात्रा करने पर मजबूर हैं.
परंतु हालत यह है कि जनरल बोगी में जगह नहीं मिलने से लोग काफी परेशान हैं. लंबी दूरी की यात्रा करने वाले तो इस स्थिति में रेल यात्रा कर ही नहीं सकते. लेकिन अब उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं. भारतीय रेल की ओर से एक अद्भुत फैसला लिया गया है, जो यात्रियों के हित में है.
इससे बढ़कर खुशी यात्रियों को और क्या हो सकती है कि वह जनरल टिकट लेकर स्लीपर बोगी में सफर कर सकें. वह भी पूरी तरह सुरक्षित और निश्चिंत. ना उन्हें फाइन देना होगा और ना ही किसी तरह का कोई खतरा. भारतीय रेलवे ने इन दिनों देशभर में पड़ रही कड़ाके की सर्दी को देखते हुए यह फैसला लिया है.
भारतीय रेलवे ने देश के बुजुर्ग और गरीब रेल यात्रियों के हित में यह कदम उठाया है. इससे ऐसे यात्रियों को रेल यात्रा करने में सुविधा होगी. पहले जनरल टिकट लेकर आप स्लीपर कोच में यात्रा नहीं कर सकते थे. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता था तो टीटी के द्वारा उससे अतिरिक्त चार्ज वसूला जाता था. कई बार तो टीटी जनरल टिकट लेकर स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को स्टेशन पर ही उतार देते हैं.
रेलवे बोर्ड ने सभी मंडलों के प्रशासन से कहा है कि जिन ट्रेनों के स्लीपर कोच 80% से कम यात्री के साथ चल रहे हैं,उन सभी कोच का डिटेल भेजा जाए ताकि उन स्लीपर कोच को जनरल में बदलने का विचार किया जा सके. रेलवे ने यह कदम इसलिए उठाया है कि अधिकतर रेलयात्री इस मौसम में एसी में सफर कर रहे हैं और स्लीपर कोच इस समय खाली जा रहे हैं.
भारतीय रेलवे ने कड़ाके की ठंड में एसी कोच की मांग को देखते हुए एसी बोगियों की संख्या बढ़ाने का भी फैसला किया है. इस समय कड़ाके की सर्दी के चलते स्लीपर कोच में 80% तक सीटें खाली रह रही हैं. इसी को देखते हुए रेलवे ने यह फैसला किया है. जबकि दूसरी ओर जनरल कोच में जगह नहीं होने से रेल यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.
लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप किसी भी स्लीपर कोच में यात्रा कर सकें. दरअसल स्लीपर से जनरल बने कोच के बाहर अनारक्षित लिखा जाएगा. ऐसी ही बोगी में जनरल के यात्री सफर कर सकते हैं. जिनमें स्लीपर कोच जैसी सुविधा मिलेगी. परंतु ऐसे कोचों में मिडिल बर्थ को खोलने की अनुमति रेलवे के द्वारा किसी भी यात्री को नहीं रहेगी!