वैलेंटाइन डे बीत गया. सिलीगुड़ी के अनेक नौजवान लड़के लड़कियों ने वैलेंटाइन डे को अपने अपने अंदाज में मनाया. जबकि कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने 14 फरवरी को ब्लैक डे के रूप में भी मनाया. इस पर काफी प्रतिक्रियाएं भी आई… समाज से लेकर राजनीति के क्षेत्र में भी तीरों के तरकश चले. इन सबके बीच कुछ सवाल उठ रहे हैं, जो प्यार और मर्यादा शब्द को कलंकित कर रहे हैं.
सिलीगुड़ी की दो घटनाओं की चर्चा करना आवश्यक हो गया है. पहली घटना एनजेपी इलाके की है. एक पति ने अपनी पत्नी की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि पति की नजर में पत्नी चरित्रहीन थी. मूल रूप से कूचबिहार के रहने वाले सुदीप और सुप्रिया का लगभग 10 साल पहले विवाह हुआ था. उनकी गृहस्थी की गाड़ी मजे में चल रही थी. उनकी दो संतान भी है. लेकिन इसी बीच सुदीप को लगा कि उसकी पत्नी उससे दूर होती जा रही है. बस इसी बात को लेकर दोनों के बीच कहासुनी होने लगी. धीरे-धीरे उनके बीच मारपीट भी होने लगी. आखिर रोज-रोज की चिक चिक से परेशान होकर पत्नी सुदीप से अलग होकर अपने बच्चों के साथ सुर्यसेनकॉलोनी में किराए के मकान में रहने लगी. पति वहां भी पहुंच गया और पत्नी के साथ मारपीट करने लगा. 13 फरवरी को पति पत्नी से मिलने पहुंचा. वहां एक बार फिर हंगामा किया और इसके बाद पत्नी को चाकू गोदकर मार डाला!
दूसरी घटना की कहानी 2018 में शुरू होती है. जब सिलीगुड़ी के विधान रोड में ट्यूशन पढ़ने के क्रम में बाबूपाडा निवासी एक युवक अभिजीत बर्मन की एक लड़की से दोस्ती हो जाती है. दोस्ती शीघ्र ही प्यार में तब्दील हो जाती है. लड़का और लड़की दोनों ही वीडियो कॉलिंग करके अपने प्यार के अहसास को और प्रगाढ़ करने लगे.
कहते हैं कि कच्ची उम्र में लड़कियां जल्द ही लड़कों से प्रभावित हो जाती है. अभिजीत बर्मन ने बड़ी चालाकी से लड़की की अंतरंग तस्वीर अपने मोबाइल में कैद कर लिया और उसके बाद उसने लड़की को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. आखिर जो वह चाहता था वह उसने लड़की से पा लिया. वक्त बीतता रहा. इस बीच लड़की उच्च शिक्षा के लिए सिलीगुड़ी से कोलकाता चली गई तो दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगी. अभिजीत ने लड़की के साथ शादी करने का प्रस्ताव रख दिया जो उसे मंजूर नहीं हुआ. अब तक लड़की पिछली सारी घटनाओं को भुला चुकी थी जबकि दूसरी ओर अभिजीत पिछली घटनाओं को याद दिलाने का प्रयास कर रहा था. आखिर लड़की ने रोज-रोज के इस ड्रामे का पटाक्षेप कर दिया. उसने सिलीगुड़ी थाने में लिखित शिकायत कर ब्लैकमेलर लड़के को पकड़वा दिया.
उपरोक्त दो घटनाएं सिलीगुड़ी में चर्चा का विषय बनी हुई है. वैलेंटाइन डे तो गुजर गया, परंतु प्रश्न यह है कि क्या बदले समय में प्यार और विश्वास का यही हश्र होता है? क्या यही प्यार है?क्या यही प्यार की मर्यादा है? कहां गया लैला मजनू, शीरी फरहाद, रोमियो जूलियट का प्यार? जिसमें त्याग और समर्पण था. आज का प्यार स्वार्थ और फरेब की बिना पर पल रहा है. इसे ही लोग वैलेंटाइन डे या प्रेम दिवस के नाम से जानते हैं. सिलीगुड़ी शहर में वैलेंटाइन डे पर उत्सव का माहौल दिखा जरूर, परंतु यह नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे वैलेंटाइन डे का क्या, जहां प्रेम, वफा और विश्वास कलंकित होता हो!