बंगाल में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और देश विदेश में शांतिनिकेतन का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है. यह वही शांतिनिकेतन है, जिसकी स्थापना नोबेल पुरस्कार विजेता और विश्व कवि रविंद्र नाथ टैगोर ने की थी. पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित शांतिनिकेतन भारत की सांस्कृतिक गरिमामई पहचान है. यहां भारत की संस्कृति और परंपरा को सीखने और समझने के लिए विदेशों से भी छात्र आते हैं.
शांति निकेतन के महत्व को देखते हुए उसे काफी समय से यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में शामिल करने की मांग की जाती रही है. पश्चिम बंगाल सरकार और भारत का लगातार प्रयास अब र॔ग ला रहा है.यह खबर बंगाल के सम्मान को गौरव से लबरेज कर देता है, जब शांति निकेतन को लेकर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी का यह बयान सामने आता है कि शांतिनिकेतन विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने जा रहा है.
सिलीगुड़ी के लिए यह खबर इसलिए भी खास है कि हाल ही में रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती यहां धूमधाम से मनाई गई थी. सिलीगुड़ी के विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक तथा राजनीतिक संगठनों के द्वारा रविंद्र नाथ टैगोर जयंती को अलग अलग तरीके से मनाया गया था और कहीं ना कहीं यह भाव भी व्यक्त किया गया था कि उनके द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन को विश्व विरासत की सूची में शामिल करने का वक्त आ गया है. अब रविंद्र नाथ टैगोर को चाहने वालों की प्रार्थना कबूल हो चुकी है.
मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्रिय प्रयास के चलते यूनेस्को की विश्व विरासत सूची के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय आई सी ओ एम ओ एस ने शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश कर दी है. हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा होना बाकी है. यह घोषणा सितंबर 2023 में होने वाली है.
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सितंबर 2023 में सऊदी अरब के रियाद में विश्व विरासत समिति की बैठक होने जा रही है. इसी बैठक में शांतिनकेतन को लेकर औपचारिक घोषणा हो सकती है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी के बयान से पता चलता है कि भारत और बंगाल शांतिनिकेतन को लेकर क्या भाव रखते है! शांतिनिकेतन को विश्व विरासत सूची में शामिल करने के बाद रविंद्रनाथ टैगोर की जयंती अगले साल और धूमधाम से मनाई जाएगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है.