पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी समेत देश भर के बाजारों में टमाटर के भाव कोहराम मचाए हुए है. दुकानदारों ने टमाटर रखना बंद कर दिया है. आम आदमी की थाली से सब्जी में से टमाटर गायब हो चुका है. अब बिन टमाटर के ही सब्जी बनने लगी है. मजबूरी में लोगों को बिना टमाटर की सब्जी और सलाद खाना पड़ रहा है.
दिन प्रतिदिन टमाटर के भाव में तेजी आती जा रही है. कहीं-कहीं तो टमाटर ₹300 भी पार कर गया है.जून महीने में टमाटर की कीमत बढ़नी शुरू हुई जो अब तक जारी है. सिलीगुड़ी के कई छोटे-छोटे बाजार में टमाटर नहीं मिल रहा है.टमाटर के खरीदार भी कम होते जा रहे हैं. दूसरी ओर टमाटर के भाव लगातार बढ़ रहे हैं. क्या टमाटर के भाव में वृद्धि जारी रहेगी, यह सवाल आज प्रत्येक उपभोक्ता की जुबान पर है.
उपभोक्ता मामले विभाग के मुताबिक वर्तमान में देश के कम से कम 54 शहरों में टमाटर की कीमत ₹150 प्रति किलो अथवा इससे ज्यादा है. जबकि टमाटर की अधिकतम कीमत ₹244 प्रति किलो है. आंकड़ो के अनुसार देश में कम से कम 92 शहर ऐसे हैं,जहां टमाटर के दाम ₹100 प्रति किलो से कम है.दक्षिण सलमारा, मनकाचर और मामित में 1 किलो टमाटर आज भी ₹40 में मिल रहा है. धुबरी में ₹42 प्रति किलो, कोलार में ₹47 प्रति किलो, नागौर में ₹48 प्रति किलो और मंगलदोई, अशोक नगर ,झुंझुनू ,पाकुड़ ,गोलाघाट में ₹50 किलो मिल रहा है. देश के अन्य शहरों में टमाटर की कीमत बढ़ रही है.
टमाटर की कीमत बढ़ने के कारण भारी बरसात और तेज गर्मी बताया जा रहा है. नेशनल कमोडिटी मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय गुप्ता के अनुसार जब फरवरी और मार्च के बीच देश के बड़े हिस्से में शुरुआती गर्मी की लहर आई तो फसल का कुछ हिस्सा नष्ट हो गया. इसके अलावा टमाटर में कीटाणु लग जाने से पैदावार प्रभावित हुई. बाकी कसर बरसात ने निकाल दी. यही कारण है कि टमाटर के भाव में लगातार तेजी आ रही है.
पश्चिम बंगाल टमाटर का प्रमुख उत्पादक राज्य है.लेकिन पिछले दिनों की बरसात में टमाटर की खेती नष्ट हो गई. टमाटर का फसल चक्र आमतौर पर 60 से 90 दिनों का होता है. बरसात के समय भारी वर्षा के कारण टमाटर उत्पादक राज्यों में टमाटर की खेती करना मुश्किल काम है. टमाटर की खेती तभी होगी जब बारिश कम होगी. अगर टमाटर की रोपाई जुलाई अथवा अगस्त महीने में होती है तो इसको तैयार होने में कम से कम 2 महीने लग जाएंगे. तब तक इसके भाव बढ़ सकते हैं.
दूसरी ओर देश के विभिन्न भागों में टमाटर का उत्पादन अलग-अलग सीजन में होता है. महाराष्ट्र के नासिक जिले, नारायणगांव और महाराष्ट्र के औरंगाबाद में टमाटर की अधिक खेती की जाती है.इन क्षेत्रों में बारिश कम हुई है. सिलीगुड़ी के रेगुलेटेड मार्केट में ज्यादातर इन्हीं स्थानों से साग सब्जियां मंगाई जाती है. अतः इस बात की संभावना है कि अगस्त महीने अथवा सितंबर की शुरुआत में सिलीगुड़ी में टमाटर की कीमतें स्थिर होनी शुरू हो जाए. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने संकेत दिया है कि अगस्त के अंत अथवा जुलाई के प्रथम सप्ताह तक टमाटर की नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी. ऐसे में टमाटर के भाव भी कम होंगे.
सूत्रों ने बताया कि राज्य के लोगों को कुछ सस्ते में टमाटर उपलब्ध कराने के लिए राज्य खाद्य आपूर्ति विभाग और पश्चिम बंगाल सरकार सहकारी दुकानों के माध्यम से टमाटर बेचेगी. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है. इसका भाव ₹100 प्रति किलो से ज्यादा ही हो सकता है या फिर इसके आसपास . लोगों को राहत देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने सहकारी समितियों, एनसीसीएफ और नाफेड को टमाटर बेचने का आदेश दिया है.
सिलीगुड़ी के बाजार में टमाटर के बढ़ते दाम को लेकर रेगुलेटेड मार्केट के कुछ व्यापारियों ने बताया कि अगस्त महीने के अंत तक टमाटर के दाम में कुछ गिरावट आ सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो सितंबर में टमाटर के दाम फिर से पुरानी रेट पर आ जाएंगे.