सिक्किम को सिलीगुड़ी से रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की जो परियोजना चल रही है, उसमें लगातार रेलवे को सफलता मिलती जा रही है. सेवक से लेकर रंगपो तक का संपूर्ण क्षेत्र सुरंग में होगा. इसकी कुल लंबाई 45 किलोमीटर होगी और इस दूरी को रेल से तय करने में महज 1 घंटा का समय लगेगा. स्टेशन, गमनागमन सब कुछ सुरंग में होने की योजना बनाई गई है तथा उस दिशा में रात दिन काम चल रहा है. 2024 दिसंबर तक रेलवे के द्वारा लक्ष्य तय किया गया है. उससे पहले ही कार्य को संपन्न करने की तैयारी चल रही है.
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में स्कूल 14 सुरंग और 22 पुलों का निर्माण होगा. जबकि ट्रैक की क्षमता 22 टन संभालने की होगी. सुरंग में ट्रेन 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी. प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य भारतीय रेलवे कंस्ट्रक्शन इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है. प्रोजेक्ट के निदेशक हैं मोहिंदर सिंह. इस प्रोजेक्ट का 50% से भी ज्यादा काम पूरा किया जा चुका है. यह प्रोजेक्ट न केवल सामरिक दृष्टिकोण से बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.
सेवक और रंगपो के बीच तीन स्टेशन होंगे. रियांग, तीस्ता और मेली. तीस्ता स्टेशन भूमिगत होगा. पहली बार भारतीय रेलवे के द्वारा कोई भूमिगत स्टेशन बनाया जा रहा है.इस रूट पर माल गाड़ी भी चलेगी. क्योंकि सामरिक महत्व का यह रूट है. इसलिए सेना के जवानों को रसद और हथियार पहुंचाया जाएगा. क्योंकि यह पूरा प्रोजेक्ट सुरंग में ही संपन्न होता है. इसलिए सुरंग का ब्रेक थ्रू लगातार किया जाता रहा है. 45 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन में लगभग 86% या कहे कि 38.62 किलोमीटर केवल सुरंगे ही है. विगत दिन कारीगरों और निर्माण ठेकेदारों के द्वारा प्रोजेक्ट की सुरंग संख्या टी-3 के ब्रेक थ्रू को एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. टनल का ब्रेक थ्रू कार्यक्रम जो पिछले कई दिनों से चल रहा था, वह संपन्न हो चुका है.
यह कालीझोड़ा के अंतर्गत आता है. अब तक सात सुरंगो में खनन का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है. रात दिन चल रहे इस कार्य में एन एफ रेलवे ,इरकॉन परियोजना के अधिकारी, वन विभाग तथा दार्जिलिंग जिले के प्रशासनिक अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.जबकि निर्माण कार्यों में जिन एजेंसियों की सेवाएं ली जा रही है, उनमें मेसर्स आईटीडीसी, मैसर्स गैमन, मैसर्स एपीसीओ , पटेल इंजीनियरिंग, मेसर्स धोराजिया, डीडीसी, मेसर्स रॉयल इत्यादि शामिल है. जब भी कोई बड़ी सफलता हाथ लगती है तो अधिकारियों में विशेष उत्साह देखा जाता है. सुरंग संख्या तीन के खनन कार्य पूरा होने पर उनका उत्साह देखते बन रहा था.
आपको बताते चलें कि टनल 3 के मुख्य सुरंग की लंबाई बिना किसी बाधा के 1275 मीटर है, जो कालीझोड़ा और स्वेतीझोरा के बीच स्थित है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट इतना महत्वपूर्ण है कि इसके तैयार हो जाने से न केवल पर्यटन के क्षेत्र में समतल और पहाड़ का विकास होगा, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण मार्ग होगा. अब तक सेना के लिए रसद, हथियार आदि की आपूर्ति ट्रक के द्वारा की जाती है, जिसमें काफी समय लग जाता है. जब यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा तो मात्र 1 घंटे में सेना की ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं. सेना के मनोबल और शक्ति बढ़ाने के लिए भी यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
इस प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में रेल लाइन को सिक्किम की राजधानी गंगटोक तक ले जाया जाएगा. इससे सिक्किम देश के सभी शहरों से सीधा रेल मार्ग से जुड़ जाएगा. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से सिलीगुड़ी, सिक्किम तथा पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल ,भूटान सभी को फायदा होगा. जबकि चीन की मनमानी पर ब्रेक लगेगा. यही कारण है कि इस प्रोजेक्ट का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है.