काफी समय से सुना जा रहा है कि सरकार डीजल से चलने वाली गाड़ियां बंद करने जा रही है. ऐसा केवल डीजल और पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि के कारण नहीं, बल्कि भारत पर पर्यावरण प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन कम करने का दबाव बढ़ गया है. भारत चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है. यहां पूरे विश्व का 7 से 8% कार्बन उत्सर्जन होता है. भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक इसमें 45% की कमी लाई जाए.
सरकार चरणबद्ध तरीके से डीजल से चलने वाले वाहनों को हटाना चाहती है. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पहले ही अपनी मंशा स्पष्ट कर चुके हैं. सियाम के वार्षिक कन्वेंशन में उन्होंने एक बयान दिया है. भले ही उनका बयान मजाक में दिया गया हो, परंतु इसकी चर्चा काफी हो रही है. दरअसल नितिन गडकरी ने कन्वेंशन में कहा था कि जो लोग डीजल की गाड़ियां खरीदना चाहते हैं, उन्हें एक्स्ट्रा टैक्स देना होगा. इसका मतलब यह है कि सरकार नहीं चाहती कि ऑटोमोबाइल कंपनियां डीजल से चलने वाली कारों का निर्माण करे. यह एक तरह से ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए चेतावनी भी है.
नितिन गडकरी की योजना है कि डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर 10% का टैक्स लगाया जाए. हालांकि सरकार की फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है. यह बात स्वयं नितिन गडकरी ने भी कही है. लेकिन उन्होंने वाहन निर्माता कंपनियों को चेतावनी जरूर दी है कि वह डीजल से चलने वाले वाहन बनाना बंद कर दें अन्यथा ऐसे वाहनों को बेचना मुश्किल हो सकता है. भारत सरकार ने पहले ही भविष्य के भारत का खाका तैयार कर दिया है.
सरकार परिवहन के क्षेत्र में डीजल की जगह सीएनजी, इलेक्ट्रिक, इथेनॉल आदि का उपयोग करना चाहती है. यही कारण है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से निर्माण हो रहा है तथा ऐसे वाहन देश के लगभग सभी शहरों में आ भी गए हैं. सूत्रो ने बताया कि सरकार चाहती है कि 2027 तक शहरों से डीजल से चलने वाले वाहनों को एकदम बंद कर दिया जाए. इसी दिशा में चरणबाद तरीके से कदम उठाए जा रहे हैं. हाल ही में पेट्रोलियम मंत्रालय की एक सलाहकार समिति का सरकार ने गठन किया था.
समिति की रिपोर्ट आ गई है. सलाहकार समिति ने सरकार को अपनी सिफारिश में कहा है कि 2027 तक डीजल वाहनों की बिक्री बंद होनी चाहिए. इसके अलावा समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि 2024 के बाद डीजल से चलने वाली नई बसों का पंजीकरण बंद कर दिया जाए. जबकि समिति की तीसरी सिफारिश यह है कि 2030 के बाद सिर्फ इलेक्ट्रिक बस ही देश भर में चलाई जाए. कुल मिलाकर बात सामने आती है कि डीजल से चलने वाले वाहनों का जमाना खत्म होता जा रहा है. इसमें आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए कि अगले कुछ सालों में भारत की सड़कों पर केवल बिना डीजल के चलने वाले वाहन ही नजर आएंगे.