सोमवार की शाम सिलीगुड़ी के सेवक रोड से लेकर विधान रोड होते हुए हाशमी चौक तक लगा जाम सिलीगुड़ी की ट्रैफिक व्यवस्था की पोल खोल कर रख देता है. एक गणेश प्रतिमा के विसर्जन में जब सिलीगुड़ी ट्रैफिक विभाग नाकाम नजर आता है तो जरा कल्पना करिए कि अभी तो पूजा शुरू हुई है. दुर्गा पूजा, काली पूजा, जगाधत्री पूजा ,छठ पूजा बाकी है.तब क्या आलम होगा? जब एक साथ कई कई प्रतिमाएं विसर्जन के लिए नदी में ले जायी जाएंगी.
सिलीगुड़ी के लोगों की प्रतिक्रिया सिलीगुड़ी ट्रैफिक विभाग के लिए अच्छी नहीं है. लोगों का मानना है कि इतना बड़ा जाम उन्होंने अब तक के जीवन में नहीं देखा, जब सेवक रोड अचल हो गया. सेवक रोड पर पायल मोड़ से लेकर हाशमी चौक तक गाड़ियां अचल नजर आ रही थी. लोगों ने कहा कि इस जाम में पड़कर उन्होंने काफी नुकसान झेला है. किसी को व्यापारिक कार्य से समय पर पहुंचना था. तो कोई किसी से मिलने जाने वाला था. किसी को मुलाकात का समय दिया गया था तो कोई व्यापारी यह भी कह रहा था कि किसी पार्टी से उनकी महत्वपूर्ण मुलाकात होनी थी. इस जाम ने उनकी सारी योजना पर पानी फेर दिया.
लोग सवाल कर रहे हैं कि हाशमी चौक पर एक गणेश प्रतिमा के विसर्जन के क्रम में निकाली गई झांकी को लेकर यह जाम था,तो ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने पहले से कोई इंतजाम क्यों नहीं किया था? उन्होंने वाहन चालकों को उनके हाल पर छोड़ दिया. जब एक प्रतिमा के विसर्जन को लेकर इस तरह का सिलीगुड़ी में जाम लग जाता है तो ट्रैफिक विभाग किस काम का? सिलीगुड़ी नगर निगम और पुलिस कमिश्नर सी सुधाकर सिलीगुड़ी में ट्रैफिक जाम की समस्या हल करना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले ट्रैफिक अधिकारियों को सिखाना चाहिए कि ट्रैफिक कंट्रोल कैसे किया जाता है.
शाम के समय छोटी-छोटी दुकानों और संस्थानों में काम करने वाले नौकरीपेशा लोग अन्य दिनों की तुलना में कम से कम 2 घंटे देरी से घर पहुंचे.गनीमत थी कि बरसात नहीं हो रही थी. अन्यथा सेवक रोड पर सिर्फ गाड़ियां नजर आती, सड़क नहीं. यह जाम सालूगाडा तक जा सकता था. कल्पना करिए कि इस जाम में अगर कोई एंबुलेंस फस जाता, तो क्या होता उस रोगी का, जो जीवन और मौत से जूझ रहा होता है. लेकिन ट्रैफिक विभाग को जैसे इससे कोई लेना देना नहीं है. अगर ट्रैफिक विभाग का यही रवैया रहा तो सिलीगुड़ी में ट्रैफिक नियंत्रण तो दूर की रही, किसी दिन पूरा सिलीगुड़ी शहर जाम के बोझ में दब जाएगा!