दिल्ली में बंगाल की राजनीति लिखी जा रही है. कुछ विशेष होने वाला है. इसका बंगाल की राजनीति पर खासा असर होगा. एक तरफ अभिषेक बनर्जी और उनकी टीम जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन के कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने जा रही है, तो दूसरी तरफ बंगाल भाजपा और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी अमित शाह के बुलावे पर दिल्ली गए हैं. दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई है, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है.
दिल्ली में जंतर मंतर पर तृणमूल कांग्रेस का धरना चल रहा है. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सिलीगुड़ी से अनेक तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता दिल्ली पहुंचे हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव भी दिल्ली में है. जंतर मंतर पर चल रहे धरना प्रदर्शन को देखने के लिए सिलीगुड़ी और पूरे प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस की ओर से जगह-जगह कैंप का आयोजन किया गया है. सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार ,मालदा समेत पूरे बंगाल में प्रोजेक्टर के माध्यम से 100 दिन काम के श्रमिकों को दिल्ली का नजारा दिखाया जा रहा है. कालचीनी ब्लॉक के 11 क्षेत्रो में प्रोजेक्टर के माध्यम से श्रमिकों को जंतर मंतर पर चल रहे धरना को दिखाया जा रहा है. इस कार्यक्रम को 100 दिन रोजगार के श्रमिक ध्यान से देख रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस मनरेगा का बकाया पैसा और प्रधानमंत्री आवास योजना का बकाया पैसा मांग रही है. भाजपा ने मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की है. जहां तक मनरेगा के बकाया पैसे की बात है,केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने तृणमूल कांग्रेस के आरोप के जवाब में कहा है कि मनरेगा के तहत 2006 से 2014 के बीच 111 करोड़ श्रम दिवस सृजित हुए हैं. 2014 के बाद 240 करोड़ श्रम दिवस सृजित हुए थे. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार ने लगभग 45 लाख गरीबों को पश्चिम बंगाल में घर दिया.
अभिषेक बनर्जी के आरोप को खारिज करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान पश्चिम बंगाल को 58000 करोड रुपए मिले थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के विकास के लिए सरकार को पिछले 9 सालों में 2 लाख करोड रुपए से अधिक की राशि आवंटित की है. इसलिए तृणमूल कांग्रेस का यह कहना कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव कर रही है, पूरी तरह निराधार है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में मनरेगा जैसी योजना में पिछले 9 साल में 54000 करोड रुपए से अधिक केंद्र की ओर से दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा सरकार के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल को 14900 करोड रुपए ही इस योजना के लिए मिले थे. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत संयुक्त मोर्चा सरकार ने राज्य को 5400 करोड रुपए दिए जबकि मोदी सरकार में लगभग दुगुना से भी अधिक रुपए 11000 रुपए बंगाल सरकार को दिए जा चुके हैं. जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत संयुक्त मोर्चा सरकार ने बंगाल के लिए 4400 करोड रुपए खर्च किए जबकि मोदी सरकार ने 30000 करोड रुपए इसके लिए व्यय किए हैं.
जिस तरह से ग्रामीण विकास मंत्री बता रहे हैं, उसके हिसाब से तृणमूल कांग्रेस को केंद्र सरकार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. तो फिर बंगाल सरकार बार-बार केंद्र से अपना हक क्यों मांग रही है? क्यों दिल्ली में इसके लिए इतना बड़ा ताम झाम किया गया? कहीं तो कुछ ना कुछ बात अवश्य है. आज शाम को तृणमूल कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से मिलने जा रहा है. केंद्रीय मंत्री ने आज शाम को प्रतिनिधि मंडल से मिलने का वक्त दिया है. उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.
लेकिन इन सब के बीच प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का अमित शाह से आज सुबह दिल्ली मिलना कहीं ना कहीं बंगाल की राजनीति को प्रभावित करता है.जानकार मानते हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री शुभेंदु अधिकारी से प्रदेश में इस मुद्दे पर भाजपा की स्थिति, जनता की राय और फंड रिलीज न करने पर उसके प्रभाव का भी आकलन करेंगे. सूत्र बता रहे हैं कि शुभेंद अधिकारी से मुलाकात के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह को कुछ निर्देश दे सकते हैं. बहरहाल यह अटकलों का बाजार है.वास्तविक तस्वीर क्या होगी, यह आज रात या अगले कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा.