सिलीगुड़ी को चिकन नेक कहा जाता है. यह उत्तर पूर्व भारत को जोड़ने वाला एकमात्र शहर है. सिलीगुड़ी से होकर ही पूर्वोत्तर भारत जा सकते हैं. अतः भारत के लिए यह एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण शहर है. लेकिन इस शहर पर चीन की भी नापाक नजर बनी हुई है. चीन भारत से चिकन नेक को छीन लेना चाहता है. ऐसा करने से भारत के उत्तर पूर्व इलाकों पर भी उसका आसानी से आधिपत्य हो सकेगा.
भारत की सीमा भूटान और चीन से लगी हुई है. भूटान और चीन का सीमा विवाद काफी पुराना है. भूटान चीन के साथ 400 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. इसको हल करने के लिए भूटान और चीन 1984 से ही कोशिश कर रहे हैं. अब तक दोनों देशों के बीच 25 दौर की बैठक हो चुकी है. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. भारत और चीन के बीच भी सीमा विवाद काफी पुराना है. अभी तक समस्या का समाधान दोनों देश ढूंढ नहीं सके हैं. भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद पर 2017 में 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा.
भूटान और भारत के बीच सीमा मिलती है. चिकन नेक सिलीगुड़ी के करीब भूटान की सीमा है. चीन की इस पर पैनी नजर बनी हुई है. चीन चाहता है कि भूटान और चीन के बीच जो सीमा विवाद है, उसका हल चीन की इच्छा के अनुसार ही हो. भूटान के विदेश मंत्री सीमा विवाद हल को लेकर बातचीत करने के लिए चीन के दौरे पर गए थे. चीन भूटान सीमा वार्ता 23-24 को बीजिंग में आयोजित की गई थी. इसके बाद दोनों देशों ने सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए. हालांकि इसमें कोई खास बात निकल कर सामने नहीं आई है. परंतु चीन की ओर से कहा जाता है चीन और भूटान सीमा के निर्धारण और सीमांकन पर प्रगति कर रहे हैं.
भारत के लिए यह चिंता की बात है. हालांकि भारत को नहीं लगता कि भूटान और चीन के बीच ऐसा कुछ हुआ है, जिससे भूटान को लाभ हो और भारत का अहित हो. क्योंकि भूटान भारत का पक्का दोस्त है. भूटान भी नहीं चाहेगा कि सीमा विवाद का ऐसा हल हो जिससे भारत की मुसीबत बढ़े. भूटान अपना लाभ के साथ-साथ भारत का भी हित देखना चाहता है. भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने भी कुछ दिन पहले यह संकेत दिया था कि भूटान चाहेगा कि भारत व चीन उसके फैसलों से खुश हों. इसका साफ संकेत है कि भूटान ना तो भारत को नाराज करना चाहता है और ना ही चीन को. हालांकि भूटान एक स्वतंत्र देश है और वह किसी भी पक्ष या विपक्ष का नहीं है.
भूटान चीन की फितरत को अच्छी तरह समझता है.चीन भूटान के साथ राजनयिक संबंध बनाना चाहता है ताकि भूटान की जमीन का उपयोग करके वह भारत के लिए असुरक्षा उत्पन्न कर सके. भारत के लिए चिंता की बात यह है कि चीन सीमा विवाद हल करने के लिए भूटान से जो जमीन या इलाका मांग रहा है, वह सिलीगुड़ी या चिकन नेक के काफी करीब है.चीन चाहता है कि भूटान अपनी जमीन देकर उसके बदले में चीन से कहीं और जमीन हासिल करे. भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर भूटान ने चीन के किसी दबाव में आकर हथियार डाल दिया तो चीन सिलीगुड़ी के काफी करीब हो जाएगा. ऐसे में यहां सामरिक चुनौती बढ़ जाएगी. अगर चीन सिलीगुड़ी गलियारा के करीब आता है तो यह पूर्वोत्तर राज्यों से कनेक्टिविटी के लिए भी खतरा बढ़ा सकता है.
लेकिन भारत ऐसा होने नहीं देगा. इसलिए भारत भूटान द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर गौर कर रहा है. भारत ने कई बार भूटान की मदद की है.2017 में चीन ने भूटान की दावे वाली जमीन पर सड़क बनाने की कोशिश की थी.उस समय भी भारत ने भूटान का साथ दिया था. इसके अलावा भारत और भूटान के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध है. इस बीच चीन की एक नई चाल सामने आ रही है.उसने अपने पड़ोसी देशों के साथ विदेश नीति पर दस्तावेज जारी किया है. इसके अनुसार 12 पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को उसने बातचीत से हल कर लिया है. जबकि 9 पड़ोसी देशों के साथ अच्छे मैत्रीपूर्ण संधियों पर उसने हस्ताक्षर किए हैं. भारत उनमें से नहीं है.
इस तरह से चीन चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध दिखाकर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करे.चीन की इस चाल को भारत और भूटान भी अच्छी तरह समझ रहे हैं. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 2020 से ही सीमा विवाद चल रहा है जो आज तक हल नहीं हो सका है. जबकि भूटान के साथ 1984 से ही सीमा विवाद चल रहा है,जिसके लिए अब तक चीन और भूटान के बीच 25 दौर की बैठक हो चुकी है. लेकिन फिर भी भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद हल नहीं हो सका है. ऐसी स्थिति में भूटान नहीं चाहेगा कि वह चीन की चाल में आए और अपनी उस जमीन को चीन के हवाले कर सके जो सिलीगुड़ी और चिकन नेक के काफी करीब है.बहर हाल अब देखना होगा कि चीन और भूटान के बीच क्या कुछ नया निकल कर सामने आ रहा है.