सरकारी अस्पताल में इलाज के नाम पर कई लोग नाक भौं सिकोड़ने लगते हैं. साधन संपन्न लोग अपनी बीमारी के इलाज के लिए निजी अस्पतालों अथवा निजी डॉक्टर का रुख करते हैं. लेकिन जो गरीब होते हैं, उन्हें मजबूरी में सरकारी अस्पतालों का इलाज कराना पड़ता है. क्योंकि इसमें पैसा नहीं लगता है. हालांकि अगर उनसे पूछा जाए तो वह भी चाहते हैं कि सरकारी अस्पताल में उनका इलाज ना हो.
यह बताने की जरूरत नहीं है कि सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था, लापरवाही और गंदगी अधिक रहती है. डॉक्टर के नाम पर मेडिकल स्टूडेंट, नर्स या कभी-कभी आया का काम करने वाली महिलाएं खुद डॉक्टर बनकर मरीज का इलाज करती हैं. अच्छे डॉक्टर बहुत कम देखे जाते हैं. सिलीगुड़ी में मुख्य रूप से दो अस्पताल हैं, सिलीगुड़ी जिला अस्पताल और उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल. दोनों ही अस्पतालों की क्या स्थिति है, मरीज अथवा मरीज के परिजन खुद इसका बयां कर देंगे. लेकिन हम यहां जिस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं,वह मरीज की चिकित्सा से जुड़ा हुआ है. अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि सरकारी अस्पताल मरीज के लिए कितने भरोसेमंद हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ताजा बयान के बाद सिलीगुड़ी समेत राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों की चिकित्सा पर ही सवाल उठने लगे हैं. ममता बनर्जी के बयान के बाद लोगों का संदेह यकीन में तब्दील हो रहा है कि सरकारी अस्पतालों में मरीज का इलाज सही नहीं होता है. लोग दांतो तले उंगली दबा रहे हैं. आश्चर्य इसलिए हो रहा है कि स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य की स्वास्थ्य मंत्री भी हैं और सरकारी अस्पताल स्वयं उनकी देखरेख में आते है.
आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कोलकाता के सबसे लोकप्रिय सरकारी अस्पताल SSKM में इलाज चल रहा था. घर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इलाज करने के लिए एसकेएम के विशेषज्ञ डाक्टर्स आते थे. अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ठीक हो गई हैं.लेकिन उन्होंने दावा किया कि उनका इलाज गलत ढंग से किया गया था. उन्होंने राज्य सचिवालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं 10-12 दिनों से आई वी इंजेक्शन ले रही हूं. क्योंकि गलत इलाज के कारण मेरे पैर में संक्रमण सेप्टिक हो गया था.
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में भूचाल सा आ गया है. क्योंकि जब कोलकाता स्थित राज्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल में राज्य की मुख्यमंत्री का गलत इलाज होता है तो फिर आम जनता का अस्पताल वाले क्या इलाज करते होंगे! पश्चिम बंगाल में सैकड़ो की संख्या में छोटे बड़े सरकारी अस्पताल हैं.सिलीगुड़ी में यूं तो छोटे बड़े कई सरकारी अस्पताल हैं, परंतु सिलीगुड़ी जिला अस्पताल और उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सर्वाधिक चर्चा होती है. यहां सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रो से मरीज इलाज के लिए आते हैं.सवाल यह है कि क्या उनका इलाज बेहतर तरीके से होता है? अब यह सवाल तो और तेजी से उठ रहे हैं. क्योंकि स्वयं राज्य की स्वास्थ्य मंत्री ही ने ही इसकी पोल खोल कर रख दी है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस खुलासे के बाद राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुबेंदु अधिकारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को स्वास्थ्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को क्या बीमारी थी?
जिस समय मुख्यमंत्री उत्तर बंगाल और सिलीगुड़ी के दौरे पर थी, उस समय हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग के दौरान उनके पैर में चोट लग गई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने स्पेन दौरे का कार्यक्रम बनाया तो उनके पैर में लगी पुरानी चोट में फिर से चोट लगी यानी उनकी चोट फिर से हरी हो गई. स्पेन और दुबई की यात्रा के बाद 23 सितंबर की शाम को मुख्यमंत्री कोलकाता लौटी और उसके बाद 24 सितंबर को उन्होंने अपने पैर के इलाज के लिए SSKM अस्पताल में संपर्क किया. वहां डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी थी. लेकिन मुख्यमंत्री ने घर पर ही रहकर इलाज कराने का फैसला किया. विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में मुख्यमंत्री का घर पर ही इलाज चलता रहा. अब वह पूरी तरह ठीक हो चुकी है.