एक दौर था, जब सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर गौरव शर्मा ने अभियान चलाकर शहर में चल रहे अवैध कॉल सेंटरों पर रोक लगा दी थी. लेकिन उनके तबादले के साथ ही एक बार फिर से कॉल सेंटर चर्चा में आ गए हैं. यह सभी कॉल सेंटर शहर में कम लेकिन अधिकतर शहर से बाहर आसपास के क्षेत्रों में कुकुरमुत्ते की तरह पनप रहे हैं. सिलीगुड़ी शहर के नजदीक बेलाकोबा के साहेब पाड़ा में एक ऐसे ही अवैध कॉल सेंटर का पुलिस ने पर्दाफाश किया है.
साहेबपाड़ा के एक घर में महिलाओं की हलचल बढ़ गई थी. वहां रोज ही नए-नए युवक तथा लड़कियों को लाया जाता था. घर में हमेशा हलचल बनी रहती थी. आरंभ में आसपास के लोग इसे अनदेखा करते रहे. लेकिन जब यहां महिला और पुरुषों का आना जाना ज्यादा बढ़ गया, तब पड़ोसियों को कुछ शक होने लगा. उन्होंने इसकी जानकारी बेलाकोबा पुलिस चौकी को दी. पुलिस ने आश्वासन दिया कि इस मामले को देखा जाएगा.
कुछ दिनों तक मामला शांत रहा. लेकिन एक बार फिर से कॉल सेंटर गुलजार होने लगा. कॉल सेंटर के अंदर से स्त्री पुरुषों के हंसने बोलने और कहकहा लगाने के स्वर बाहर तक जाने लगे, तब आसपास के लोगों ने इसकी जानकारी राजगंज थाना को दी. राजगंज थाना के पुलिस अधिकारियों ने कॉल सेंटर पर दबिश देने का फैसला किया.
बेला कोबा पुलिस चौकी और राजगंज थाना की एक संयुक्त टीम बनाई गई. छापा मारने से पहले पुलिस ने मुखबिर के द्वारा यह पता लगा लिया था कि कॉल सेंटर के अंदर असामाजिक गतिविधियां चल रही थी. यहां बाहर से महिलाओं को लाया जाता था.कॉल सेंटर में बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी आती थी. इनमें पुरुष होते थे. मुखबिर की जानकारी के बाद पुलिस ने टीम का गठन करके उक्त कॉल सेंटर पर दबिश दे दी.
पुलिस की इस कार्रवाई का अनुकूल असर पड़ा. पुलिस ने कॉल सेंटर से पांच महिलाओं समेत 7 युवकों को गिरफ्तार किया. इसके अलावा कॉल सेंटर से मोबाइल फोन, सिम कार्ड और दो लैपटॉप भी पुलिस ने बरामद किए. उन सभी को राजगंज पुलिस थाना ले जाया गया, जहां उनसे पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की तो पता चला कि यह कॉल सेंटर अवैध तरीके से चलाया जा रहा था. प्राथमिक पूछताछ के बाद पुलिस ने सभी स्त्री पुरुषों को आज जलपाईगुड़ी कोर्ट में पेश किया है.
सूत्रों ने बताया है कि सिलीगुड़ी शहर में कुछ कॉल सेंटर ऐसे चलाए जा रहे हैं, जिनका कोई बोर्ड नहीं होता है. यह सभी कॉल सेंटर मकान के अंदर गुप्त रूप से चलाए जाते हैं. यहां उन्हीं लोगों का प्रवेश होता है, जो उनके परिचित होते हैं या फिर ऐसे लोग जिनकी आईडेंटिफाई कॉल सेंटर के लोग कर लेते हैं. पुलिस ऐसे कॉल सेंटर पर हाथ नहीं डालती, क्योंकि मकान के भीतर चल रहे खेल के बारे में बाहर वालों को कोई जानकारी नहीं होती. कॉल सेंटर को चलाने वाले कुछ दबंग किस्म के लोग होते हैं. अगर किसी को कुछ पता भी चल गया तो उसकी आवाज दबा दी जाती है.
एक समय सिलीगुड़ी शहर और आसपास के इलाकों में कॉल सेंटर की भरमार थी. तत्कालीन पुलिस कमिश्नर गौरव शर्मा ने अवैध कॉल सेंटर के खिलाफ नकेल कसने का फैसला किया और सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट तथा मेट्रोपोलिटन पुलिस के अधिकारियों के सहयोग से एक अभियान चलाया. इसके बाद से ही अनेक कॉल सेंटर या तो बंद हो गए या फिर शहर से बाहर शिफ्ट हो गए. राजगंज का कॉल सेंटर इसी श्रेणी का कॉल सेंटर है. हालांकि पुलिस अभी छानबीन कर रही है. पुलिस यह भी पता लगा रही है कि इस कॉल सेंटर से और कौन-कौन लोग जुड़े हैं और उनकी बैकग्राउंड क्या है.