हमारे यहां सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि अस्थि कलश में रखी राख मात्र राख नहीं होती है, बल्कि उसमें मृत व्यक्ति की आत्मा होती है.मृतात्मा को जब गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में लिखा है कि जब तक मृत आत्मा को मोक्ष नहीं प्राप्त हो जाता, तब तक कलश में प्रियजन की चिता की राख को पूरे सम्मान के साथ संभाल कर रखना चाहिए और जब आप अस्थि कलश को प्रवाहित करने ले जा रहे हैं, तो उसे खुद से कभी अलग ना करें. या तो हाथ में पकड़ कर ले जाएं या फिर उसे गले में लटका देते हैं. मान्यता यह भी है कि ऐसा करने से मृत आत्मा की स्वजनों पर कृपा बनी रहती है. इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है कि आप मृत आत्मा को पूरा सम्मान और श्रद्धा दे रहे हैं.
कई लोग प्रियजन का दाह संस्कार करने के बाद उसकी चिता की राख को कलश में संग्रह करते हैं और फिर निर्धारित समय के बाद चिता की राख को गंगा में प्रवाहित करके मृतक की आत्मा को मोक्ष दिलाया जाता है. अनेक लोग अस्थि कलश का विसर्जन हरिद्वार में करते हैं. ट्रेन अथवा बसों में अस्थि कलश लेकर जाने पर कोई रोक-टोक नहीं है.हां,अगर आप विमान से यात्रा कर रहे हैं और अस्थि कलश लेकर जा रहे हैं तो हो सकता है कि एयरलाइंस के कर्मचारी इस पर सवाल उठा सके और अस्थि कलश को हाथ में अथवा गले में लटका कर ले जाने की इजाजत न दें.
हालांकि केंद्रीय विमान प्राधिकरण की गाइडलाइंस तो यही है कि अपने से एक पल को जुदा किए बगैर अस्थि कलश का स्कैनिंग करके उसे ले जाने की अनुमति दी जाए. कुछ एयरलाइंस कंपनियां ऐसा करती भी है और देश के अनेक हवाई अड्डों पर इस तरह की व्यवस्था भी है. पर जब हम बागडोगरा एयरपोर्ट की बात करते हैं तो इस एयरपोर्ट पर इस तरह की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं है. यहां अस्थि कलश को आपसे अलग करके ट्रे में रखवाया जाता है और फिर उसका स्कैनिंग किया जाता है. ऐसे में क्या अस्थि कलश का अपमान नहीं होता? ऐसे में क्या हमारी सनातन परंपरा को ठेस नहीं पहुंचती है? ऐसे में क्या हम उस नियम का पालन करते हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें दिया है. क्या कहीं ना कहीं हमें अपराध बोध नहीं होता कि जिस मकसद के साथ अस्थि कलश लेकर जा रहे हैं, उस नियम का पालन नहीं कर पा रहे हैं.
आज बागडोगरा एयरपोर्ट पर अस्थि कलश को लेकर ही एक ऐसी घटना घटी, जो हमें एयरपोर्ट व्यवस्था पर कुछ सोचने के लिए मजबूर कर देती है. साथ ही चिंता भी उत्पन्न करती है. सालासर दरबार के प्रणेता गुरुजी स॔त स्वर्गीय श्री छिंतरमल शर्मा का अस्थि कलश हरिद्वार में गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए आज उनके पुत्र और खबर समय के स्वामी श्री संजय शर्मा लेकर जा रहे थे. जब वे बागडोगरा एयरपोर्ट पर पहुंचे तो स्कैनिंग प्रोसेस के दौरान एयरपोर्ट के कर्मी ने उनसे अस्थि कलश ट्रे में रखने के लिए कहा. श्री संजय शर्मा ने कहा कि आप ऐसी व्यवस्था कीजिए कि अस्थि कलश का स्कैनिंग भी हो जाए, साथ ही कलश को खुद से अलग ना करना पड़े. इस पर अथॉरिटी के लोगों ने कहा कि बागडोगरा एयरपोर्ट पर ऐसी व्यवस्था नहीं है.
एयरपोर्ट अथॉरिटी के लोगों ने कहा कि अस्थि कलश की स्कैनिंग के लिए अस्थि कलश को ट्रे में रखना पड़ता है. इसके अलावा एयरपोर्ट पर कोई अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं है. हमें जो गाइडलाइंस मिला है, हम इसके अलावा आपकी कोई मदद नहीं कर सकते. श्री संजय शर्मा ने अस्थि कलश के सम्मान का वास्ता दिया और हिंदू धर्म तथा परंपरा की भी बात बताई. लेकिन अथॉरिटी के लोगों ने उनकी एक नहीं सुनी. अंततः उन्हें मजबूरन अस्थि कलश को खुद से अलग करना पड़ा. श्री संजय शर्मा ने कहा कि ऐसा करते हुए उन्हें कहीं ना कहीं अपराध बोध महसूस हो रहा था. क्योंकि शास्त्रों में गंगा जी में प्रवाहित करने के उद्देश्य से लेकर जा रहे अस्थि कलश को एक पल भी खुद से अलग करने की मनाही है.
देश के कई बड़े एयरपोर्टों पर आस्था व सम्मान के प्रतीक अस्थि कलश की स्कैनिंग के लिए अस्थि कलश को व्यक्ति के हाथ से अलग करने की जरूरत नहीं होती है. लेकिन यह भी सच है कि सभी एयरपोर्टों पर ऐसी व्यवस्था नहीं है. बागडोगरा एयरपोर्ट पर भी यह व्यवस्था नहीं है. अब तक जो नियम है, उसके अनुसार अस्थि कलश को कार्डबोर्ड, कपड़ा, प्लास्टिक, लकड़ी या पारदर्शी ग्लास में रखने से उसे खुद से अलग करने की जरूरत नहीं होती. इससे स्कैनिंग में सुविधा होती है. लेकिन ऐसे कंटेनर जिसका एक्सरे नहीं किया जा सकता है, तो उसे एक अस्थाई पात्र में रखना पड़ता है.
इसी तरह से उड़ान के दौरान अस्थि कलश रखने के भी कुछ नियम होते हैं. अधिकांश एयरलाइंस अपने प्रियजन की अस्थियों को चेक किए गए बैग में रखकर उड़ान भरने या ले जाने की अनुमति देती है. उड़ान के दौरान प्रियजन की अस्थियों के परिवहन के संबंध में विभिन्न एयरलाइन की अलग-अलग नीतियां हो सकती है. आप अपने प्रियजन की राख को साथ ले जाने में सक्षम हो सकते हैं. कुछ एयरलाइंस में अस्थि कलश को कार्गो होल्ड के माध्यम से ले जाने की व्यवस्था होती है.
जो भी हो, क्या देश के सभी एयरपोर्टों पर ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए कि अस्थि कलश का पूरा सम्मान करते हुए सनातन परंपरा का पालन किया जा सके. जिस मकसद से अस्थि कलश को गंगा में प्रवाहित करने के लिए ले जा रहे हैं, हमारा वह मकसद तथा परंपरा का पूरी श्रद्धा के साथ पालन हो सके और एयरपोर्ट अथॉरिटी के नियमों का भी पालन हो सके. केंद्रीय विमान प्राधिकरण को निश्चित रूप से धार्मिक आस्था और मान्यता का सम्मान करते हुए इस तरह की व्यवस्था अविलंब एयरपोर्टों पर शुरू करने की आवश्यकता है.