तो क्या पश्चिम बंगाल की जेलों में महिला कैदी सुरक्षित नहीं है? क्या महिला कैदियों का यौन शोषण हो रहा है? हाई कोर्ट की टिप्पणी तथा न्याय मित्र की रिपोर्ट के बाद इस तरह के कई ज्वलंत सवाल उठ रहे हैं…
पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदियो की नारकीय स्थिति के बारे में अक्सर सुना जाता है. यह तो सभी जानते हैं कि जेल महिला हो या पुरुष कैदी किसी के लिए भी अच्छी जगह नहीं है.जेल में कैदियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता रहा है. लेकिन स्थिति तब चिंता जनक बन जाती है, जब जेल में बंद महिला कैदियों के गर्भवती होने के मामले सामने आते हैं. तब कहीं ना कहीं प्रशासन पर भी सवाल उठता है. साथ ही जेल और कैदियों की सुरक्षा पर भी आलोचना होने लगती है.
कोलकाता से प्रकाशित लोकप्रिय हिंदी दैनिक प्रभात खबर में छपी एक रिपोर्ट काफी हंगामेदार है और उतना ही चिंताजनक भी. रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. इसके अनुसार बंगाल की अलग-अलग जेलों में कम से कम 196 बच्चे भी पल रहे हैं. इस रिपोर्ट से कई सवाल उठ रहे हैं और तरह-तरह की आशंकाएं भी उत्पन्न हो रही हैं. सवाल तो यह है कि जब किसी महिला या युवती को सजा होती है, तो विवाहित महिला काफी पहले से ही पुरुष के संपर्क से दूर रहती है और वह जेल में बंद रहती है. जबकि गैर शादीशुदा युवतियों के बारे में तो ऐसा कुछ सोचा ही ही नहीं जा सकता. ऐसे में महिला कैदी का गर्भवती होना यह इशारा करता है कि प्रदेश की जेलों में सब कुछ ठीक नहीं है.
इसका मतलब यह है कि जेलों में अधिकांश महिला कैदियों के साथ यौन संबंध बनाया जाता है. सवाल यह है कि यह कौन लोग होते हैं जो रात के अंधेरे में महिला बैरक में जाते हैं. क्या जेल प्रशासन के अधिकारी? क्या जेल प्रशासन के कर्मचारी? क्या जेलों के पुरुष कैदी? या फिर पर्दे के पीछे कुछ और लोग? मामला अत्यंत गंभीर और संवेदनशील भी है. अतः इसकी जांच होनी ही चाहिए. कोलकाता हाई कोर्ट ने राज्य की जेलों में महिला कैदियों की दुर्दशा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
राज्य की जेलों में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. स्थिति यह है कि जेलों में कैदियों की संख्या जेल की क्षमता से भी अत्यधिक हो चली है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल की जेलो में उनकी क्षमता से 1.3 गुना अधिक कैदी हैं. भारत में जेल सांख्यिकी 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की जेलो में 19556 पुरुष और 1920 महिलाएं कैदी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. राज्य की जेलो में कैदियों की बढती तादाद को देखते हुए 2018 में कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए एक न्याय मित्र एडवोकेट तापस कुमार भांजा को मामले की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी.
न्याय मित्र ने हाई कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि प्रदेश की जेलो में बंद महिला कैदियों के साथ यौन अत्याचार हो रहा है. उन्हें गर्भवती बनाया जा रहा है. इसमें सलाह दी गई है कि महिला बैरक में पुरुष कर्मचारियों के जाने पर रोक लगे. इसका मतलब यह है कि रात के अंधेरे में पुरुष कर्मचारी महिला बैरक में जाते हैं. इस रिपोर्ट को देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को अपराध शाखा स्थानांतरित करने का आदेश दे दिया है.
न्याय मित्र ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं, जिन पर चिंता और विचार करने की जरूरत है. तापस कुमार की नोट में यह सुझाव दिया गया है कि सभी जिला जज अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले जेलों में निरीक्षण करें और यह पता लगाए कि जेलों में रहने के दौरान कितनी महिला कैदी गर्भवती हुई है. इसके अलावा तापस कुमार ने महिला कैदियों का यौन शोषण रोकने के लिए उन्हें जेल भेजने से पहले उनका गर्भावस्था परीक्षण करने की भी सलाह दी है. इस नोट में उन्होंने कहा है कि इसकी शुरुआत बंगाल के सभी पुलिस थानों से की जा सकती है. इसके लिए अदालत को जरूरी आदेश देने की वकालत की गई है.
कोलकाता हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के दौरान न्याय मित्र ने एक गर्भवती महिला और एक जेल के भीतर पैदा हुए 15 बच्चों की आंखों देखी स्थिति भी बताई. तापस कुमार भांजा ने कहा कि कुछ बच्चों का जन्म तो उनकी आंखों के सामने हुआ. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल की जेलो के संकट को समझा जा सकता है. साथ ही यहां महिला कैदियों के दुर्व्यवहार और उनके यौन शोषण पर भी खलबली मच गई है. जब कैदियों और खासकर महिला कैदियों की सुरक्षा जेल के भीतर नहीं हो, तब समझा जा सकता है कि स्थिति कितनी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)