November 21, 2024
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दार्जिलिंग: क्या गोपाल लामा भाजपा के गढ़ में तृणमूल की जीत का परचम लहरा सकेंगे?

पहाड़ में गोपाल लामा के नाम की तृणमूल कांग्रेस और भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा बयार बहायी जा रही है. हालांकि अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने दार्जिलिंग सीट से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है और ना ही कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार के नाम का औपचारिक ऐलान हुआ है, ऐसे में गोपाल लामा अकेले पहाड़ में उम्मीदवार के तौर पर प्रचारित नाम है. गोपाल लामा अनित थापा के बेहद करीबी हैं. अनित थापा ने ही तृणमूल कांग्रेस को यह नाम दिया था, जिस पर तृणमूल कांग्रेस ने मुहर लगाई है.

कर्सियांग में जन्मे गोपाल लामा की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा महारानी प्राथमिक विद्यालय, सेंट अल्फांस उच्च माध्यमिक विद्यालय, कर्सियांग तथा सेंट रोबोट स्कूल दार्जिलिंग से हुई है. अपने अध्ययन के दौरान वे सेवा में भर्ती हुए. उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की. 1982 में वह नौकरी छोड़कर घर लौटे और 1983 में सिक्किम गए. वहां शिक्षक के पद पर कुछ समय बिताया था. 1985 में उन्होंने डब्ल्यू बीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण की थी. इसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग पुरुलिया में हुई थी. वर्ष 2014 से 2017 तक उन्होंने GTA में स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर का कार्यभार संभाला था.

गोपाल लामा नेता कम, प्रशासनिक छवि के व्यक्ति ज्यादा रहे हैं. उनके पास प्रशासनिक अनुभव काफी है. सिलीगुड़ी में महकमा शासक के पद पर आसीन थे. उन्होंने सिलीगुड़ी में पर्यटन विभाग में सह निदेशक के पद पर भी कार्य किया था. दार्जिलिंग में वह भूमि व भूमि सुधार विभाग में अतिरिक्त जिला शासक के पद पर भी कार्य कर चुके हैं. अवकाश ग्रहण करने के बाद वह GTA के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर नियुक्त किए गए थे. वह सिलीगुड़ी में रहते हैं. इस तरह से गोपाल लामा का एक विशाल प्रशासनिक अनुभव है. लेकिन सवाल यह है कि गोपाल लामा दार्जिलिंग की जनता की कसौटी पर कितना खरा उतर सकेंगे? दार्जिलिंग की जनता गोपाल लामा के बारे में क्या सोचती है?

दार्जिलिंग संसदीय सीट पिछले 15 सालों से भाजपा के पास रही है. इस बार तृणमूल कांग्रेस भाजपा से यह सीट छीन लेना चाहती है. और इसीलिए तृणमूल कांग्रेस ने अनीत थापा की सलाह से गोपाल लामा को टिकट दिया है. निश्चित रूप से अनित थापा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भरोसा दिया होगा. तभी ममता बनर्जी ने उम्मीदवारों की लिस्ट में उनका नाम फाइनल किया है. यह भी बता दूं कि तृणमूल कांग्रेस इस बार किसी तरह का रिस्क उठाना नहीं चाहती है. वह ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही है जो जीतने का दमखम रखते हैं. अनित थापा मुख्यमंत्री को गोपाल लामा की जीत की गारंटी दे चुके हैं तो क्या गोपाल लामा भाजपा के गढ़ में तृणमूल का झंडा फहरा सकेंगे?

इसमें कोई शक नहीं है कि गोपाल लामा भूमि पुत्र हैं. GTA के लिए उन्होंने काफी कुछ किया है. इसीलिए अनित थापा ने एक सोची समझी योजना के तहत गोपाल लामा को भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा में शामिल कराया और फिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से नजदीकियों के कारण उनके नाम को आगे बढ़ाया. ममता बनर्जी भी ऐसे उम्मीदवार की तलाश में थी जो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके. हालांकि भाजपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. परंतु कयास लगाया जा रहा है कि हर्षवर्धन श्रींगला यहां से भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं. जिस तरह से गोपाल लामा के पास प्रशासनिक अनुभव है, इसी तरह से हर्षवर्धन श्रींगला के पास भी उच्च प्रशासनिक अनुभव है. वे विद्वान व्यक्ति हैं और दार्जिलिंग की जनता के काफी करीब भी हैं. अगर भाजपा यहां से हर्षवर्धन श्रींगला को टिकट देती है तो गोपाल लामा की राह आसान नहीं होगी.

अगर यहां से मौजूदा सांसद राजू बिष्ट को ही टिकट दिया जाता है तब भी लड़ाई कठिन हो सकती है. क्योंकि राजू बिष्ट ने पिछले 5 सालों में दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी की जनता के बीच अपनी पहचान बनाई है और एक युवा नेता के रूप में लोग उन्हें जानते भी हैं. राजू बिष्ट ने दार्जिलिंग की जनता की समस्याओं के समाधान की दिशा में काफी ईमानदाराना प्रयास भी किया है. लोग बताते भी हैं. विपक्षी नेता भी उनके चरित्र पर उंगली नहीं उठाते. खुद राजू बिष्ट भी आत्मविश्वास से भरे पूरे हैं. गोपाल लामा के पास भले ही व्यापक प्रशासनिक अनुभव है. लेकिन एक जन प्रिय नेता के रूप में उन्होंने जगह नहीं बनाई है. अनित थापा उन्हें स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं.

पिछले 15 सालों से भाजपा दार्जिलिंग सीट पर काबिज रही है. इस दौरान भाजपा ने दार्जिलिंग की जनता के लिए क्या किया, इस पर यहां की जनता बंटी हुई है. कई लोग भाजपा से नाराज हैं तो कई लोग आज भी उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं का पूर्ण राजनीतिक समाधान केवल भाजपा ही कर सकती है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिलीगुड़ी में आयोजित एक जनसभा में कह चुके हैं कि दार्जिलिंग की जनता की समस्याओं के समाधान के बहुत करीब पहुंच चुके हैं. यानी प्रधानमंत्री ने गोरखा समुदाय में भरोसा जगाने का जरूर प्रयास किया है. ऐसे लोग यह भी जानते हैं कि उनकी समस्याओं के समाधान का द्वार केवल केंद्र की चाबी से ही खुलेगा. यही बात दार्जिलिंग में नीरज जिंबा भी कह रहे हैं. गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष मन घीसिंग भी यही बात कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखा मुद्दे के प्रति काफी गंभीर हैं.

पहाड़ में भाजपा ने अभी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा. लेकिन तृणमूल कांग्रेस के द्वारा उम्मीदवार की घोषणा करने के बाद गोपाल लामा का चुनाव प्रचार भी शुरू हो चुका है.अनित थापा ने इसकी कमान संभाल रखी है और वह पहाड़ की जनता को यह बता रहे हैं कि भाजपा गोरखा विरोधी है. लेकिन असली लड़ाई भाजपा और कांग्रेस द्वारा उम्मीदवार उतारे जाने के बाद ही शुरू होगी. उसके बाद ही पता चलेगा कि कौन कितने पानी में है. इसलिए हमें थोड़ा इंतजार करना होगा.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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