नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर रोक के लिए कानून में संशोधन किए गए.पोक्सो कानून भी बना. कानून को कठोर बनाया गया. मृत्युदंड तक का प्रावधान लाया गया. इसके अलावा नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म को रोकने के लिए पुलिस को कई अधिकार भी दिए गए. लेकिन इन सभी के बावजूद ऐसी घटनाओं पर रोकथाम नहीं लग रही है, बल्कि वृद्धि ही देखी जा रही है. पिछले 1 महीने में ही सिलीगुड़ी में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म अथवा दुष्कर्म की कोशिश की पांच घटनाएं घट चुकी हैं.
हर दूसरे तीसरे दिन ऐसी घटनाएं न्यूज़ चैनल्स और अखबारों की सुर्खियों में रहती है. ऐसा नहीं है कि कानून अपना काम नहीं कर रहा है. कानून दोषी व्यक्तियों को सजा भी सुना रहा है. लेकिन इससे लोगों को सबक नहीं मिल रही है. यह भी कह सकते हैं कि पुलिस और कानून के द्वारा समाज में जो संदेश जाना चाहिए, वह नहीं हो रहा है. कई मामलों में तो अपराधी को अदालत से बेल मिल जाती है. कुछ मामले थाना में जाते-जाते ही रफा दफा हो जाते हैं. हमारी न्यायिक व्यवस्था भी कुछ ऐसी है कि ऐसे मामलों में भुक्तभोगी को अदालत में बचाव पक्ष के वकील के उल्टे सीधे वार को भी झेलना पड़ता है. इन सभी पड़ावों के बाद कुछ मामले में ही अपराधी को उम्र कैद की सजा होती है.
मोहम्मद अब्बास का फैसला अभी तक नहीं आ सका है. मृतका की मां हर पेशी पर कोर्ट में आ जाती है और कोर्ट से इंसाफ की गुहार लगाती है. लेकिन अभी तक इस मामले में बहस या गवाही ही चल रही है. फैसला आने में वक्त लगेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है. इस बीच कालिमपोंग, अलीपुरद्वार और झाड़ग्राम की स्थानीय अदालतों के द्वारा यौन उत्पीड़न के अलग-अलग मामलों में अपराधियों को सुनाई गई सजा सुर्खियों में है. क्योंकि बहुत कम समय में यह फैसला सामने आया है. इसलिए पुलिस और अदालत की प्रशंसा की जा रही है.
कालिमपोंग जिले के गोरुबथान थाना के अंतर्गत 17 मई 2019 को 12 साल की एक नाबालिग बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न की घटना घटी थी. पुलिस को इसकी सूचना मिली तो पुलिस घटनास्थल पर गई. नाबालिग का मेडिकल कराया गया. नाबालिग की ओर से पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई. इसके आधार पर पुलिस ने छानबीन करते हुए असित उरांव नामक आरोपी को हिरासत में ले लिया. इस मामले के इन्वेस्टीगेशन अधिकारी सी बी भुजेल बनाए गए. उन्होंने आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट के अंतर्गत अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत मामला दर्ज किया. यह मामला स्पेशल कोर्ट में चला. भुजेल ने 2 महीने में ही कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दिया. गवाही और बहस के बाद आखिरकार अदालत ने आरोपी असित उरांव को मामले में दोषी करार देते हुए उसे 14 साल की सजा सुनाई और ₹20000 का आर्थिक दंड निर्धारित किया.
5 जनवरी 2020. यह मामला अलीपुरद्वार का है. फालाकाटा क्षेत्र के अंतर्गत एक नाबालिक लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया था. फालाकाटा पुलिस ने पाॅस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज करते हुए इस मामले में दुष्कर्म के आरोपी नीलकमल बर्मन को धर दबोचा. आरोपी से पूछताछ के बाद पुलिस ने तफ्तीश के आधार पर मुकदमा दर्ज किया. इस मामले के इन्वेस्टिगेशन अधिकारी अरूप वैद्य थे. अरूप वैद्य ने निर्धारित समय के भीतर ही स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दिया. जिस पर सुनवाई और बहस के बाद आखिरकार अदालत ने नीलकमल बर्मन को दोषी करार देते हुए उसे 20 साल की सजा सुनाई है.
इसी तरह से पिछले दिन झाड़ग्राम की अदालत ने भी दुष्कर्म के अपराधी को 20 साल की सजा और 3 लाख रुपए का आर्थिक दंड सुनाया है. घटना 19 फरवरी 2023 की है. मंगल उर्फ गुल्लू बसाक ने इलाके में रहने वाली 12 साल और एक 7 साल की 2 बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया था. झाड़ग्राम जिला के अंतर्गत बेल पहाड़ी थाना को शिकायत मिली तो पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मंगल उर्फ गुल्लू बसाक को गिरफ्तार कर लिया. मामले की जांच का दायित्व एस आई विमल कुमार टुडू को दिया गया. विमल कुमार टुडू ने अपनी कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी का प्रदर्शन करते हुए अदालत में निर्धारित समय के भीतर ही चार्जशीट पेश कर दिया. जिस पर सुनवाई और बहस के बाद अदालत ने मंगल को 20 साल की सजा और तीन लाख रुपए का आर्थिक दंड सुनाया है. यह मामला भी पोक्सो एक्ट के अंतर्गत दायर किया गया था.
इस तरह से देखते हैं कि अगर पुलिस अपना काम निष्पक्ष और निष्ठा के साथ करे तो अपराधी को दंडित करना मुश्किल काम नहीं है. क्योंकि पुलिस कानून की जिस धारा के अंतर्गत अदालत में मुकदमा चलाती है, अदालत का दृष्टिकोण भी इसके अनुसार फैसले में स्पष्ट होता है. अगर कानून ठीक से काम करे, अदालत में मामले की नियमित रूप से सुनवाई हो तो किसी भी मामले में जल्द ही फैसला आ सकता है. वरना इस तरह के मामलों में दोषी व्यक्ति को सजा दिलाने में बरसों लग जाते हैं. पश्चिम बंगाल के तीन अलग-अलग जिलों में अदालतों द्वारा बहुत ही कम समय में यौन उत्पीड़न के मामलों में दोषी व्यक्तियों को दोषी करार देने और सजा सुनाने के फैसले से लोगों का पुलिस और अदालतों पर भरोसा बढ़ा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि माटीगाड़ा नाबालिक हत्या मामले में भी कोर्ट का फैसला जल्द ही सामने आएगा.
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