5 अप्रैल का दिन सिलीगुड़ी और सिक्किम के लिए सड़क दुर्घटनाओं ने भयावह कर दिया. सिक्किम में एक पर्यटक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से इस हादसे में दो पर्यटकों की मौत हो गई, जबकि पांच लोग घायल बताए जाते हैं. सिक्किम में यह दुर्घटना उत्तरी सिक्किम के चुंगथांग लाचुंग रोड में हुई है. हादसे में मारे गए लोग असम के नागरिक बताए जा रहे हैं. वे सिक्किम घूमने आए थे.
सिलीगुड़ी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के द्वारा काफी समय से सेव लाइफ, सेफ ड्राइव जैसे जागरूकता मूलक कार्यक्रम का जोर-जोर से प्रचार किया जा रहा है. लेकिन इसका लोगों खासकर वाहन चालको पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. बीच में पुलिस प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की सख्ती के बाद स्थिति कुछ संभली जरूर थी, मगर फिर से वाहन चालक जैसे बेलगाम होते जा रहे हैं. यही कारण है कि एक बार फिर से सिलीगुड़ी में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गई है.
शुक्रवार का दिन सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में जाम और सड़क दुर्घटनाओं का दिन साबित हुआ है. सिलीगुड़ी के नजदीक खपरैल मोड, बागडोगरा, एस एफ रोड और मिलन मोड की घटना सुर्खियों मे है और कई सवाल खड़े करती है. मिलन मोर और S F Road की सड़क दुर्घटनाएं देर रात्रि की है. एस एफ रोड, दमकल ऑफिस के पास बाइक की टक्कर में दो व्यक्ति घायल हो गए. इस घटना के पीछे अनियंत्रित गति से वाहन चलाना बताया जा रहा है.
मिलन मोड में भी कुछ इसी तरह की घटना बताई जा रही है, जहां एक सिटी ऑटो ने पश्चिम बंगाल पुलिस में रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर पंचलाल तमांग को कुचल दिया. जब वह मिलन मोर से अपने घर निवेदिता रोड पैदल जा रहे थे. सिटी ऑटो का चालक तीव्र गति से सड़क पर गाड़ी दौड़ा रहा था. रोड पार कर रहे रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर प॔चलाल तमांग ने विपरीत दिशा से आ रही गाड़ी को नहीं देखा ,जिसके परिणाम स्वरूप गाड़ी चालक ने उन्हें कुचल दिया.
बुरी तरह घायल अवस्था में पुलिस सब इंस्पेक्टर को सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. प्रधान नगर थाना की पुलिस ने सिटी ऑटो को कब्जे में ले लिया है. पुलिस ने सिटी ऑटो के चालक को भी गिरफ्तार कर उसे सलाखों के पीछे भेज दिया है. बागडोगरा में तो तेज कार टक्कर की घटना सामने आई. इस तरह से एक ही दिन में तीन-तीन सड़क दुर्घटनाओं ने सिलीगुड़ी पुलिस प्रशासन और ट्रैफिक विभाग की चुस्ती और प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है.
अगर इन सभी घटनाओं का विश्लेषण किया जाए तो एक बात सामने आती है कि वाहन चालक हादसों से सीखने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. खासकर उस समय जब रात्रि 9:00 बजे के बाद अधिकांश ट्रैफिक पुलिस अफसरों की ड्यूटी खत्म हो जाती है और सड़कों पर गाड़ियों का आवागमन कम रहता है. चौराहों पर केवल बत्तियां ही नजर आती है. यही वह समय होता है जहां कुछ वाहन चालक ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने से भी पीछे नहीं रहते. क्योंकि उनको रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस तो होती नहीं है.
अध्ययन से पता चलता है कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही, तेज गति और नशे में होती है. यही वह समय होता है, जब कुछ चालक शराब के नशे में जल्दी-जल्दी भाड़ा कमाने और दोपहिया चालक घर पहुंचने की जल्दी में गाड़ी को अनियंत्रित गति से चलाते हैं. फलस्वरुप या तो दो गाड़ियों में टक्कर हो जाती है या फिर उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है.
कुछ लड़के देर रात्रि सिलीगुड़ी की सड़कों पर बिना किसी प्रयोजन घूमते रहते हैं. ज्यादातर लड़के नशा किए हुए होते हैं. ऐसे में बाइक चलाते समय वे ना तो रूट व यातायात के नियमों की परवाह करते हैं और ना ही स्पीड पर ध्यान देते हैं. क्योंकि उन्हें तो सड़कों पर स्टंट करने में ही मजा आता है.
सिलीगुड़ी में सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण सिलीगुड़ी में ट्रैफिक नियमों के पालन में प्रशासन के द्वारा सख्ती नहीं बरता जाना भी शामिल है. यूं तो सिलीगुड़ी में कुकुरमुते की तरह अनेक टोटो हो गए हैं, तो सिटी ऑटो की भी तादाद कम नहीं है. यहां प्रशासन के द्वारा बस स्टॉप का निर्धारण ना के बराबर है. कुछ बस स्टॉप है भी तो वाहन चालक वहां गाड़ी खड़ी करते ही नहीं है. सवारी उठाने के चक्कर में चाहे टोटो हो या ऑटो या फिर सिटी ऑटो, कहीं भी गाड़ी सड़क पर खड़ी कर देते हैं. इसके कारण जाम तो लगता ही है, साथ ही सड़क दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है.
सेवक रोड पर आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं. कुछ दिन पहले सेवक रोड में घटी एक सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की जान चली गई तो कल पश्चिम बंगाल पुलिस में रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर की जान जाते-जाते बच गई. जब तक वाहन चालक ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए खुद से तैयार नहीं होते हैं, तब तक सेव लाइफ सेफ ड्राइव जैसे स्लोगन चलाने अथवा जागरूकता लाने जैसी खाना पूरी करने से भी कोई लाभ नहीं होगा. एक जिम्मेदार वाहन चालक बनकर ही सड़क दुर्घटनाओं से न केवल खुद का बचाव किया जा सकता है बल्कि पुलिस प्रशासन का सहयोग करते हुए दूसरों का भी बचाव करते हुए सड़क दुर्घटनाओं की दर में कमी भी लाई जा सकती है.
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