दो दिनों से सिलीगुड़ी का मौसम काफी सुहावना बना हुआ है. कहीं-कहीं हल्की-फुल्की बरसात भी हुई है. ठंडी ठंडी हवाएं चल रही है. लेकिन उसके बाद फिर से गर्मी का सितम शुरू हो जाएगा. गर्मियों में प्यास काफी लगती है. शीतल जल से ही प्यास बुझाई जा सकती है. लेकिन यहां तो हाल यह है कि शीतल जल क्या, गर्म जल के लिए भी सिलीगुड़ी के लोगों को तरसना पड़ सकता है.
वैसे भी सिलीगुड़ी के नलों में जल कहां रहता है. नगर निगम के कई वार्ड प्यासे रह जाते हैं. गर्मियों में तो हमेशा ही जल का संकट बना रहता है. जब जल की एक-एक बूंद के लिए स्थानीय लोगों का विरोध प्रदर्शन शुरू होता है तो स्थानीय वार्ड पार्षदों के द्वारा टैंकरों से जल पहुंचाया जाता है. लेकिन इस बार तो सिलीगुड़ी नगर निगम ने जैसे हाथ खड़े कर लिए हैं. निगम के द्वारा पहले ही सिलीगुड़ी वासियों को सतर्क कर दिया गया है कि 10 मई से सिलीगुड़ी शहर में जलापूर्ति बाधित हो सकती है.
सिलीगुड़ी शहर के लोग अभी तो जैसे तैसे काम चला रहे हैं. लेकिन जब 10 मई से पानी की किल्लत हो जाएगी तो वह किसके आगे फरियाद करेंगे. क्योंकि सिलीगुड़ी नगर निगम ने जल संकट की बात मान ली है और लोगों को चेतावनी भी दे दी है. अमीर लोग तो पानी की बोतल खरीद कर काम चला लेंगे. लेकिन जो गरीब लोग हैं उनके पास इतने पैसे नहीं होंगे कि जल खरीद कर अपनी जल की आवश्यकता को पूरा कर सके.
दरअसल गाजलडोबा के पास तीस्ता नदी के बांध की मरम्मत शुरू हो रही है, जिसमें कम से कम 15-20 दिन लग जाएंगे. सिलीगुड़ी में गाजरडोबा से ही पानी आता है. अगर 15 20 दिनों तक लोगों को पानी नहीं मिले तो क्या हाल होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने सिंचाई विभाग और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों के साथ नगर निगम कार्यालय में बैठक की है और इसका समाधान ढूंढने के लिए कहा है.
लेकिन किसी को जल संकट का समाधान नजर नहीं आ रहा है. सिलीगुड़ी नगर निगम ने सिलीगुड़ी के लोगों को यह जरूर आश्वासन दिया है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के द्वारा महानंदा के पानी का उपयोग किया जाएगा और निगम के वार्ड और मुहल्लों में लोगों के पीने के लिए पानी की टंकियां अथवा टैंकर भेजे जाएंगे. यह भी कहा जा रहा है कि प्रत्येक बोडो के माध्यम से पानी का पाउच भी उपलब्ध कराया जाएगा. पर यह कहना आसान है. करना उतना ही मुश्किल.
यह भी मान लेते हैं कि सिलीगुड़ी नगर निगम के द्वारा प्रयास किया जा सकता है. लेकिन यह प्रयास भागीरथी प्रयास तो नहीं कहा जा सकता. महानंदा का पानी लेने के लिए निगम को भागीरथी प्रयास ही करना होगा. सवाल तो यह भी है कि इससे कितने लोगों की समस्या का समाधान होगा. क्या पानी के लिए मारामारी नहीं होगी? कोई पानी में गोते लगाएगा तो कोई जल बिन रह जाएगा.
सिलीगुड़ी के लोगों में खुसफुसाहट शुरू हो चुकी है. लोग अभी से ही आने वाले जल संकट का सामना करने के लिए प्लानिंग करने लग गए हैं. बेहतर यही है कि आप भी आने वाले समय में जल संकट के समाधान के लिए उपाय करना शुरू कर दें. कम से कम इस महीने के आखिर तक तो उपाय करना ही होगा. उसके बाद जल की कमी को पूरा करने के आसार नजर आ रहे हैं.
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