उत्तर बंगाल को लेकर समय-समय पर खूब राजनीति की जाती है. एक तरफ भाजपा और पहाड़ की कुछ क्षेत्रीय पार्टियां उत्तर बंगाल को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अलग करने का समर्थन करती हैं तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस इस पर हमेशा हमलावर हो जाती है. तृणमूल कांग्रेस का साफ कहना है कि बंगाल का विभाजन हो चुका है. अब एक और बटवारा होने नहीं दिया जाएगा.
उत्तर बंगाल की राजनीति कई ध्रुवों पर टिकी हुई है.कभी कामतापुरी संगठनों के द्वारा पृथक कामतापुर राज्य की मांग की जाती है तो कभी भाजपा में ही उत्तर बंगाल को अलग करने को लेकर स्वर मुखरित होने लगता है. पहाड़ के कद्दावर नेता विमल गुरुंग ने गोरखालैंड को परे रखकर पृथक उत्तर बंगाल राज्य की मांग की थी और इसके लिए उन्होंने उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों का दौरा भी किया था.
ताजा विवाद केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के उस बयान से उत्पन्न हुआ है,जब सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उत्तर बंगाल को बंगाल राज्य से अलग कर नॉर्थ ईस्ट में शामिल करने की मांग की थी. उन्होंने तर्क दिया था कि इससे उत्तर बंगाल में काफी विकास होगा और केंद्र की योजनाओं का लाभ भी उत्तर बंगाल को मिलेगा. हालांकि सुकांत मजूमदार के इस प्रस्ताव का कर्सियांग के भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा ने विरोध भी कर दिया. वर्तमान में भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा पार्टी और भाजपा नेताओं से लगभग अलग-थलग पड चुके हैं.
बंगाल को लेकर भाजपा की ओर से उठ रही इस मांग को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या सच में भाजपा नेता बंगाल के विकास और घुसपैठ के चलते इस तरह के दाव खेल रहे हैं या फिर इसके पीछे कोई सियासी पेच है. पश्चिम बंगाल में भाजपा पिछले 10 सालों से लगातार मेहनत कर रही है. लेकिन ममता बनर्जी का किला भाजपा के लिए अब भी अभेद्य बना हुआ है. तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव और उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद फि एक बार बंगाल को बांटने की साजिश शुरू कर दी गई है. इसी कारण भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केंद्रीय राज्य मंत्री ने इस प्रकार का प्रस्ताव प्रधानमंत्री के सामने रखा है.
तृणमूल कांग्रेस के नेता तथा सिलीगुड़ी नगर निगम के डिप्टी मेयर रंजन सरकार ने एक बयान में कहा है कि बीजेपी बंगाल को बर्बाद कर देना चाहती है. उन्होंने कहा कि सुकांत मजूमदार को पहले अध्ययन करने की जरूरत है. बिना किसी जानकारी के ही वह कोई भी प्रस्ताव ला देते हैं. कानूनी तौर पर ऐसा कुछ नहीं हो सकता है. लेकिन एक हवा बनाई जा रही है. तृणमूल कांग्रेस की दार्जिलिंग जिला अध्यक्ष पापिया घोष ने भी कुछ ऐसी ही बात कही है. उन्होंने कहा है कि भाजपा के पास तो कोई मुद्दा नहीं है. हार के बाद भाजपा बौखला गई है. इसलिए अब बंगाल के लोगों को बांटने के लिए इस तरह की बात की जा रही है.
भाजपा के राज्यसभा सदस्य अनंत महाराज ने भी इस मामले को लेकर अपनी ही पार्टी पर हमला किया है. उनका साफ कहना है कि उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर में शामिल करने से पहले अलग कामतापुर राज्य का गठन हो जाना चाहिए. केंद्र सरकार को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है. कुल मिलाकर यही कह सकते हैं कि एक बार फिर से उत्तर बंगाल को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. उत्तर बंगाल को अलग राज्य अथवा केंद्र शासित राज्य की मांग से किसको फायदा मिलेगा, इस पर भी राजनीति शुरू हो गई है. हालांकि यह सभी जानते हैं कि कानूनी तौर पर ऐसा होना मुमकिन नहीं है. पर राजनीति तो राजनीति ही होती है!