ऐसा लगता है कि बंगाल विभाजन की फैलाई जा रही हवा कुछ ज्यादा ही तेज हो गई है. दिल्ली से उठी यह हवा बंगाल में कोने-कोने तक फैल गई है. तभी टीएमसी की सरकार 5 अगस्त को नियम 185 के तहत बंगाल के विभाजन के खिलाफ प्रस्ताव लाने जा रही है.
फिलहाल उत्तर बंगाल में केवल दो ही चर्चा सुनने को मिल रही है. उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए या उसे अलग राज्य का दर्जा दिया जाए. भाजपा के उत्तर बंगाल के सांसदों ने इसकी शुरुआत कर दी है. उत्तर बंगाल में आठ जिले हैं. हर जिले की अपनी अपनी मांग है. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बंगाल के दो जिलों और बिहार के कुछ जिलों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव दिया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर उन्नयन परिषद में शामिल करने की मांग की है. जबकि भाजपा के राज्यसभा सदस्य अनंत महाराज ने ग्रेटर कूचबिहार की स्थापना करने की वकालत की है.
पहाड़ में काफी समय से अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग हो रही है, तो जलपाईगुड़ी में कामतापुर और कूचबिहार इलाके में ग्रेटर कूचबिहार राज्य बनाने की मांग उठती रही है. वर्तमान में पूरे उत्तर बंगाल को अलग राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग हो रही है. तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने इसे बंगाल विभाजन से जोड़ा है. इसलिए इसे विधानसभा में चर्चा कराने के लिए तैयार है. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शोभन देव चट्टोपाध्याय ने बंगाल के विभाजन की मांगों को लेकर भाजपा के नेता, सांसद व विधायकों से कहा है कि वे विधानसभा में स्पष्ट रूप से बताएं कि वह बंगाल के विभाजन के पक्ष में हैं अथवा इसके खिलाफ हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी है कि मैं बंगाल को बांटने नहीं दूंगी. उन्होंने एक बयान में कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा बंगाल को बांटने की सभी साजिश नाकाम कर दी जाएगी. उन्होंने भाजपा नेताओं के प्रस्तावों का विरोध करते हुए कहा था कि बंगाल को विभाजित करने का कोई भी साहस नहीं कर सकता. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक सुबेंदु अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि उनकी पार्टी का पहले से ही स्पष्ट रूख है कि हम बंगाल के किसी भी विभाजन के खिलाफ हैं. लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक है. हमें बांग्लादेशियों और म्यांमार से रोहिंगया की घुसपैठ को रोकना होगा. अगर इसे नहीं रोका गया तो सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसांख्यकी बदल जाएगी और हिंदुओं का पलायन होगा.
बालूरघाट के भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के अधीन करने की बात कर चुके हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रस्ताव भी दिया था. इसके बाद से ही यह विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. अब उनके प्रस्ताव का जलपाईगुड़ी के सांसद डॉक्टर जयंत कुमार राय भी समर्थन कर चुके हैं.हालांकि कामतापुरी पार्टी उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय में शामिल करने का विरोध कर रही है. यह कोई पहला मौका नहीं है, जब उत्तर बंगाल को अलग राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग उठ रही हो.
इससे पहले भाजपा के कई विधायक और सांसद उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग कर चुके हैं. दरअसल भाजपा नेताओं को लगता है कि उत्तर बंगाल को हमेशा से उपेक्षित रखा गया है. भाजपा नेता चाहते हैं कि उत्तर बंगाल का संपूर्ण विकास हो और यही कारण है कि वह उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश अथवा अलग राज्य बनाने की मांग करते आ रहे हैं. जहां तक उत्तर बंगाल की उपेक्षा की बात है तो कहीं ना कहीं लोग भी मानते हैं कि दक्षिण बंगाल की तरह उत्तर बंगाल का विकास नहीं हुआ है. बहरहाल इस पर राजनीति शुरू हो गई है. अब देखना होगा कि उत्तर बंगाल पर चल रही राजनीति का शोर कब थमेगा!
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