September 19, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

किशोर कुमार से लेकर हेमंत मुखर्जी तक! फुलबाड़ी के लालमोहन का हर कोई है दीवाना!

कोलकाता का रसगुल्ला और सिलीगुड़ी के लालमोहन का जवाब नहीं है. दोनों का स्वाद अद्भुत और बेजोर है. यही कारण है कि बंगाल में यह दोनों ही मिठाइयां काफी मशहूर हैं और देश भर में इसकी मिसाल दी जाती है. आज हम सिलीगुड़ी के लालमोहन की प्रसिद्धि की बात बताते हैं.

लालमोहन का नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है. आज लालमोहन सिलीगुड़ी में लगभग सभी मिठाई की दुकानों में मिल जाती है. लेकिन एक समय लालमोहन सिर्फ फुलबारी में ही मिलती थी. फुलबारी के लालमोहन की बात ही कुछ अलग थी. कहा जाता है कि भारत में लालमोहन का प्रचार करने वाला सिलीगुड़ी के निकट फुलबारी ही है. जहां सर्वप्रथम लालमोहन अस्तित्व में आया था. एक लोकप्रिय न्यूज़ चैनल न्यूज़ 18 में प्रसारित एक लेख के अनुसार लोकप्रिय दुकान के मालिक रतन कुमार घोष ने दावा किया गया है कि इस दुकान में लालमोहन मिठाई का स्वाद लेने के लिए बड़े-बड़े सेलिब्रिटी आ चुके हैं.

जानकार मानते हैं कि लालमोहन एक ऐसी मिठाई है जो ताजी और शुद्ध हो तो मुंह में रखते ही घुल जाती है. सिलीगुड़ी के लोग लालमोहन का स्वाद चखने के लिए फूलबारी जाते थे. तब फूलबारीे में एक छोटी सी दुकान होती थी. दुकानदार सिर्फ लालमोहन नामक मिठाई ही बनाता था. जिसे खाने के लिए काफी दूर-दूर से लोग आते थे. कहा तो यह भी जाता है कि बांग्लादेश तक से लोग यहां लालमोहन का स्वाद लेने आते थे.

बताया जाता है कि लालमोहन नामक मिठाई का इतिहास लगभग 72 साल पुराना है. यह मिठाई लाल रंग की होती है. लेकिन स्वाद ऐसा है कि कोई अन्य मिठाई इसका मुकाबला नहीं कर सकती है. इस मिठाई को बनाने के लिए आटा, खीर, पनीर इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है. मिठाई निर्माता या कारीगर सभी वस्तुओं को तेल में तलते हैं और उसके बाद चीनी की चाशनी में डुबोकर तैयार किया जाता है. लालमोहन और गुलाब जामुन में वैसे खास अंतर नहीं है. शुद्ध और असली लालमोहन मिठाई मुंह में रखते ही घुलने लगती है.

रतन कुमार घोष बताते हैं कि फुलबारी की मिठाई खाने के लिए किसी जमाने में किशोर कुमार से लेकर हेमंत कुमार मुखर्जी तक यहां आ चुके हैं. फुलबारी में लालमोहन नामक मिठाई का आविष्कार सर्वप्रथम मैमन सिंह और मनींद्रनाथ घोष ने किया था. यह 72 साल पहले की बात है. उन्होंने ही मिठाई का नाम लालमोहन दिया. मणीन्द्रनाथ घोष के बेटे रतन कुमार घोष ने दावा किया है कि लालमोहन मिठाई की शुरुआत उनके पिताजी ने ही की थी और तब से यह मिठाई मशहूर है.

सिलीगुड़ी के फुलबारी की लाल मोहन मिठाई का स्वाद लेने के लिए यहां अनेक सेलिब्रिटी आ चुके हैं. रतन कुमार घोष के अनुसार उनके यहां की मिठाई को सभी ने पसंद किया है. कहा तो यह भी जाता है कि एक बार मन्ना डे किसी कार्य के लिए सिलीगुड़ी आए थे. उन्हें यह मिठाई खिलाई गई तो उन्हें उसका स्वाद काफी पसंद आया था. वे अपने साथ लालमोहन लेकर मुंबई भी गए. इसमें कोई शक नहीं है कि सिलीगुड़ी के निकट फुलबारी लालमोहन नामक मिठाई के लिए कल भी मशहूर था और आज भी मशहूर है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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