November 12, 2024
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उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

सिलीगुड़ी हिंदी हाई स्कूल के छात्रों ने कैमरे के सामने खोली स्कूल की पोल !

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी हिंदी हाई स्कूल के छात्रों ने कैमरे के सामने खोली स्कूल की पोल और खबर समय के सामने अपनी परेशानियों को किया उजागर | छात्रों ने बताया कि, उनके स्कूल में बीते एक हफ्ते से पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, कक्षाओं में पंखे तो हैं, लेकिन सिर्फ नाम मात्र, शौचालय पूरी तरह गंदे पड़े हुए हैं, तो कुछ शौचालय साँपों का डेरा बन गया है | बता दे कि, कुछ दिनों पहले हाकिमपाड़ा स्थित एक स्कूल की बच्ची ने भी मेयर के समक्ष शिकायत करते हुए बताया था कि, उनके कक्षा में लगा पंख सही तरीके से काम नहीं करता, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियां होती है, बच्ची की शिकायत पर मेयर गौतम देब खुद पंखा लेकर स्कूल पहुंच गए थे | अब इसी तरह का मामला सिलीगुड़ी हिंदी हाई स्कूल में भी देखने को मिला | आज सुबह स्कूल परिसर तनावपूर्ण बन गया था, बच्चें मध्याह्न में ही घर जा रहे थे, जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने सीधे और साफ शब्दों में कहा कल भी स्कूल जल्दी छुट्टी हो गया था और आज भी जल्दी छुट्टी मिल गई है | सवाल यह उठता है कि, क्या स्कूल में हो रही परेशानियों के कारण स्कूल प्रबंधक स्कूल को समय से पहले बंद कर रहे है ? देखा जाए तो हर इंसान के जीवन में प्राथमिक से हाई स्कूल तक की पढ़ाई का काफी महत्व रहता है और हर इंसान अपने स्कूल के दिनों को यादगार ही मानता है | अक्सर लोगों स्कूल लाइफ इज गोल्डन लाइफ कहते है, क्योंकि हर इंसान ही अपने स्कूली के जीवन को याद करता है | लेकिन आज हिंदी हाई स्कूल के माहौल को देखकर यह लग रहा था कि, यह बच्चें अपने गोल्डन लाइफ को व्यथा में बिता रहे है | जीवन में कुछ बनने और कुछ करने के उद्देश्य को लेकर हर बच्चें स्कूल जाते हैं, लेकिन यदि उस स्कूल में उन्हें साधारण सहूलियत भी ना मिले, तो उनका मन पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता है | स्कूल विद्या का मंदिर है और इस विद्या के मंदिर में बच्चें पानी की बूंद के लिए तरस रहे है | मदद की गुहार लगते हुए हिंदी स्कूल के बच्चों ने खबर समय के समक्ष अपनी परेशानियों को सांझा किया | पहले तो स्कूल के छात्रों ने इस मामले को लेकर शिक्षकों से शिकायत की थी, लेकिन शिक्षकों ने पूरी तरह पलड़ा झाड़ लिया, वे बच्चों की शिकायतों को अनदेखा कर रहे हैं | आज स्कूल के बेबस बच्चों ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी भी की | देखा जाए तो स्कूल के बच्चें गीली मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें जिस सांचे में ढाल दिया जाए, वैसे ही बन जाते है, तो क्या अपनी परेशानियों के खिलाफ स्कूल के छात्र नारेबाजी करे, क्या यह उचित है ? क्या स्कूल प्रबंधक को इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिए ? ऐसे कई सवाल है जो आज हिंदी हाई स्कूल की स्थिति को देखकर सामने आई | स्कूल के छात्र चाहते हैं कि, जल्द से जल्द इन परेशानियों का अंत हो, ताकि वे अपनी पढ़ाई लिखाई ठीक से कर सके | जब इस मामले को लेकर स्कूल प्रबंधन की ओर से सुरेश बैठा ने बताया कि, स्कूल की ओर से इस मामले में उचित कदम उठाया जा रहा है, जल्द से जल्द सभी समस्याओं का समापन होगा | वही जब उनसे यह पूछा गया कि, बच्चों की छुट्टी मध्यान्ह से पहले क्यों हो रही है, तो उन्होंने बताया कि, बच्चें खुद ही अपने मन से स्कूल छोड़कर जा रहे हैं और छात्रों की कमी के कारण स्कूल को बंद कर दिया जाता है | अब देखना यह है कि, स्कूल प्रबंधक छात्रों की समस्याओं का निवारण कब करते हैं, फिलहाल तो सिलीगुड़ी हिंदी स्कूल के छात्र समस्याओं से घिरे हुए हैं, यदि इसी तरह की समस्या स्कूल में बनी रही तो वे आगे की शिक्षा किस तरह से पूरी करेंगे, इस पर प्रश्न चिन्ह बना हुआ है ?

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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