सिलीगुड़ी: ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ क्या यह कथन सही है ? क्या सच में पुरुषों को कभी पीड़ा नहीं होती ? क्या वह इंसान नहीं ? लेकिन वास्तविकता कुछ और ही एक पुरुष अपने परिवार के लालन पालन के लिए जीवन के हर उतार-चढ़ाव को हंसते हुए झेल जाता है, कभी-कभी तो वो ऐसे भवर में फंस जाते हैं, जहां से निकल पाना काफी मुश्किल होता है | कुछ इसी तरह की कहानी है कालिम्पोंग के भारतीय सेना के सेवानिवृत्त जवान उर्गेन तमांग की |
सवाल यह उठता है कि, कालिम्पोंग के रहने वाले उर्गेन तमांग जो सेवानिवृत्त जवान है, वे आखिर मास्को यानी रसिया पहुंचे कैसे ? बता दे कि, उर्गेन तमांग 2018 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए, उसके बाद वे गुजरात के एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में कार्यरत थे | लेकिन वे आगे कुछ और भी करना चाहते थे, उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बच्चें भी है | इसलिए लिए उर्गेन तमांग विदेश जा कर कामना चाहते थे, जिससे उनके बच्चों को अच्छा भविष्य मिल सकें | उनकी मुलाकात एक एजेंट से हुई, जिसके माध्यम से वो बीते वर्ष सिलीगुड़ी से दिल्ली और मास्को की राजधानी रसिया पहुंचे, उस एजेंट ने ही उन्हें टिकट और विजा भी दिया था | मास्को में उनकी मुलाकात एक गोरखा नेपाली एजेंट से हुई और वह एजेंट उसे लेकर एक सेना शिविर में पहुंचा, जहां उर्गेन तमांग से एक बॉन्ड में हस्ताक्षर करवाए गए और उन्हें असला,बारूद की ट्रेनिंग दी गई और इसी वर्ष के बीते जनवरी माह के आखरी दिनों में उर्गेन तमांग ने रसिया के आर्मी को जॉइन किया | बता दे कि, कई वर्षों से रसिया और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है और भारत के उर्गेन तमांग भी अब इस युद्ध में शामिल हो गए थे | भय का माहौल लगातार बढ़ रहा था और उर्गेन को अपने परिवार वालों की याद सता रही थी, वह किसी तरह अपने परिवार तक पहुंचाना चाहते थे | उर्गेन ने यह सारी बात वीडियो के माध्यम अपनी पत्नी को बता दी |
दूसरी ओर पत्नी को जब अपने पति के हालात के बारे में जानकारी मिली, तो वो भी डर गई, वो किसी तरह अपने पति को वापस लाना चाहती थी | उन्होंने कालिम्पोंग म्युनिसिपालिटी के अध्यक्ष रवि प्रधान से मदद मांगी | जैसे ही रवि प्रधान को इस मामले के बारे में जानकारी मिली, वे भी उर्गेन तमांग को घर वापस लाने की प्रक्रिया में जुट गए | रवि प्रधान रोज उर्गेन तमांग को फोन करते और बातचीत करते,उनका हाल-चाल पूछते | रवि प्रधान ने इस मामले को लेकर भारत सरकार, एमबीसी, सांसद सभी को पत्र लिखें और उर्गेन तमांग को वापस लाने की अपील की | वही उर्गेन तमांग के परिवार वालों को भी आश्वासन देते | मार्च महीने से चले इस लंबी प्रक्रिया में आखिरकार रवि प्रधान की जीत हुई, उनके विश्वास और मेहनत के कारण आज उर्गेन तमांग अपने परिवार के पास पहुंच चुके हैं | वहां की सरकार ने भी आख़िरकार उर्गेन तमांग को घर वापसी की इजाजत दे दी | आज जैसे ही उर्गेन तमांग बागडोगरा एयरपोर्ट पर पहुंचे, लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई, उर्गेन तमांग ने भी जैसे ही अपने परिवार वालों को देखा उनकी आँखे नम हो गई | इस दौरान संवाद दाताओं ने भी उर्गेन तमांग को घेर लिया और सवालों की झड़ी लगा दी | उर्गेन तमांग ने भी संवाद देता के समक्ष अपने उस भयावह अनुभव को साँझा किया, साथ ही रवि प्रधान सहित भारत सरकार तथा सभी को धन्यवाद दिया | उन्होंने बताया कि,भगवान की कृपा के कारण ही आज वे जिंदा है और अपने देश लौट आए है | अपने परिवार और देश से दूर रहना कितना मुश्किल था, उनको पल पल अपने परिवार की याद सता रही थी | लेकिन रवि प्रधान और मजबूत राष्ट्र होने के कारण आज वे उस युद्ध भूमि से लौटकर वापस आ चुके है |
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