पहलगाम हमले में अब तक जो कुछ भी जानकारी हाथ लगी है, उसके बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि मुंबई के 26/11 हमले की तरह ही इसमें साजिश रची गई थी. हमले का तार पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों जिसमें मुजफ्फराबाद भी शामिल था, से जुड़ा हुआ था. सवाल महत्वपूर्ण है. अब भारत क्या करेगा? क्या भारत 28 लोगों की चीखें भूला पाएगा?
यह अपनी तरह का पहला ऐसा मामला है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. धर्म पूछ कर गोली मारी गई है. क्या भारत एक धार्मिक देश है? भारत पाकिस्तान नहीं है. लेकिन पाकिस्तान और पाकिस्तान के आतंकवादी भारत को धर्म के नाम पर बांटना चाहते हैं. इस हमले में जिन लोगों ने अपनी जानें गवायी, जरा सोचिए क्या उन्होंने सपने में भी यह सोचा था कि उनके साथ ऐसा होगा.
उनके साथ उनका परिवार था. बच्चे थे. छुट्टियां मना रहे थे और स्वर्ग से सुंदर पहलगाम घाटी का आनंद ले रहे थे. अचानक गोलीबारी होती है. पल भर में ही सब कुछ खत्म हो जाता है. उन मासूम बच्चों पर क्या गुजर रहा होगा, जिन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने पिता को लहू लुहान होकर दम तोड़ते देखा होगा. उस पत्नी पर क्या गुजर रहा होगा, जो अपने पति के साथ हनीमून पर आई थी और अपनी आंखों के सामने पति को मौत के मुंह में जाते देख रही थी. उस मां-बाप पर क्या गुजर रहा होगा और उन्होंने इस सदमे को कैसे सहा होगा, जब उन्हें उनके लाल की हृदय विदारक खबर सुनने को मिली होगी.
भारत के लोगों को निश्चित रूप से इस पीड़ा का एहसास है और यही कारण है कि हर भारतीय की जुबान से एक ही स्वर निकलता है, अब फैसला की घड़ी है. मातम मनाने का नहीं. पहलगाम में जिन 28 लोगों की गोली मारकर हत्या की गई है, उनमें से बंगाल के तीन पर्यटक भी शामिल हैं. पूर्वी वर्धमान के वितान अधिकारी, बेहला के समीर गुहा और पुरुलिया के मनीष रंजन मिश्रा. वितान अधिकारी फ्लोरिडा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे. अपनी पत्नी व 3 साल की बेटी के साथ छुट्टियां मनाने पहलगाम गए थे.
मनीष रंजन मिश्रा पुरुलिया में रहते हैं. वह आईबी अफसर हैं. हालांकि उनका मूल निवास बिहार का रोहतास जिला है. हैदराबाद में उनकी पोस्टिंग थी. वे परिवार के साथ छुट्टियां बिताने पहलगाम गए थे. बैसरण घाटी में आतंकवादियों ने उन्हें गोलियों से भून डाला. बालूरघाट के रविंद्र नगर निवासी अनुराग मंडल तथा उनकी पत्नी जरूर भाग्यशाली हैं, जो आतंकवादी हमले से बाल बाल बच गए हैं. वे सकुशल अपने घर लौट आए है. पति-पत्नी हनीमून मनाने पहलगाम गए थे. वे बैसरण घाटी की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने गोलीबारी की आवाज सुनी और उसके बाद वापस अपने होटल में लौट गए.
जिन लोगों ने आतंकवादी हमले में अपनी जान गवायी है, वे सभी भारत के अलग-अलग राज्यों के लोग थे. कुछ विदेशी भी थे. राज्य सरकार मृतकों के आश्रितों के प्रति शोक व्यक्त कर रही है और उनके प्रति हमदर्दी दिखा रही है. मातम मनाने और हमदर्दी दिखाने से आतंकवाद का सफाया नहीं हो जाता. जिन लोगों ने यह कायराना हरकत की है, उन्हें सबक सिखाना जरूरी है. केवल बड़ी-बड़ी बातें करने से नहीं होगा. गृह मंत्री व प्रधानमंत्री ने कहा है कि आतंकवादियों को अंजाम भुगतना होगा.अब समय आ गया है कि उन्हें अपनी बातों को साबित करके दिखाना होगा.
अब भारत बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण पूरा भारत एकजुट हो चुका है और भारत सरकार से निर्णायक फैसला चाहता है. प्रधानमंत्री की अगुवाई में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक होने जा रही है. उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय भावनाओं के अनुरूप ही फैसला किया जाएगा. ऐसा लगता भी है. क्योंकि आतंकवादी हमले के बाद से ही प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की नींद और चैन खत्म हो चुकी है. गृह मंत्री रात में ही जम्मू-कश्मीर पहुंच गए थे. उन्होंने घटनास्थल का मुआयना कर भी लिया है. अब सिर्फ फैसला करना बाकी है.
अब तक आतंकवादी हमले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री को बहुत सी बातों की जानकारी हो चुकी है. कहते हैं कि चोर की दाढ़ी में तिनका होता है. पाकिस्तान डर गया है. उसे लगता है कि भारत कभी भी सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है. इसलिए पाक आर्मी को हाई अलर्ट पर रखा गया है. इंटेलिजेंट सूत्र बता रहे हैं कि LOC के पास पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 42 टेररिस्ट लॉन्च पैड एक्टिव है. इन लांच पैड पर 110 से 130 आतंकवादी मौजूद बताये जा रहे हैं. घाटी में 70 से 75 आतंकवादी सक्रिय हैं. राजौरी में 60 से 65 आतंकी एक्टिव हैं. यह सभी पाकिस्तानी आतंकी हैं. जिस तरह से भारत सरकार एक्शन में है, ऐसा लगता है कि इस बार आर या पार का फैसला सरकार लेने जा रही है. हालांकि निर्णायक फैसले के लिए साउथ ब्लॉक पर देशभर की नज़रें टिकी हुई है.