एक बार फिर से एनजेपी का टैक्सी स्टैंड अपने दादागिरी टैक्स को लेकर सुर्खियों में है. टैक्सी चालक विकी अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि उसने दादागिरी टैक्स देने से इनकार कर दिया. इस पर टैक्सी स्टैंड के कुछ दादाओ ने मिलकर उन पर बांस, बाटाम और राॅड से हमला किया तथा उनकी जान लेने की कोशिश की. बड़ी मुश्किल से अपने एक ड्राइवर मित्र की मदद से वह बच सका है. अन्यथा उसके साथ भयानक हादसा हो सकता था!
प्राप्त जानकारी के अनुसार टैक्सी चालक विकी अग्रवाल ने 3 दिन पहले एनजेपी टैक्सी स्टैंड से एक भाड़ा उठाया था. लेकिन वह दादागिरी टैक्स दिए बिना अपनी टैक्सी से सवारी को गंतव्य स्थल छोड़ने चला गया. आज जब वह टैक्सी स्टैंड पहुंचा तो सिंडिकेट के लड़कों ने उससे उस दिन का दादागिरी टैक्स मांगा. इस पर उसने देने से इनकार कर दिया. दोनों पक्षों में गरमा गरमी बढ़ने लगी. इसी बीच युवाओं ने जो संख्या में 5 से 6 थे, ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया
विकी अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि उसकी गाड़ी लोकल है. इसके बावजूद वे लोग उससे जबरन दादागिरी टैक्स वसूल रहे थे. जब उसने देने से मना कर दिया तब सब ने मिलकर उसकी पिटाई कर दी. उसने कैमरे के सामने अपनी आंख, पीठ व छाती दिखाते हुए कहा कि उन लोगों ने उसकी बेरहमी से पिटाई की है. अगर उसके एक दोस्त ने बचाया नहीं होता तो वे उसकी जान भी ले सकते थे. इस घटना के बाद पूरे इलाके में आतंक फैल गया है. एनजेपी टैक्सी स्टैंड के चालक काफी सहमे हुए हैं. उन सभी ने चालक विकी अग्रवाल का साथ दिया. विकी अग्रवाल ने अपने यूनियन के सभापति से बात की और उनके निर्देश पर एनजेपी थाने जाकर शिकायत दर्ज कराई है.
इस तरह के मामले आए दिन यहां देखे जाते हैं. नजदीक में ही एनजेपी थाना है. यहां के कुछ लोगों ने बताया कि प्रशासन की छत्रछाया में यह सिंडिकेट फल फूल रहा है. पुलिस से शिकायत करने पर भी कुछ नहीं होता है. बाद में भाड़ा कमाने वाले टैक्सी चालकों को समझौता करना पड़ता है. यहां दादागिरी टैक्स की पर्ची कटवाने के बाद ही टैक्सी चालक यहां से भाड़ा उठा सकते हैं. बरसों से एनजेपी टैक्सी स्टैंड पर कुछ लोगों के द्वारा कब्जा हो गया है. वह इसे एक व्यवसाय की तरह चला रहे हैं.
यहां सवारी के लिए आने वाले टैक्सी ड्राइवर को पहले उनसे दादागिरी टैक्स की पर्ची लेनी पड़ती है, जो भाड़ा के हिसाब से 20% से अधिक हो सकता है. जैसा कि चालक विकी अग्रवाल ने बताया कि अगर टैक्सी भाड़ा ₹4000 का है तो यहां के दादाओ को कम से कम ₹400 देना पड़ता है. तभी आप गाड़ी चला सकते हैं अन्यथा सिंडिकेट के लड़के मिलकर आपके हाथ पांव तोड़ सकते हैं. कानूनी तौर पर यह पूरी तरह अवैध है. लेकिन इसके बावजूद प्रशासन उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता है.
टैक्सी चालकों के साथ मारपीट के मामले में ज्यादा से ज्यादा पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर लेती है और फिर उन्हें जमानत पर रिहा भी कर दिया जाता है. सूत्रों ने बताया कि टैक्सी स्टैंड पर कुछ युवा टैक्सी चालकों से वसूली के लिए ही रखे जाते हैं. अगर कोई टैक्सी चालक पैसा देने से आनाकानी करता है तो यह सभी मिलकर उसकी काफी पिटाई कर देते हैं. यहां आतंक का माहौल ऐसा है कि टैक्सी चालक बगैर किसी झंझट में पड़े हुए चुपचाप दादागिरी टैक्स भर देते हैं. आरोप है कि सिंडिकेट के लोग ज्यादा मुख खोलते हैं. पहले टैक्सी चालकों को 10% दादागिरी टैक्स देना होता था , अब उन्होंने 20% बढ़ा दिया है.
इससे पहले यहां पर सिक्किम के टैक्सी चालकों के साथ सिंडिकेट के लोगों का अत्याचार तो आपने पहले भी सुना है. कई बार इस मसले को सुलझाने की कोशिश की गई. प्रशासन के द्वारा यह भरोसा दिया गया कि टैक्सी चालकों के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं होगी. लेकिन इसके बावजूद जब तब ऐसी घटनाएं घट जाना एक दुर्भाग्य जनक ही कहा जा सकता है. इसके लिए कौन दोषी है? सवाल यह महत्वपूर्ण है कि एक गैरकानूनी धंधे को फलने फूलने क्यों दिया जा रहा है? बहर हाल यह देखना होगा कि सिलीगुड़ी प्रशासन और एनजेपी थाना इस मामले में सिंडिकेट के खिलाफ क्या बड़ी कार्रवाई करती है? पुलिस मामले की जांच कर रही है. विक्की अग्रवाल द्वारा नामजद दो आरोपी पप्पू और पप्पू यादव की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी .
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