अलीपुरद्वार: गयेरकाटा चाय बागान में बीते कुछ दिनों से फैले तेंदुआ के आतंक का अंत रविवार सुबह उस वक्त हुआ, जब एक वयस्क चिताबाघ को पिंजरे में कैद पाया गया। घटना की खबर मिलते ही बागान के मजदूर क्षेत्र में राहत की लहर दौड़ गई और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग तेंदुआ को देखने उमड़ पड़े।
कुछ दिन पहले, गयेरकाटा चाय बागान के अंग्राभाषा सेक्शन में काम करते समय चिताबाघ के हमले में चार चाय मजदूर घायल हो गए थे। इसके बाद से ही मजदूरों में भय का माहौल था और बागान का नियमित कामकाज प्रभावित हो रहा था।
चिताबाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने रणनीति के तहत बागान के विभिन्न सेक्शनों में बकरी को चारे के रूप में इस्तेमाल कर पिंजरे लगाए थे। इसी योजना के तहत रविवार सुबह, जब मजदूर बागान अस्पताल के पास मनिपुर-1 डिवीजन में काम पर पहुंचे, तो देखा कि एक बड़ा चिताबाघ पहले से लगे पिंजरे में कैद है।
सूचना तुरंत बागान प्रबंधन और वन विभाग को दी गई। खबर मिलते ही मोराघाट रेंज, बिन्नागुड़ी वन्यजीव शाखा, और वन्यजीव संगठन ‘अरण्यक’ के सदस्य मौके पर पहुंचे और चिताबाघ को पिंजरे में सुरक्षित रूप से पकड़कर ले गए।
मोराघाट रेंज के रेंजर चंदन भट्टाचार्य ने जानकारी दी कि:
“पिंजरे में एक वयस्क चिताबाघ को सुरक्षित पकड़ा गया है। उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा, उसके बाद उसे उपयुक्त जंगल में छोड़ दिया जाएगा।”
स्थानीय लोगों ने वन विभाग की तत्परता की सराहना की और कहा कि अब वे राहत की सांस ले पा रहे हैं। कई दिनों से बच्चे और महिलाएं बाहर निकलने से डर रहे थे।