देश में पहली बार एक ऐसे घोटाले का पर्दाफाश हुआ है,जहां फर्जी दस्तावेजों के जरिए आयकर विभाग से रिफंड प्राप्त करने का गोरख धंधा चल रहा था. इस धंधे में अब तक 1045 करोड़ का घोटाला सामने आया है. इसके बाद आयकर विभाग सक्रिय हुआ है और अब तक देश भर में इस कार्य में लगे लोगों की गिरफ्तारी और धर पकड़ के लिए 200 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की है.
सिलीगुड़ी में आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है. टीम के अधिकारी सिलीगुड़ी, सिक्किम और उत्तर बंगाल में छापे मार रहे हैं. अब तक जो भी दस्तावेज हाथ लगे हैं, उनके आधार पर आगे की कार्यवाही की जा रही है. सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी आयकर विभाग की टीम को अनेक फर्जी दस्तावेज हाथ लगे हैं. इन्वेस्टिगेशन प्रक्रिया चल रही है. जिन लोगों ने सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में आयकर रिटर्न फाइल किया है, उसकी स्कैनिंग की जा रही है. इससे बहुत सी बातें सामने आई हैं और आएंगी.
अब तक की जांच में जो कुछ भी सामने आया है, उससे पता चलता है कि आयकर विभाग को चूना लगाने में वे लोग ज्यादा जिम्मेदार हैं, जो इनकम टैक्स रिटर्न के नियमों और कानून की ज्यादा जानकारी रखते हैं. आयकर छूट में शामिल तत्वों का सहारा लिया जाता है. और उसके आधार पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल होता है. यह पूरी तरह फर्जी होता है. इस फर्जी कागजात को अकाउंटेंट तैयार करते हैं. वित्तीय सलाहकार, अकाउंटेंट और जो लोग विभाग को चूना लगा रहे हैं उनमें ट्रस्ट और संस्थाएं अत्यधिक हैं.
आयकर छूट किन्हें मिलती है? नियमों के अनुसार सरकारी कर्मचारी, शिक्षण संस्थान तथा समाजसेवी संस्थाओं जैसे ट्रस्ट और उद्योग धंधों के लिए आयकर एक्ट में छूट का प्रावधान है. उदाहरण के लिए बच्चों की पढ़ाई,जीवन बीमा, निवेश, घर का किराया इत्यादि. वित्तीय सलाहकार और अकाउंटेंट इसके आधार पर फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं. उसके बाद रिटर्न फाइल करते हैं. सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग से रिफंड की रकम के आधार पर ही उनका कमीशन भी होता है
सारी बातें इनकम टैक्स रिटर्न करने वालों के साथ सेटिंग होने के बाद लेनदेन का हिसाब फाइनल किया जाता है. इस तरह से जो रिटर्न आता है, उनमें अकाउंटेंट और वित्तीय सलाहकार का हिस्सा ज्यादा होता है. सूत्रों ने दावा किया कि यह इतना ज्यादा होता है कि जितना रिटर्न आता है, उसका लगभग 50% या 40% अकाउंटेंट और वित्तीय सलाहकार खा जाते हैं. आयकर दाता को इस बात का संतोष होता है कि बिना कुछ लगाए कम से कम 50% तो उन्हें मिल ही रहा है.
देशभर में फर्जीवाड़ा करने वाले वालों का एक विशाल नेटवर्क है. इनकम टैक्स के अधिकारी अब इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचना चाहते हैं. इसलिए आयकर विभाग के अधिकारी गुप्त रूप से अपने मिशन पर जुट गए हैं. आयकर विभाग को चूना लगाने वालों तक पहुंचने के लिए वर्तमान में आयकर विभाग के अधिकारी ए आई टूल्स का उपयोग कर रहे हैं. इस तकनीकी के जरिए आयकर छूट पाने वाले तत्वों की सारी जानकारी विभाग को तुरंत मिल जाती है. जैसे मकान का किराया, बच्चों की पढ़ाई का खर्च, बीमा,निवेश इत्यादि के लिए खर्च का सारा ब्यौरा पारदर्शी तरीके से ए आई विभाग को दे सकता है.
इस टूल्स के जरिए पिछले दिनों इनकम टैक्स अधिकारियों ने पूरे देश में 200 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की थी. पश्चिम बंगाल के अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश सब जगह छापेमारी की गई थी और फर्जी दस्तावेजों को बरामद किया गया था. देखना होगा कि फर्जी वाड़े की जड़ तक पहुंचने में ए आई टूल्स आयकर अधिकारियों को कितनी मदद कर पाता है. अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो इनकम टैक्स विभाग को फर्जी दस्तावेजों के सहारे चूना लगाने का गोरख धंधा ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगा.