बांग्ला भाषा को लेकर सिलीगुड़ी की दुकानों और प्रतिष्ठानों से शुरू हुआ यह सफर बहुत जल्द सिलीगुड़ी नगर निगम की कार्यवाही तक परवान चढने वाला है. अगर आने वाले समय में सिलीगुड़ी नगर निगम की बोर्ड मीटिंग की कार्यवाही में केवल बांग्ला भाषा चले, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. सिलीगुड़ी नगर निगम बहुत जल्द इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण फैसला कर सकती है.
इस बात के पूरे आसार हैं कि सिलीगुड़ी नगर निगम आने वाले कुछ समय में सिलीगुड़ी के लोगों को हिला देने वाला फैसला कर सकती है. सिलीगुड़ी नगर निगम का एक ऐसा फैसला जो अब तक सिलीगुड़ी नगर निगम के इतिहास में कभी नहीं हुआ था. वाम मोर्चा शासनकाल से लेकर वर्तमान तृणमूल शासन शासित बोर्ड कल तक ऐसा करने की सोच भी नहीं सकता था. लेकिन आज तस्वीर बदल चुकी है.
बंगाल में भाषा आंदोलन की धमक तेज हो चुकी है. बंगाल से बाहर रोजी रोटी कमाने वाले बांग्लाभाषी मजदूरों पर दूसरे राज्यों में उन्हें बांग्लादेशी मानकर कथित तौर पर अत्याचार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह आरोप लगा चुकी है. उन्होंने इसके लिए सीधे भाजपा पर प्रहार किया है. इसलिए इस मुद्दे को बंगाली अस्मिता से जोड़कर वह 2026 के चुनाव में भुनाना चाहती है. इसकी बानगी अभी से ही देखी जा रही है.
हाल ही में मेयर गौतम देव ने सिलीगुड़ी के सभी प्रतिष्ठान, कार्यालय, दुकानों और संस्थाओं को यह फरमान जारी कर दिया है कि दुर्गा पूजा से पहले तक वे अपने संस्थान के नाम सभी भाषाओं में शीर्ष पर बांग्ला भाषा में अनिवार्य रूप से लिखे. आज कोलकाता नगर निगम ने वह फैसला किया है, जो निगम के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं हुआ था.
कोलकाता से प्रकाशित एक लोकप्रिय हिंदी अखबार प्रभात खबर की वेबसाइट के अनुसार कोलकाता नगर निगम चेयरपर्सन माला राय ने एक आदेश जारी किया है जिसमें यह कहा गया है कि निगम के मासिक अधिवेशन अथवा किसी भी बैठक में अब से पार्षद केवल और केवल बांग्ला भाषा में प्रश्न उत्तर कर सकेंगे. उनका साफ कहना था कि अब यहां अंग्रेजी या हिंदी या अन्य कोई भाषा नहीं चलेगी और सिर्फ बांग्ला भाषा ही चलेगी. यानी अगर निगम की बोर्ड मीटिंग में किसी पार्षद को सवाल करना है तो उसे बांग्ला में ही बोलना होगा और उसका जवाब बांग्ला में ही दिया जाएगा.
माला राय ने इसका कारण बताते हुए कहा है कि दूसरे राज्य में जिस तरह से बांग्ला वासियों को परेशान किया जा रहा है और बांग्ला भाषा के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, उसके विरोध में यह फैसला लिया गया है. आज कोलकाता नगर निगम ने यह फैसला किया है. ऐसे में सिलीगुड़ी नगर निगम कोलकाता नगर निगम का अनुसरण करते हुए कल बांग्ला भाषा को लेकर इसी तरह का फरमान जारी कर सके, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी.
जानकार भी मानते हैं कि सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव आने वाले कुछ दिनों में बोर्ड मीटिंग या अन्य अवसर पर इस तरह की बड़ी घोषणा कर सकते हैं. अब तक सिलीगुड़ी नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में बांग्ला भाषा के अलावा हिंदी, अंग्रेजी अथवा नेपाली भाषा में सवाल जवाब का अधिकार है. परंतु कल अगर कार्यवाही में केवल बांग्ला भाषा को मान्यता मिलती है तो ऐसे में वे पार्षद जो कि हिंदी बेल्ट से आते हैं और ठीक तरह से बांग्ला बोल नहीं पाते हैं, वे जनता के सवाल पटल पर कैसे रख सकेंगे. बहरहाल देखना होगा कि सिलीगुड़ी नगर निगम कोलकाता नगर निगम के फैसले को किस रूप में लेती है और इसे कितनी जल्दी स्वीकार करती है!