अगर बंगाल में रहना है तो बांग्ला आपको बोलना ही होगा. पहले तो यह औपचारिकता मात्र थी. वाममोर्चा सरकार ने बांग्ला के अलावा हिंदी भाषा को कभी अहमियत नहीं दी. तृणमूल कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो इस सरकार ने हिंदी को प्रोत्साहन देना भी शुरू किया. लेकिन ममता बनर्जी सरकार की दूसरी पारी और खास कर वर्तमान में भाषा आंदोलन के बाद राज्य में कुछ लोग कहीं ना कहीं हिंदी भाषा की उपेक्षा कर रहे हैं और हिंदी बोलने वालों से उद्दंडता के साथ पेश आ रहे हैं.
इस समय पूरे बंगाल में भाषा को लेकर विवाद जोरों पर है. आरंभ में दक्षिण भारत और कुछ समय पहले महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर काफी विवाद छिड़ा था. कुछ इसी तरह का विवाद अब बंगाल में भी भाषा को लेकर देखा जा रहा है. दक्षिण भारत और महाराष्ट्र तो इस समय शांत है लेकिन बंगाल में भाषा को लेकर उठा विवाद कब शांत होगा, यह कहना मुश्किल है. जिस तरह से वायरल वीडियो में एक रेल कर्मचारी के द्वारा हिंदी बोलने पर उसके साथ सलूक किया जा रहा है, उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है. लोग हैरान हैं कि एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में सभी भाषा भाषी लोगों को एक साथ लेकर चलने की बात कहती है, वहां किसी के द्वारा हिंदी बोलने पर इस तरह का व्यवहार करना कहां तक सही है.
कोई भी व्यक्ति कोई भी भाषा बोल सकता है. भाषा सीखने और सिखाने में जोर जबरदस्ती नहीं, बल्कि प्रेम और आग्रह की जरूरत होती है. वायरल वीडियो में साफ देखा जा रहा है कि रेल कर्मचारी के साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है और उनसे माफी मंगवायी जा रही है. सोशल मीडिया पर ऐसे व्यवहार की आलोचना की जा रही है. इस वीडियो में रेल कर्मी से बांग्ला में बात करने के लिए कहा जा रहा है. जब व्यक्ति ने बांग्ला भाषा में बोलने में असमर्थता व्यक्त की, तो उसे अपमानित किया गया. कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस पर बांग्ला भाषा को बांग्लादेशी भाषा बताने का आरोप लगाया था और इसे राष्ट्र विरोधी तथा निंदनीय कहा था. उन्होंने इसे सभी बंगाली भाषी लोगों का अपमान बताया था. जानकारों के अनुसार यह घटना उसी की प्रतिक्रिया स्वरुप है.
वायरल वीडियो बीरभूम जिले के सिउरी का है. एक रेलवे कर्मचारी से बंगला ना बोलने पर माफी मंगवाई गई. जिन लोगों ने रेल कर्मचारी के साथ इस तरह का अशिष्ट व्यवहार किया है, सूत्रों ने बताया कि उसका नाम गर्ग चटर्जी है और वह व्यक्ति बांग्ला पोकखो का महासचिव है. गर्ग चटर्जी पर आरोप है कि उसने एक गैर बंगाली रेलकर्मी से बांग्ला ना बोलने पर माफी मंगवाया. मजे की बात है कि इस वीडियो को खुद बांग्ला पोकखो के x अकाउंट पर शेयर किया गया है.
इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा गया है कि सिउरी स्टेशन पर एक बंगाली व्यक्ति को बंगाली भाषा में सेवा मांगने पर एक बाहरी रेल कर्मचारी ने अपमानित किया और उसकी नागरिकता के बारे में पूछताछ की. जब बंगाली व्यक्ति ने उसे घूरा तो वर्मा जी ने बंगाली व्यक्ति से माफी मांगी. वर्मा जी ने जिंदगी भर बंगाली भाषा में काम किया है. लेकिन उन्हें बंगाली का एक भी शब्द नहीं आता है. यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है
लोगों के कई तरह के कमेंट्स भी आ रहे हैं. इस घटना को अलग-अलग पक्ष से देखा जा रहा है. बहरहाल पक्ष कोई भी हो, कोई भी भाषा किसी पर थोपी नहीं जा सकती. संविधान में यह वर्णित भी है. सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए. तृणमूल कांग्रेस की सरकार से हिंदीभाषियों की उम्मीद भी है. इस तरह की घटना भविष्य में ना हो, यह सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी भी है. प्रशासन को ऐसी घटनाओं पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए और भाषा के नाम पर विद्वेष फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए.