पिछले कुछ दिनों से बंगाल की राजनीति SIR के केंद्र बिंदु में सिमट गई है. बिहार में SIR लागू होने के बाद वहां विभिन्न राजनीतिक दलों की जमीन खिसकती नजर आ रही है. कांग्रेस और राजद के द्वारा वहां तीव्र विरोध किया जा रहा है. बंगाल में हालांकि अभी तक SIR लागू करने की चुनाव आयोग के द्वारा घोषणा नहीं की गई है, परंतु ममता बनर्जी जानती है कि देर सबेर यहां भी घोषणा हो ही जाएगी, इसे देखते हुए उनके द्वारा पहले से ही एक नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है.
बिहार में SIR का जोरदार विरोध किया जा रहा है. राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस वोट चोरी का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार पर हमले कर रहे हैं. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय चुनाव आयोग के द्वारा स्पष्ट रूप से कहा जा चुका है कि उसका अभियान रुकने वाला नहीं है. इसके बाद ही इस मुद्दे पर विरोधी पार्टियों के द्वारा हाय तौबा मचाई जा रही है.
चुनाव आयोग का अगला निशाना बंगाल है. इसमें कोई दो राय नहीं है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव आयोग के इस अभियान को भाजपा से जोड़कर देख रही है.वे कह रही हैं कि भाजपा के इशारे पर चुनाव आयोग बंगाल के मतदाताओं को डरा रहा है. इस बीच राष्ट्रीय चुनाव आयोग के द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखना, ERO और AERO की नियुक्तियां जल्द पूरा करना, आदि कुछ संकेत है जो इस बात का आभास करते हैं कि यहां भी जल्द ही राष्ट्रीय चुनाव आयोग SIR की घोषणा कर सकता है.
पिछले दो दिनों के अंदर बंगाल में सर की हलचल तेज हो गई है. राजनीतिक दलों के द्वारा अब बंगाल में भी मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर कयास तेज हो गए हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि बंगाल में एस आई आर को लागू नहीं होने दिया जाएगा. पर जो सूत्र बता रहे हैं, उसके अनुसार केंद्र सरकार देश के पांच राज्यों में SIR लागू करने की तैयारी शुरू कर चुकी है. इन पांच राज्यों में बंगाल भी शामिल है.
जिस तरह से राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के द्वारा राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को पत्र लिखकर ERO और AERO की नियुक्तियां जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है, उसके बाद हलचल तेज हो गई है कि बंगाल में SIR लगाने की तैयारी शुरू हो गई है. हालांकि राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने बंगाल के संदर्भ में पहले ही कहा था कि यह जब यहां लागू होगा तो इसकी घोषणा कर दी जाएगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाल में इसे एक मुद्दा बना चुकी है.
चुनाव आयोग द्वारा राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आवश्यक निर्देश देने, विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू करने के लिए कार्यालय को तैयार रहने, राज्य के सीईओ मनोज कुमार अग्रवाल के द्वारा मुख्य सचिव मनोज पंत को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में पत्र लिखने के बाद से ही पता लग जाता है कि चुनाव आयोग बहुत जल्द यहां SIR लागू करने की आधिकारिक घोषणा कर सकता है.
भारतीय चुनाव आयोग ने सीईओ कार्यालय को एक बार फिर पत्र लिखा है और उनसे ERO, AERO विभिन्न रिक्त पदों को भरने के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. चुनाव आयोग के द्वारा 29 अगस्त शाम 5:00 बजे तक की मोहलत दी गई है.अभी तक ERO के पद के लिए 15 से लेकर 16 रिक्तियां लंबित है. जबकि AERO के पद के लिए 500 से अधिक वैकेंसी लंबित है. मनोज कुमार अग्रवाल ने मुख्य सचिव मनोज पंत को इन सभी पदों पर शीघ्र नियुक्तियों के लिए पत्र लिखा है.
चुनाव आयोग के सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार SIR सबसे पहले उन राज्यों में लागू किया जाएगा, जहां विधानसभा के चुनाव होने हैं. 2026 में पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं.इनमें पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी शामिल है. ऐसे में पश्चिम बंगाल में एस आई आर की हलचल सीईओ के द्वारा ई आर ओ और एईआरओ नियुक्ति को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखने से शुरू हो गई है.
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सर के मुद्दे पर ममता बनर्जी चुप बैठने वाली नहीं है. जानकार मानते हैं कि जब तक राष्ट्रीय चुनाव आयोग के द्वारा बंगाल में सर की आधिकारिक घोषणा की जाती है, उससे पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के द्वारा सर के मुद्दे पर जोरदार हंगामा किया जा सकता है. बहरहाल आने वाले कुछ दिन बंगाल की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं. अब देखना है कि ममता बनर्जी का विरोध प्रदर्शन चुनाव आयोग पर कितना भारी पड़ता है!