September 1, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी में बढ़ रही रहस्यमय मौत की घटनाएं! एक और युवक चल बसा!

पिछले 10 दिनों के भीतर सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में कम से कम पांच युवकों ने अपनी जीवन लीला समाप्त की है. पिछले एक हफ्ते में सिलीगुड़ी इलाके में ही आत्महत्या के अथवा रहस्यमई मौत के तीन मामले सामने आ चुके हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम के 37 नंबर वार्ड में एक और युवक की रहस्यमय स्थितियों में मौत हुई है. युवक का नाम शिबू दास है और वह इटालियन मैदान इलाके में रहता था.

किसी भी घटना के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर रहता है. आत्महत्या जैसा कदम उठाने से पहले व्यक्ति बार-बार सोचता है. लेकिन जब उसे कोई रास्ता नहीं मिलता है, तब इस स्थिति में भावनाओं के भंवर जाल में उलझ कर वह खुद के लिए बेरहम हो जाता है. खुदकुशी जैसे मामलों में देखा गया है कि लोग जज्बाती हो जाते हैं.इस दुनिया में हर कोई किसी ने किसी समस्या से ग्रस्त है. लेकिन सभी खुदकुशी नहीं करते हैं. खुदकुशी का मानसिकता और वंशानुगत प्रवृत्ति से भी सीधा संबंध रहता है.

कुछ लोग प्रेम में सफलता नहीं मिलने, कारोबार में घाटा होने, रोजी रोजगार का संकट उत्पन्न होने, गृह क्लेश इत्यादि विभिन्न कारणों से जब उन्हें समस्या के समाधान का मार्ग नहीं मिलता है, तब वह भावनाओं के वशीभूत होकर इस तरह के कदम उठा लेते हैं. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार अंदरूनी तौर पर कमजोर और अत्यंत भावुक लोग ही इस तरह के कदम उठाते हैं. आत्महत्या कायरता है. और यह किसी भी तरह से किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.

उदाहरण के लिए सिलीगुड़ी के 37 नंबर वार्ड के निवासी शिबू दास के मामले को ही ले लीजिए. उसका एक महिला से 3 सालों से प्रेम संबंध चल रहा था. दोनों ने कथित रूप से प्रेम विवाह भी कर लिया था. इसका साक्ष्य शिबू दास के मोबाइल से मिलता है, जहां युवक और महिला के नजदीकी रिश्तों की तस्वीर और बातचीत बहुत कुछ बोलती है. युवक ने शुक्रवार को खुद को मिटा लिया. हालांकि यह पुलिस के लिए जांच का विषय है. परंतु समझा जाता है कि प्रेम संबंधों में विफलता के कारण युवक ने यह कदम उठाया होगा. कम से कम मृतक के परिजनों का आरोप तो यही है. उनके आरोप के बाद पुलिस ने आरोपी युवती को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है.

इससे पहले सिलीगुड़ी के ही एक अन्य युवक ने कर्ज के बोझ में दबकर रेलवे लाइन पर जाकर खुदकुशी कर ली थी. प्रधान नगर से लेकर ईस्टर्न बायपास और शहर के विभिन्न भागों में पिछले कुछ समय के भीतर जितनी भी खुदकुशी की घटनाएं घटी है, उन सभी का अध्ययन और विश्लेषण से पता चलता है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के दिमाग में यही बात बैठ गई थी कि इसके बाद दुनिया खत्म हो जाती है. कारोबार में नुकसान या घाटे की भरपाई की बात करने वाले लोग कभी आत्महत्या नहीं करते हैं.

एक अध्ययन से पता चलता है कि किशोर उम्र के लोगों में आत्महत्या का कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, नकारात्मकता, पारिवारिक मुद्दे, शैक्षणिक तनाव, सामाजिक और जीवन शैली कारक, हिंसा, आर्थिक संकट और भावनात्मक संबंध बनते हैं. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं सर्वाधिक 54% जिम्मेवार होती है. जबकि उसके बाद गृह क्लेश 36% का नंबर आता है और उसके बाद अध्ययन या शिक्षा संबंधित मुद्दों से खुदकुशी करने वाले 23% लोग होते हैं.

पूरी दुनिया में सबसे अधिक आत्महत्या की घटनाएं भारत में ही होती है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2022 में 1.71 लाख लोगों ने भारत में आत्महत्या की थी. यह आकड़ा बताता है कि भारत में युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति कितनी खतरनाक हद तक सवार है. इस तरह से कहा जा सकता है कि प्रत्येक 8 मिनट में भारत में होने वाली आत्महत्या से परिवार, समाज, अर्थव्यवस्था और देश के भविष्य को बहुत बड़ी क्षति होती है.

मनोवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए युवाओं को समस्या समाधान, आवेग नियंत्रण और भावनात्मक मजबूती सिखाए जाने की जरूरत है.घरेलू हिंसा, शराब के सेवन से उन्हें दूर रहना चाहिए. एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने की जरूरत है, जहां हर कार्य में संतुलन और सुधार दिखता हो. भारत जैसे देश में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2019 में एक टास्क फोर्स का गठन किया था. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार स्वास्थ्य, शिक्षा, सूचना और प्रसारण तथा सामाजिक कल्याण मंत्रालयों के बीच सहयोग से एक ठोस रणनीति को अंजाम दिया जा सकता है!

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