किसी दिन कोरोनेशन ब्रिज गंभीर हादसे का शिकार हो सकता है. सरकारी प्रतिबंध के बावजूद इस ब्रिज से होकर ओवरलोडेड गाड़ियां रोजाना गुजर रही हैं. आरोप है कि भारी 6 चक्का वाले वाहन चालकों से अलग-अलग थाना के अधिकारी ₹500 से लेकर ₹800 जबकि 12 चक्का वाहन को पार कराने के लिए ₹1000 से लेकर ₹1200 तक वसूली करते हैं. स्थानीय नागरिक शुभाशीष सरकार ने एलनबाड़ी थाना, म॔गप॔ग थाना और सेवक थाना के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है…
सिलीगुड़ी, Dooars और पहाड़ को जोड़ने वाला सेवक स्थित एकमात्र कोरोनेशन ब्रिज सरकारी बदइंतजामी और प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गया है. मानसून का समय चल रहा है और इंजीनियरों ने कोरोनेशन ब्रिज की हालत देखकर पहले ही सचेत कर दिया था कि मानसून और बरसात के समय यह ग॔भीर हादसे का शिकार हो सकता है. इसके बावजूद ना तो सरकार और ना ही प्रशासन ने इसकी सुध ली है.
कोरोनेशन ब्रिज को बचाने के लिए विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि पहले से ही राज्य और केंद्रीय प्रशासन पर दबाव डाल रहे हैं. अब तो स्थानीय लोगों ने ही पुल की सुरक्षा को लेकर मोर्चा संभाल लिया है. हालत तो यह हो गई है कि कोरोनेशन ब्रिज की सुरक्षा अब भगवान भरोसे है. यहां ब्रिज की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ खाना पूरी होती है. एक मात्र दिखावा होता है. सरकार के द्वारा 10 अगस्त 2020 को एक नोटिफिकेशन जारी करके कहा गया था कि कोरोनेशन ब्रिज की जर्जर अवस्था देखकर इस ब्रिज से होकर 10 टन से अधिक भार वाले वाहन नहीं जा सकेंगे. पर क्या प्रशासन के निर्देश का वर्तमान में पालन हो रहा है?
कोरोनेशन ब्रिज के आसपास रहने वाले लोग ब्रिज की अवस्था देखकर अब खुद ही आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं. स्थानीय निवासी शुभाशीष सरकार ने सामाजिक मुद्दों तथा जनता की समस्याओं को उठाने में अग्रणी एकमात्र निष्पक्ष न्यूज़ चैनल खबर समय को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा का इजहार किया है. उन्होंने इसके अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केंद्रीय सड़क निर्माण एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री, टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी, दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी, राज्य के पुलिस महानिरीक्षक मनोज वर्मा समेत तमाम पुलिस,केन्द्र और राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों को भी पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में कोरोनेशन ब्रिज पर प्रतिबंधित भारी वाहनों की आवाजाही को लेकर बरती जा रही अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायत की है.
शुभाशीष सरकार ने अपने पत्र में लिखा है कि सरकारी प्रतिबंध के बावजूद इस ब्रिज से होकर रोजाना ओवरलोड ट्रक और 12 चक्का वाहन गुजरते हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि यह सब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मिली भगत से होता है. उन्होंने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोनेशन ब्रिज और नजदीकी थानों के अधिकारियों की मिली भगत से ओवरलोड वाहन ब्रिज से होकर गुजरते हैं. उन्होंने सेवक और कोरोनेशन ब्रिज के आसपास के कुछ थानों का जिक्र करते हुए कहा है कि पुलिस के अधिकारी ओवरलोड वाहनों से रिश्वत लेते हैं. उनमें एलनबाड़ी थाना, मोंगपोंग थाना और सेवक थाना शामिल हैं.
शुभाशीष सरकार ने अपने पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि एलनबाड़ी थाना के अधिकारी 6 चक्का वाले वाहन से ब्रिज पार करने के लिए ₹500 जबकि 12 चक्का वाहन से ₹1000 वसूली करते हैं. इसी तरह से मोंगपोंग थाना छह छक्का वाहन से ₹500 और 12 चक्का वाहन से ₹1000 की वसूली करता है. जबकि सेवक थाना के पुलिस अधिकारी छह छक्का वाहन से ₹800 और 12 चक्का वाहन से ₹1200 वसूली करते हैं. उसके बाद ही इन ओवरलोडेड गाड़ियों को आगे जाने दिया जाता है.
उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तमाम जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं से अपील की है कि उनकी शिकायत पर तुरंत संज्ञान लिया जाए और कोरोनेशन ब्रिज की सुरक्षा में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए. अगर समय रहते सरकार ने कदम नहीं उठाया तो कोरोनेशन ब्रिज किसी भी दिन, किसी भी समय गंभीर हादसे का शिकार हो सकता है.
देखा जाए तो कोरोनेशन ब्रिज की मौजूदा हालत के लिए सरकार भी कम जिम्मेदार नहीं है. पहले कोरोनेशन ब्रिज पर कई सीसीटीवी कैमरे लगे थे. लेकिन अब वे सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं. यह जगह दुर्घटना आशंकित क्षेत्र है. लेकिन यहां किसी भी तरह से नियमित निगरानी नहीं हो रही है. राज्य सरकार ने कोरोनेशन ब्रिज के दोनों सिरों पर ऊंचाई वाले बैरियर लगाने की बात कही थी, ताकि भारी वाहनों की आवाजाही को रोका जा सके. लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी होने के 5 साल बीत चुके हैं. लेकिन अब तक स्थिति ढाक के वही तीन पात की तरह है. यही कारण है कि अब स्थानीय नागरिक कोरोनेशन ब्रिज को बचाने के लिए उठ खड़े हुए हैं. अब देखना होगा कि राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारी कोरोनेशन ब्रिज के मुद्दे पर अगला क्या कदम उठाते हैं.