नेपाल में जिस तरह से जेन-जेड आंदोलनकारियों ने बांग्लादेश की तर्ज पर तख्तापलट किया, जिस तरह से आंदोलनकारियों ने नेपाल के मंत्रियों को दौड़ा दौड़ा कर पीटा, जिस तरह से नेपाल की राष्ट्रीय और निजी संपदा को स्वाहा कर दिया… जिस तरह से नेपाल के भ्रष्ट मंत्रियों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया, अब इस आंदोलन की तपिश बंगाल और भारत मे भी पहुंच चुकी है.
नेपाल और भारत के बीच बेटी रोटी का संबंध है. नेपाल में आई सुनामी ने भारत और बंगाल को भी प्रभावित किया है. हालांकि नेपाल में जलजला शांत हो चुका है और अब वहां कार्की के नेतृत्व में सरकार का गठन हो चुका है. लेकिन भारत के कई नेता और राजनीतिक लोग नेपाल के आंदोलनकारी युवाओं को भूल नहीं पाए हैं. उनकी अदम्य ताकत और ऊर्जा से इस कदर प्रभावित हुए हैं कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कुछ नेता बयान दे रहे हैं कि बंगाल में भी नेपाल जैसे आंदोलन की आवश्यकता है.
वहीं केंद्र में तख्तापलट के लिए बीजेपी की मुखर विरोधी पार्टियों के नेता पहले ही बयान दे चुके हैं कि नेपाल जैसा आंदोलन भारत के लिए जरूरी है. कुछ इसी तरह की बात आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह आदि दे चुके हैं. जबकि राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर यह बयान दिया था कि बिहार नेपाल से अलग नहीं है. बंगाल में भाजपा नेता अर्जुन सिंह, अरुण सिंह आदि ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए उकसाने वाले बयान दे चुके हैं. हालांकि अब उनके खिलाफ बंगाल के विभिन्न थानों में FIR दर्ज हो चुकी है.
भाजपा नेता अरुण सिंह ने नेपाल में युवाओं के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का जिक्र करते हुए बंगाल के युवाओं से इसी तरह का आंदोलन करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि नेपाल के नौजवानों ने करप्शन को लेकर आंदोलन किया है. मैं तो सैल्यूट करता हूं 18 साल से लेकर 30 साल तक के उन नौजवानों को… बंगाल के लोगों को उन नौजवानों से शिक्षा लेनी चाहिए. बंगाल के लोग आज भी इस भ्रष्टाचार के लिए इंतजार कर रहे हैं कि कब इस देश के प्रधानमंत्री कुछ करेंगे.
भाजपा नेता अर्जुन सिंह ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि बंगाल में भी नेपाल जैसे व्यापक जन विद्रोह की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि बंगाल के युवाओं को भी नेपाल जैसा ही साहस दिखाना चाहिए. उनके इस बयान के बाद बैरकपुर के सांसद पार्थ भौमिक के इशारे पर तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं ने विभिन्न थानों में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. इसमें आरोप लगाया गया है कि अर्जुन सिंह राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि अर्जुन सिंह को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि उनके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज हो या 400 मुकदमा. वे आज भी अपने बयान पर अड़े हुए हैं.
लेकिन ऐसे नेता यह क्यों भूल जाते हैं कि हमाम में तो सभी नंगे होते हैं. जिसको जैसे और जहां मौका मिल रहा है, वही बहती गंगा में हाथ धो रहा है. दूध के धुले तो कोई भी नहीं है. यही कारण है कि नेपाल में न केवल सरकार के मंत्रियों की ऐसी तैसी की गई, बल्कि विपक्षी नेताओं को भी युवाओं ने नहीं बख्शा. हिंसा भड़काने की कोशिश भूलकर भी नहीं होनी चाहिए. इस संदर्भ में आपकी क्या राय है, हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा