मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज उत्तर बंगाल के पीड़ितों का दुख हल्का करने पहुंची थी. उन्होंने आपदा प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया और अपना दुख व्यक्त किया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री केंद्र पर भी बरसीं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर बंगाल में बाढ़ और भूस्खलन का जो संकट खड़ा हुआ है, वास्तव में यह मानव जनित आपदा है. डीवीसी मनमाने तरीके से पानी छोड़ रहा है, जिस कारण उत्तर बंगाल के लोगों को आपदा का सामना करना पड़ा है.
उत्तर बंगाल की लगभग सभी नदियों के जल स्तर में आई तेजी और बाढ़ के बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि डीवीसी मनमाने तरीके से पानी छोड़ रहा है. इस पर नियंत्रण नहीं है. इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
उन्होंने विभिन्न इलाकों का मुआयना करते हुए भूस्खलन में मारे गए लोगों के परिवारों को ₹500000 का मुआवजा और प्रत्येक आश्रित को होमगार्ड की नौकरी देने का ऐलान किया.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमें सूचना मिली है कि आपदा में कम से कम 23 लोगों की मौत हुई है. शनिवार और रविवार में काफी बारिश हुई है. संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ में भारी बारिश की वजह से दार्जिलिंग, कालिमपोंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और कूचबिहार में बाढ़ आई है.
उन्होंने कहा कि नागरा काटा और मिरिक में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. मिरिक में भारी भूस्खलन हुआ है. मिरिक में सर्वाधिक लोग प्रभावित हुए हैं. यहां अधिकतर लोगों के घर बह गए और घर में रखा सामान भी बाढ़ की चपेट में आ गया.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डीवीसी यानी दामोदर घाटी निगम पर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि डीवीसी अपनी इच्छा के अनुसार पानी छोड़ देता है. यह बाढ का कारण बन जाता है. उन्होंने कहा कि झारखंड को बचाने के लिए डीवीसी ऐसा करता है लेकिन बंगाल को भुगतना पड़ता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैथन और पंचेत बांधों से गाद निकालने का काम न होने से उनकी जल धारण क्षमता में काफी कमी आई है. पर्यटकों की सुरक्षित वापसी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ में अथवा आपदा में फंसे पर्यटकों को वापस लाने के लिए राज्य सरकार ने 45 बसों की व्यवस्था की है.
इसके बाद मुख्यमंत्री केंद्र पर बरसी और कहा कि केंद्र सरकार ने बाढ राहत उपायों के लिए राज्य सरकार को कोई धन उपलब्ध नहीं कराया है. ऐसे में राज्य सरकार अपने बलबूते पर स्थिति से निपट रही है.