October 9, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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छठ पूजा के नाम पर आस्था से खिलवाड़! देखें सिलीगुड़ी कोर्ट से विधान मार्केट तक नजारा…!

दीपावली के छठे दिन छठ पूजा होती है. छठ पूजा मूल रूप से पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का एक महान पवित्र त्यौहार है. दीपावली के बाद छठ पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है इस बार चार दिवसीय छठ पूजा 25 अक्टूबर नहाए खाए से शुरू हो रही है और 28 अक्टूबर को इसका समापन हो जाएगा.

जिस तरह से शास्त्रों और धर्म ग्रंथो में छठ पूजा की महिमा का वर्णन किया गया है, इसकी अनुभूति व दिव्य लाभ के लिए अधिक से अधिक लोग छठ व्रत कर रहे हैं. छठ व्रत एक ऐसा व्रत है, जहां यह भी कहा जाता है कि अगर खुद से ना हो सके तो औरों से भीख मांग कर (सहयोग लेकर) इस व्रत को करने से भी काफी पुण्य मिलता है.

प्राचीन काल में जब लोगों के पास पैसे नहीं होते थे, तब छठ व्रतधारी भीख मांग कर व्रत करते थे. छठ के नाम पर भीख देना पुण्य का काम समझा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो कोई छठ के नाम पर सहयोग करता है, उसे काफी पुण्य मिलता है. यह परंपरा आज भी चली आ रही है.

लेकिन मौजूदा समय में सिलीगुड़ी में ऐसी बहुत सी घटनाएं सामने आई हैं, जहां छठ पूजा के नाम पर लोग भीख तो मांगते हैं. लेकिन यह भीख पूजा करने के लिए नहीं बल्कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए होती है. भीख मांगने वालों के हाथों में सूप होता है. भीख मांगने वालों में स्त्री, पुरुष, बच्चे, वृद्ध सभी देखे जा सकते हैं. दुर्गा पूजा के बाद से ही ऐसे लोगों को हाथ में सूप लिए दुकान दुकान सड़क सड़क घूमते देख सकते हैं.

इस समय सिलीगुड़ी के विभिन्न चौक चौराहों से लेकर बाजार, हाट, और यहां तक कि कोर्ट कचहरी के गिर्द ऐसे लोगों को हाथ में सूप लिए इधर-उधर मांगते देख सकते हैं. सवाल यह है कि छठ पूजा के नाम पर भीख मांगने वाले क्या ये सचमुच छठ पूजा करने के लिए भीख मांगते हैं या फिर आस्था के नाम पर वे अपना हित साधते हैं? यह सवाल बार-बार खड़ा होता है.

पिछले दिनों सिलीगुड़ी कोर्ट परिसर में कुछ महिलाएं हाथ में सूप लिए छठ पूजा के लिए लोगों से थोड़ी-थोड़ी आर्थिक सहायता मांग रही थी. अब छठ पूजा के नाम पर कोई सीधे मना भी नहीं कर सकता. लेकिन यह पता लगाने के लिए कि क्या सचमुच छठ पूजा करने के लिए महिलाएं भीख मांग रही थीं, एक व्यक्ति ने यूं ही एक महिला से पूछ लिया कि छठ पूजा कब है, तब उसने जवाब दिया कि 17 और 18 अक्टूबर को है. व्यक्ति ताड़ गया कि महिला छठ पूजा के नाम पर आस्था से खिलवाड़ कर रही है.

व्यक्ति को छठ पूजा के नाम पर सूप उठाने वाली महिलाओं पर शक इसलिए भी हुआ था कि उन्होंने अपने पैरों में चप्पलें पहन रखी थी. जबकि सूप उठाने और भीख मांगने वाली महिलाओं अथवा पुरुषों के पैर नंगे होते हैं. इस तरह के नियम भी हैं. लेकिन यह नियम उन्हें पता होता है, जो वास्तव में भीख मांग कर छठ व्रत करते हैं.

इन दिनों सिलीगुड़ी में खासकर कचहरी, हाशमी चौक, विधान मार्केट, पानी टंकी मोड, सेवक रोड आदि इलाकों में ऐसे सूप उठाने वाले स्त्री पुरुषों तथा बच्चों को आप देख सकते हैं. आप ऐसे लोगों से सावधान रहें, जो आस्था और धर्म के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं! उन्हें ‘भीख’ देने से मना कर दें. ऐसे लोगों को भीख देना यानि धर्म और आस्था के स्तर को नीचे गिराना कहा जा सकता है. बिहारी सेवा समिति और दूसरे सामाजिक संगठनों की ओर से सिलीगुड़ी के लोगों से भी इस तरह की एक अपील की गई है.

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