आज सिलीगुड़ी नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए. इनमें सिलीगुड़ी में लगातार बढ़ रही अग्नि की घटनाएं, अग्निस्थल पर दमकल गाड़ियों का नहीं पहुंचना या पतले- संकरे रास्तों के कारण पहुंचने में विलंब होना, जगह-जगह अवैध निर्माण के अलावा सिलीगुड़ी में ट्रैफिक जाम एक ज्वलंत मुद्दा बन गया. बोर्ड मीटिंग में विपक्षी पार्षद शरदेंदु चक्रवर्ती ने इस संबंध में एक प्रस्ताव रखा और कहा कि बोर्ड में तृणमूल कांग्रेस के आने के बाद रोज ही ट्रैफिक जाम और अवैध निर्माण की समस्या सामने आ रही है.
इस पर काफी हंगामा हुआ. तृणमूल कांग्रेस के पार्षद आलम खान ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सिलीगुड़ी में ट्रैफिक की समस्या वाम मोर्चा की देन है. इसलिए वामपंथी पार्षद को इस पर कुछ कहने का अधिकार नहीं है. उन्होंने वामपंथी पार्षद शरदेंदु चक्रवर्ती पर कटाक्ष भी किये. तृणमूल कांग्रेस के आने के बाद इसमें कमी आ रही है. तृणमूल कांग्रेस ट्रैफिक समस्या के समाधान की दिशा में लगातार अग्रसर है. हाल ही में कई कदम उठाए भी गए हैं. उनके जवाब से असंतुष्ट होकर वामपंथी पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार किया और बोर्ड मीटिंग से उठ कर चले गए.
हालांकि मेयर गौतम देव ने विपक्षी नेता पार्षद अमित जैन के सवाल का जरूर उत्तर दिया. अमित जैन ने कहा कि सिलीगुड़ी नगर निगम को दमकल विभाग के साथ एक बैठक करके एक सही कार्य योजना पर काम करना चाहिए. ताकि दमकल समय पर घटनास्थल पर पहुंचकर जान माल को अधिक से अधिक बचा सके. उन्होंने कहा कि अगर सिलीगुड़ी की सड़कें अच्छी हालत में होतीं तो दमकल विभाग को काम करने में सुविधा होती और इस तरह से अग्निकांड में भारी नुकसान नहीं होता! गौतम देव ने अमित जैन को आश्वस्त किया कि नगर निगम जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई करेगा और दमकल विभाग के साथ बैठक करेगा.
बहरहाल, हम बात करते हैं सिलीगुड़ी के ट्रैफिक जाम के बारे में. सच तो यह है कि सिलीगुड़ी का ट्रैफिक जाम कोई आज की समस्या नहीं है. इसलिए तृणमूल पार्षद आलम खान ने कोई गलत नहीं कहा है कि सिलीगुड़ी में ट्रैफिक जाम की समस्या कोई आज की नहीं है. बल्कि वर्षों से चली आ रही है. लेकिन आज यह एक विकराल समस्या इसलिए बन गई है कि सिलीगुड़ी की आबादी में कई गुणा इजाफा हुआ है. इसके साथ ही सिलीगुड़ी की सड़कों पर वाहनों की रेलमपेल हो गई है.
जबकि सड़कें तो वाममोर्चा के जमाने से पहले की ही है. वही संकरी, पतली और घुमावदार सड़कों के दोनों किनारो पर पटरियों की जमघट! फुटपाथ की दुकानें और अनगिनत टोटो का चलना! ऐसे में अगर ट्रैफिक जाम यहां की एक ज्वलंत समस्या के रूप में तब्दील हो तो इसमें आश्चर्य ही क्या है! इसके लिए कौन जिम्मेदार है? केवल वाममोर्चा को दोषी ठहराने से तृणमूल कांग्रेस अपने दायित्व से बच नहीं सकती. आरोप प्रत्यारोप करने से भी कोई लाभ नहीं होगा. बल्कि आवश्यकता इस बात की है कि सभी पार्टियों को इस मुद्दे पर एक दूसरे के साथ सहयोग करते हुए एक ठोस रणनीति पर काम करने की जरूरत है.
वाममोर्चा के जमाने में सिलीगुड़ी की आबादी बढ़ने के साथ ही ट्रैफिक जाम की समस्या के समाधान के लिए पुराने तरीके से प्रयास किए जाते रहे. हालांकि इस अवधि में इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया गया. जिसका कोई भी लाभ सिलीगुड़ी को नहीं मिला. वाम मोर्चा के बाद बोर्ड में टीएमसी का दबदबा कायम हुआ. शुरू के कुछ साल टीएमसी ने देखो और इंतजार करो की नीति अपनाई और उसके बाद सिलीगुड़ी नगर निगम के चेयरमैन गौतम देव के नेतृत्व में सिलीगुड़ी की सड़कों को चौड़ा करने का फैसला किया गया. इसके साथ ही ट्रैफिक की स्थिति में सुधार के लिए लाइसेंसधारी वाहनों को चलने और अवैध टोटो को बंद करने जैसे प्रयास जरूर हुए हैं. ये चल भी रहे हैं.
यह चर्चा का विषय है कि पहले से ट्रैफिक की स्थिति में कितना सुधार हुआ है. पर कार्य तो हो रहा है. अतिक्रमण के खिलाफ सिलीगुड़ी नगर निगम गंभीर है और कार्रवाई कर भी रहा है. अवैध निर्माण को भी तोड़ा जा रहा है. हालांकि इसमें भी पक्षपात के आरोप लग रहे हैं. हालांकि यह पर्याप्त नहीं है. वर्तमान में सिलीगुड़ी नगर निगम को और भी ठोस प्रयास करने की जरूरत है. अगर समय रहते इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं किया गया तो भविष्य में सिलीगुड़ी में ट्रैफिक जाम के साथ ही अवैध निर्माण और विभिन्न तरह की समस्याएं गंभीर होती जाएंगी.

